पीएम मोदी के समर्थन में उतरे कांची मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती

NATIONAL

 

राम मंदिर के उद्घाटन पर कथित विवाद के बीच अब कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती प्रधानमंत्री मोदी के समर्थन में खुलकर उतर आए हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के हाथों मंदिर के उद्घाटन पर दो पीठों के शंकराचार्यों ने आपत्ति जताते हुए उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होने का ऐलान किया है। ऐसे में तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने प्रधानमंत्री मोदी का साथ देने का ऐलान किया है। उन्होंने ये भी कहा है कि वह प्राण प्रतिष्ठा के लिए काशी की यज्ञशाला में 40 दिन की विशेष पूजा का आयोजन करेंगे।

प्रधानमंत्री का साथ देने का ऐलान

तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित कांची कामकोटि मठ के शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने शनिवार को (आज) मीडिया से बात करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी देश भर के तीर्थ स्थलों और परिसरों के विकास पर भी काफी जोर दे रहे हैं। उन्हीं के नेतृत्व में केदारनाथ और काशी विश्वनाथ मंदिरों में विकास और विस्तार हुआ है।

करेंगे 40 दिनों का खास यज्ञ

जानकारी के मुताबिक 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के साथ इस यज्ञ की शुरुआत की जाएगी, जो अगले 40 दिनों तक चलेगी। शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्‍वती ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन काशी स्थित हमारे यज्ञशाला में 40 दिनों तक विशेष पूजा की जाएगी।

आपकी जिंदगी बदलने वाले विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय 10 नेताओं के 10 जादुई विचार’

10 Magical Thoughts & 10 Most Popular Global Leaders : That Can Change Your Life

भगवान राम के आशीर्वाद से अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। हमारे काशी स्थित यज्ञशाला में भी इस मौके पर 40 दिन की विशेष पूजा की जाएगी, जो कि राम मंदिर कार्यक्रम के साथ शुरू होगी। पूजा वैदिक विद्वानों की मार्गदर्शन में होगी, इनमें लक्ष्मी कांत दीक्षित भी शामिल हैं। 100 से ज्यादा पुजारी इस दौरान पूजा और हवन करेंगे।

क्या है कांची कामकोटि पीठ?

आदि शंकराचार्य ने सनातन धर्म के प्रसार के लिए देश की चार दिशाओं में चार पीठ की स्थापना की थी, जिसके प्रमुख को शंकराचार्य कहा जाता है। ये चार प्रमुख मठ द्वारका, ज्योतिष, गोवर्धन और श्रृंगेरी पीठ हैं, लेकिन तमिलनाडु के कांची कामकोटि पीठ महापीठ होने का दावा करता है और यहां के शंकराचार्य खुद को अन्य चार शंकराचार्य की तरह मानते हैं।

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh