वैज्ञानिकों ने सुलझाया रहस्य: 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी क्यों थी बर्फ का गोला

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ऑस्ट्रेलियाई भूवैज्ञानिकों की एक शोध बताती है कि करीब 700 मिलियन यानी 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी विशालकाय बर्फ का गोला हुआ करती थी, हर जगह सिर्फ बर्फ ही बर्फ थी. पहले तो वैज्ञानिकों को ये पता नहीं था कि ऐसा क्यों हुआ था, लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इसके रहस्य का पता लगा लिया है, जो चौंकाने वाला है.

पृथ्वी साढ़े 4 अरब साल से भी अधिक पुरानी है और पृथ्वी पहले बर्फ का गोला हुआ करती थी, लेकिन धीरे-धीरे जब तापमान कम हुआ तो यहां तरह-तरह के जीव-जंतु पनपने शुरू हुए और आज दुनिया पूरी तरह से आबाद है, पर क्या आप जानते हैं कि करोड़ों साल पहले आखिर पृथ्वी बर्फ का गोला क्यों थी? शायद नहीं, पर अब वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझा लिया है.

एक नए अध्ययन में ऑस्ट्रेलियाई भूवैज्ञानिकों ने इस वजह का पता लगा लिया है कि लगभग 700 मिलियन यानी 70 करोड़ साल पहले पृथ्वी एक विशालकाय स्नोबॉल की तरह पूरी तरह बर्फ से क्यों ढकी हुई थी. ये वो युग था जब पृथ्वी ग्लेशियरों से ढकी हुई थी, जो ध्रुवों से भूमध्य रेखा तक फैली हुई थी. दरअसल, वैज्ञानिकों की एक टीम एडिलेड यूनिवर्सिटी के सह-लेखक प्रोफेसर एलन कोलिन्स के नेतृत्व में एक यात्रा पर गई थी, जहां से इतने प्रेरित हुए कि उन्होंने हिमयुग के लंबे युग का अध्ययन करने की ठान ली और इसके लिए उन्होंने सिडनी विश्वविद्यालय के अर्थबाइट कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल करने का फैसला किया.

इस वजह से आया था हिमयुग

वैज्ञानिकों की शोध बताती है कि स्टर्टियन हिमनद 717 से 660 मिलियन साल पहले फैला हुआ था. इस हिमनद का नाम 19वीं सदी के मध्य में ऑस्ट्रेलिया के यूरोपीय औपनिवेशिक खोजकर्ता चार्ल्स स्टर्ट के नाम पर रखा गया था. हिमयुग को स्टर्टियन हिमाच्छादन भी कहा जाता है. शोध के मुताबिक, मुख्य रूप से कम ज्वालामुखीय कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के कारण हिमयुग अस्तित्व में आया था, जिसे वर्तमान कनाडा में ज्वालामुखीय चट्टानों के अपक्षय ने और जटिल बना दिया था, जो वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर रहे थे.

तब डायनासोर भी नहीं थे धरती पर

वैज्ञानिक कहते हैं कि यहीं कारण है कि पृथ्वी पर हिमयुग का जन्म हुआ. हिमयुग का काल डायनासोर के जमाने से भी बहुत पहले का बताया जाता है. तब धरती पर हर जगह सिर्फ बर्फ ही बर्फ थी, जहां किसी भी जीव-जंतु का पनपना नामुमकिन था.

– एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh