कैंसर रोगियों के लिए वरदान सरीखी है साइको-ऑन्कोलॉजी – Up18 News

कैंसर रोगियों के लिए वरदान सरीखी है साइको-ऑन्कोलॉजी

HEALTH

 

कैंसर की उपज विभिन्न प्रकार के तनावों से होती है जो जीवन के सभी क्षेत्रों में होते हैं। तनावों का स्पेक्ट्रम जटिल है और मोटे तौर पर पांच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है जैसे कि कैंसर का बोझ और उपचार, पारिवारिक दबाव, सामाजिक, वित्तीय और व्यावसायिक बोझ, अस्तित्वगत और आध्यात्मिक मुद्दे और देखभाल प्रणाली के मुद्दे।

अध्ययनों से पता चला है कि कैंसर के रोगियों का एक बड़ा हिस्सा मानसिक विकार से ग्रस्‍त रहता है।

इंटरनेशनल साइको-ऑन्कोलॉजी सोसाइटी (आईपीओएस) का मुख्य लक्ष्य है कैंसर के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर ज्यादा ध्यान देना, मरीजों को इलाज की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराना, उन्हें कैंसर के इलाज से जुड़ी जगहों की जानकारी देना और कैंसर के इलाज से जुड़ी स्थितियों को बेहतर बनाना.

आईपीओएस की स्थापना 1984 में हुई थी. यह संगठन कनाडा के टोरंटो और अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थित है, जो दुनिया भर में साइको-ऑन्कोलॉजी को कैंसर के इलाज का अभिन्न अंग बनाने के लिए काम करता है. अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए यह संगठन कई अंतरराष्ट्रीय समूहों के साथ मिलकर काम करता है. साथ ही, यह कैंसर से जुड़े तमाम पहलुओं पर गहन शोध को बढ़ाने का काम कर रहा है.

इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) के मुताबिक, 2020 में दुनिया भर में 1.9 करोड़ से अधिक लोगों में कैंसर का पता चला. आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी. आईएआरसी का अनुमान है कि 2020 में दुनिया भर में कैंसर से मरने वालों की संख्या 99 लाख 60 हजार थी, जो 2040 तक लगभग दोगुनी होकर एक करोड़ 63 लाख हो जाएगी.

ऐसे में साइको-ऑन्कोलॉजी काउंसलिंग और थेरेपी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कैंसर से जूझ रहे सभी मरीजों को एक ही तरह की चिंता और आशंकाओं का सामना करना पड़ता है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे किस तरह के कैंसर से प्रभावित हैं या वे अफ्रीका, यूरोप या एशिया कहां रह और इलाज करा रहे हैं.

एक रोगी ने बताया कि मुझे पता चला कि अभी भी मेरे शरीर में कैंसर कोशिकाएं मौजूद हैं,अग्न्याशय में कैंसर को डॉक्टरों ने सर्जरी करके बाहर निकाल दिया परंतु अवशिष्ट कोशिकाएं बची रह गईं . कैंसर के इलाज के कई साइड इफेक्ट भी होते हैं, जैसे कि मतली, उल्टी और स्वाद में बदलाव. ब्रेड का स्वाद सैंडपेपर की तरह लगता , केले बहुत मीठे लग रहे थे.

साइको-ऑन्कोलॉजी काउंसलर मरीजों की दिनचर्या को बेहतर बनाने और समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं. वे इलाज से जुड़े अगले संभावित चरणों के बारे में जानकारी देते हैं. मरीजों को यह भी बताते हैं कि उन्हें किस तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और उससे किस तरह से निपटना चाहिए.

मरीजों के परिजनों को भी मदद की दरकार

कैंसर का पता चलने पर न सिर्फ किसी व्यक्ति की जिंदगी बदल जाती है, बल्कि उसके परिवार के सदस्यों का जीवन भी बदल जाता है. अध्ययनों से पता चलता है कि परिजन भी मनोवैज्ञानिक तनाव से जूझ रहे होते हैं.

– एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh