रिटायर्ड जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश को उत्तर प्रदेश की सरकार ने राजधानी लखनऊ के डॉ. शकुंतला मिसरा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का लोकपाल नियुक्त किया है. उत्तर प्रदेश सरकार के संस्थान में डॉक्टर विश्वेश की नियुक्ति तीन साल के लिए हुई है. मीडिया रपटों के मुताबिक नियुक्ति 27 फरवरी ही को हुई जो अब खबरों में आई है.
डॉक्टर विश्वेश की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के मुताबिक दुरुस्त नजर आती है. यूजीसी के प्रावधानों की अगर बात करें तो यह विश्वविद्यालयों में छात्रों के मुद्दों को सुलझाने के लिए एक लोकपाल नियुक्त करने की बात करती है जो रिटायर्ट वीसी, प्रोफेसर या फिर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज में से कोई भी हो सकता है. डॉक्टर विश्वेश की नियुक्ति बतौर रिटायर्ड जज हुई है.
कौन हैं जज अजय कुमार विश्वेश?
उत्तराखंड के हरिद्वार के रहने वाले डॉ. विश्वेश का जन्म 1964 में हुआ. साइंस में ग्रेजुएशन के बाद 1984 में एलएलबी और फिर 1986 में लॉ में मास्टर्स की पढ़ाई कर डॉ. अजय कुमार विश्वेश ने न्यायिक यात्रा शुरू की.
मास्टर्स के तकरीबन चार साल बाद उत्तराखंड के कोटद्वार के मुंसिफ कोर्ट से करियर की जो शुरुआत हुई, वह बुलंदशहर, सहारनपुर और इहालाबाद के जिला जज को होते हुए वाराणसी की जिला अदालत तक अगले करीब साढ़े तीन दशक तक जारी रही.
ज्ञानवापी मामला और डॉक्टर विश्वेश
वाराणसी की जिला अदालत में डॉक्टर विश्वेश की नियुक्ति साल 2021 के अगस्त महीने में हुई. इसके बाद करीब ढ़ाई साल तक वे यहां रिटायरमेंट तक जज के पद पर रहें. ज्ञानवापी केस में कई अहम फैसले जज साहब की कलम से आए जिसके बाद हिंदू पक्ष का केस मजबूत होता चला गया.
मसलन, ज्ञानवापी मस्जिद का ASI सर्वे, ASI सर्वे की रिपोर्ट पक्षकारों को देने का आदेश, श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की मांग करने वाली याचिका को सुनने लायक मानना, मस्जिद के तहखाने को वाराणसी के डीएम को सौंपने वाला फैसला भी डॉक्टर विश्वेश ही के बेंच ने सुनाए.
रिटायरमेंट के आखिरी दिन मस्जिद के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ के अधिकार का ऐतिहासिक आदेश दिया.
– एजेंसी
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