उन्नत पुस्तकालयों के बिना शोध कार्य सम्भव नहीं – प्रो गौड़

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Aligarh, Uttar Pradesh, India.  गुणवत्ता परक शिक्षा, शिक्षक व शिक्षणार्थी ही किसी भी शिक्षा नीति की कुंजी है। उन्नत पुस्तकालयों के बिना शोध कार्य सम्भव नहीं है। क्योंकि शोध के लिए इंटरनेट पर हम निर्भर नहीं रह सकते। यह विचार प्रो0 डॉक्टर रमेश सी गौड़ डीन, आईजीएनसीए और निदेशक (लाइब्रेरी और इनफार्मेशन) और प्रमुख – कला निधि प्रभाग, नई दिल्ली ने मंविवि में अपने व्याख्यान में रखे।

प्रो0 गौड़ ने नई शिक्षा नीति- नवीन शिक्षण, लर्निंग और अनुसंधान विषय पर बोलते हुए कहा परिवार और शिक्षण केंद्र शिक्षा ग्रहण करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। नई शिक्षा नीति शैक्षिक वातावरण बनाना, उच्च शिक्षा में समानता लाना, उद्देश्य की स्थिरता आदि को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा भारत विश्व स्तर पर एजुकेशन हब बनने के लिए एक अच्छा देश है।

मंगलायतन विश्वविद्यालय में आयोजित 10 दिवसीय एफडीपी कम वर्कशॉप के तृतीय दिवस पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार रखे। एफडीपी का विषय ” एनईपी -2020 एन्ड इट्स सिग्निफिकेंस” था। आयोजन दो सत्रों में हुआ। जिनकी अध्यक्षता क्रमश: डॉ राजीव शर्मा व डॉ0 सिद्धार्थ जैन ने की।

कृषि विभाग के अध्यक्ष डॉ0 सईद दानिश अहमद नकवी ने बताया कि भाषा का शिक्षा में बहुत महत्व है। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। मातृभाषा में बात दिल तक पंहुचती है।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की अध्यक्ष मनीषा उपाध्याय ने प्रौढ़ शिक्षा पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि प्रौढ़ शिक्षा को एनईपी में बढ़ावा दिया गया है।

रोडमेप अच्छा है, पर लागू करने में चुनौतियों का सामना करना होगा। जिन्हें बुनियादी स्तर से शिक्षित करने की बात हो उन्हें एकदम से डिजिटल कैसे बनाया जा सकता है।

असिस्टेंट रजिस्ट्रार, डॉ स्वाति अग्रवाल ने व्यवसायिक शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वोकेशनल एजुकेशन को मुख्य शिक्षा के समान माना जाए। उन्होंने कहा कि 2025 तक वोकेशनल शिक्षा का प्रतिशत 50% करने का उद्देश्य है। डॉ सोनी सिंह ने कहा कि नई शिक्षा नीति में तकनीकी शिक्षा पर बल दिया गया है।

मानविकी संकाय के डीन प्रो जयंतीलाल जैन ने कहा कि कुछ शब्दों में नीतियों को बताया नहीं जा सकता। कार्यक्रम निदेशक, प्रो शिवाजी सरकार ने कहा कि एनईपी के प्रैक्टिकल पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। सिर्फ पुरानी नीतियों को संजोने से अच्छा है, किस प्रकार से उन नीतियों को अपनाया जाए।

इस दौरान प्रो उमेश कुमार सिंह, प्रो आरके शर्मा, प्रो असगर अली अंसारी, डॉ अशोक कुमार उपाध्याय, राजेश उपाध्याय, शिज़ु अज़मत, डॉ अनुराग शाक्य, डॉ अंकुर कुमार, डॉ पूनम रानी, डॉ दीपशिखा सक्सेना, डॉ फराह खान, अभिषेक गुप्ता, जितेंद्र यादव, अनुराधा यादव, शिखा शर्मा, सादिया मसरूर, आदि मौजूद थे।