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संस्कार भारती आगरा पश्चिम ने आर्य समाज मंदिर जयपुर हाउस में कराया कवि सम्मेलन

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.  संस्कार भारती, आगरा पश्चिम समिति “प्रताप” आगरा द्वारा छठवीं अरुणोदय काव्य गोष्ठी आर्य समाज मन्दिर, जयपुर हाउस, आगरा पर आयोजित की गई।

कार्यक्रम के अध्यक्ष पण्डित नरेन्द्र शर्मा, मैनपुरी; प्रांतीय कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल; प्रांतीय मंत्री डॉ. मनोज कुमार पचौरी; महानगर कार्यकारी अध्यक्ष हरीश अग्रवाल ढपोरशंख; महानगर मंत्री ओम स्वरूप गर्ग ने  मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करके काव्य गोष्ठी का शुभारम्भ किया।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए पण्डित नरेन्द्र शर्मा (मैनपुरी) ने कहा कि काव्य का प्रफुस्टन मां सरस्वती की असीम कृपा से ही होता है, इसलिए कवि को समाज में आदर दिया जाता है।

प्रांतीय कोषाध्यक्ष आशीष अग्रवाल ने बताया कि मासिक अरुणोदय काव्य गोष्ठियों में काव्यपाठ करने वाले कवियों की रचनाओं का संग्रह गणतन्त्र दिवस 2025 के अवसर पर प्रकाशित किया जाएगा।

सरस्वती वन्दना सुश्री संगीता अग्रवाल ने की

स्वर की देवी माँ सरस्वती,

कंठ बसो मेरे जय-जय माँ l

विद्या बुद्धि माँ देने वाली,

भाग्य की रेखा बदलने वाली l

विघ्न विनाशिनी करुणामयी माँ,

कंठ बसो मेरे जय-जय माँ ll

कवि राकेश शर्मा “निर्मल” की कविता तालियों से सुनी गई

अब हमारी दस्तरस से दूर हो गए गाँव,

शहर में तो लोग चलते नित नवेले दांव,

इस तरह भटकन बढ़ी है ज़िन्दगी में आज,

रखते कहीं हैं हम मगर पड़ते कहीं हैं पाँव ।।

डा उदयवीर सिंह, मथुरा को खूब सुना गया

ये गिरना मेरा अंत नहीं

अंधकार कितना भी,

पर ये अँधेरा अनंत नहीं

घनघोर घटा छायी तो क्या,

होता सूरज का अंत नहीं

उठूँगा और लडूंगा फिर,

ये मेरे विश्वास का अंत नहीं

मैं हूँ जीवित, जीना है मुझे,

ये गिरना मेरा अंत नहीं

कवियत्री अलका अग्रवाल ने कहा

कान्हा की सरकार को, नदिया देती वोट 

गिरि से बल खा कर गिरी, लगी न उसको चोट 

कवि हरीश अग्रवाल ढपोरशंख ने पढ़ा

ल वो नहीं होते, जो बस बिताए जाते हैं,

पल वो भी नहीं होते, जो महज निभाए जाते हैं,

अरे पल तो वो होते हैं, जो मिलकर साथ सबके,

लिए अपनापन का भाव, अपनों के साथ सजाए होते हैं।

कवयित्री वन्दना चौहान ने कहा

खो रही हैं सभ्यताएँ अब सँभलने का समय है,

जाग जाओ शूरवीरों रवि निकलने का समय है।

कृत्य दुष्टों के घिनौने देख कर मन काँप जाता

फन विषैले विषधरों के अब कुचलने का समय है।।

धर्मवीर शर्मा ने कविता पढ़ी

विद्यालय जाते समय जिसके नीचे मैंने कितने वर्ष गुजारे

वो पेड़ आज भी मुझे उतने ही सानिध्य से छाँव देता है

कवियत्री इंदल सिंह इंदू ने काव्य पाठ किया

भगिनी बिना भ्रात नहीं सोहे

घर सोहे नहीं मात बिना

राम नाम बिना गिरा ना सोहे

भक्ति ना सोहे भाव बिना

काव्य गोष्ठी में रविन्द्र वर्मा, प्रभुदत्त उपाध्याय, संजय शर्मा, योगेन्द्र शर्मा “योगी”, सुधीर कुलश्रेष्ठ, शशिकांत गुप्ता आदि ने भी काव्यपाठ किया.

कार्यक्रम का संचालन राकेश शर्मा निर्मल ने किया। संयोजन नन्द नन्दन गर्ग ने किया। ध्येय गीत का गायन डॉ. मनोज कुमार पचौरी और हरीश अग्रवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन महामंत्री ओम स्वरूप गर्ग ने किया। सर्व श्री राजीव सिंघल, दीपक गर्ग, प्रदीप सिंघल, अभिषेक गर्ग ने व्यवस्थाएं संभाली।

Dr. Bhanu Pratap Singh