वह इसी जिंदगी में अपना जलाल, जमाल और कमाल दिखा सकते हैं- दादाजी महाराज

PRESS RELEASE

हजूरी भवन, पीपल मंडी, आगरा (Hazuri Bhawan, Peepal mandi, Agra) राधास्वामी मत का आदि केन्द्र है। यहीं पर राधास्वामी मत  (Radha Soami Faith) के सभी गुरु विराजे हैं। राधास्वामी मत के वर्तमान आचार्य (Radhasoami guru Dadaji maharaj) और अधिष्ठाता दादाजी महाराज ( प्रोफेसर अगम प्रसाद माथुर हैं)  जो आगरा विश्वविद्यालय (Agra university Dr Bhimrov ambedkar university agra) के दो बार कुलपति (Vice chancellor of Agra university)  रहे हैं। हजूरी भवन ( Hazuri Bhawan, Peepal Mandi, Agra) में हर वक्त राधास्वामी  (Radha Soami)  नाम की गूंज होती रहती है। दिन में जो बार अखंड सत्संग होता है। दादाजी महाराज ने राधास्वामी मत (RadhaSomai faith) के अनुयायियों का मार्गदर्शन करने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। इसी क्रम में 10 अप्रैल 2000 को सनात धर्मशाला परिसर, रजमन, अम्बाला छावनी (पंजाब, भारत) में सतसंग के दौरान दादाजी महाराज )Dadaji maharaj Prof Agam Prasad Mathur) ने कहा – यदि आप संत सतगुरु का सत्संग करेंगे, उनके बचनों को ध्यान से सुनेंगे और जो वह सुरत-शब्द मार्ग का भेद बतावें, उसका अभ्यास करेंगे तो वह अंत समय प्रकट होकर दर्शन देते हैं।

थोड़ी बहुत प्रीत-प्रतीत लाइए

जब थोड़ी बहुत प्रीत लगेगी तब वह प्रेम की दात बख्शेंगे। आपका काम है प्रीत की डोर में बंधना लेकिन प्रीत की डोर में तब तक बँधा नहीं जा सकता जब तक कि आपको पूरा-पूरा यकीन ना आवे कि यही वह महापुरुष हैं जिनके संग से हमारा उद्धार हो सकता है। थोड़े दिन उनका संग करके उनके बचन बानी को सुनकर, राधास्वामी दयाल की महिमा का जो बखान वह करते हैं उसको सुनकर, थोड़ी बहुत प्रीत-प्रतीत लाइए।

फिर क्यों न यह सौदा कर लिया जाए

वैसे प्रीत और प्रतीक लाने की आपको आदत है। जैसे हर व्यापारी यकीन करके दूसरे व्यापारी को अपना सामान दे देता है कि इसका पैसा वापस आ जाएगा। अगर वह यकीन न करे तो वह व्यापार नहीं कर सकता। इसी तरह से तुम्हारा सच्चा साहूकार गुरु है। उस पर थोड़ा बहुत यकीन करके कि इनके संग से हम ऊंचा से ऊंचा पद, देश और धाम पा सकते हैं, फिर क्यों न यह सौदा कर लिया जाए क्योंकि आप में सौदा करने की आदत है। यहां जो सौदा करते हो उसमें कभी तुम्हें लाभ होता है और कभी हानि लेकिन इस सौदे में कोई हानि नहीं लाभ ही लाभ है, तो हो जाए सौदा।

जब सब साथ छोड़ेंगे तो वह संग रहेंगे कहने का मतलब यह है कि थोड़ा बहुत यकीन लाइए कि राधास्वामी दयाल कुल मालिक हैं। राधास्वामी नाम ध्वन्यात्मक नाम है और संत सतगुरु से बढ़कर हमारा कोई रक्षक, मददगार और उद्धार करने वाला नहीं है। जब सब साथ छोड़ेंगे तो वह संग रहेंगे। वह इसी जिंदगी में अपना जलाल, जमाल और कमाल दिखा सकते हैं। मानिए तो फायदा होगा, ना मानिए तो फिर जम के हाथ खाने पड़ेंगे।