2030 तक 35 हजार गांवों तक जाने का लक्ष्य, फिर आगरा में मिलेंगे
पूरन डावर ने कहा- 5जी की स्पीड से चलेगा, एक लाख गांवों तक पहुंचेंगे
ए.एफ.आई. के राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन भी संस्कार देने वाला रहा
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (पूर्ववर्ती आगरा विश्वविद्यालय) की प्रथम स्थाई महिला कुलपति प्रो. आशु रानी ने स्वयं को शिक्षा सेविका घोषित किया है। उन्होंने आरोग्य फाउंडेशन ऑफ इंडिया (AFI) को आरोग्य कार्यकर्ता तैयार करने के लिए समझौता करने का प्रस्ताव भी दिया है। यह भी कहा है कि आरोग्य फाउंडेशन का अगला राष्ट्रीय अधिवेशन विश्वविद्यालय के जेपी सभागार में कराएं। उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय का एक उद्यान औषधि उद्यान के रूप में विकसित करेंगी। फाउंडेशन का 2030 में राष्ट्रीय अधिवेशन आगरा में कराने का प्रस्ताव है।
प्रो. आशु रानी विवि के संस्कृति भवन में आयोजित आरोग्य फाउंडेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अधिवेशन के समापन समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होँने समारोह की अध्यक्षता की। प्रो. आशु रानी ने कहा कि एकल अभियान मेरे लिए नया नहीं है। कोटा (राजस्थान) में इसके कार्क्रमों में कई बार भाग लिया है। यह फाउंडेशन एक संस्कार है, राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रहा है, अलग तरीके से अलख जगा रहा है। हमारे प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों की श्रृंखला इसमें परिलक्षित है। आरोग्य फाउंडेशन ऐसी संस्था है जिसने भारतवर्ष की संस्कृति को बचाकर रखा है। भारत में रोग पहचानने और बीमारियों को दूर करने की जो आयुर्वेदिक संस्कृति है, उसको बचा रहा है। जरूरी नहीं है कि दू-दूर तक डॉक्टर जाएं या रुकें लेकिन फाउंडेशन की सेविकाएं दिन रात एक नर्स की तरह भी काम कर रही हैं। हमारे राजस्थान में जो कार्य हुए हैं, उनमें मैंने भाग लिया है, इसलिए जानकारी है।
कुलपति ने कहा- आगरा मेरा अपना शहर है। आगरा में मैं भी शिक्षा सेविका के रूप मे पधारी हूँ। हम कैसे जुड़ सकते हैं, यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। आपके पास जो जानकारी है, वह किस तरह से छात्रों तक पहुंचे। हमारे विभाग जैसे एमएसडब्ल्यू, बोटनी विभाग, पर्यावरण विज्ञान विभाग को भी प्रशिक्षित करें। आपके कार्यक्रमों को कार्यशालाओं के माध्यम से हम छात्रों तक पहुंचाएं तो शायद कार्यकर्ता बनाने की आवश्यकता न पड़े। संस्कारों में कार्यकर्ता बन जाएगा। मेरा यही प्रयास हमेशा रहा है।
प्रो. आशु रानी ने कहा- निवेदन है कि हमारे विश्वविद्यालय से लेटर ऑफ इंटेंट या मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (Memorandum of understanding ) कर सकते हैं। हम आधिकारिक दस्तावेज तैयार कर कार्य करें। घोषणा करती हूँ कि एक गार्डन औषधि गार्डन बनेगा, जिसमें सभी प्रकार की औषधियां होंगी। मुझे पता है कि तुलसी के कितना लाभ है। ऐलोवैरा को हम प्रयोग करते रहते हैं। हमारी जो सेविकाएं गांव में औषधियां बना रही हैं हम क्यों नहीं उन औषधियों को वृहद स्तर पर बना सकते हैं। विश्वविद्यालय की तकनीकी का प्रयोग करें। यह स्टार्टअप की तरह होगा। इससे आरोग्य सेविकाओं को सम्बल मिलेगा। औषधियां उगाने और बनाने के लिए फाउंडेशन तकनीकी विंग तैयार करे, यह मेरा निवेदन है। आपके दो दिन में जो भी कार्यक्रम हुए हैं, उनकी कुछ तो लहरें हमारे प्रांगण में रह जाएंगी और हमारे छात्रों को संस्कारित करेंगी। हम सब साथ मिलकर छात्रों को भी इस ओर मोड़ने की तरकीब निकालें।
उन्होंने आरोग्य सेविकाओं की ओर उन्मुख होकर कहा– ये सेविकाएं शक्ति हैं। यही सेविकाएं सेवक तैयार करेंगी क्योंकि इनमें क्षमता है। सेविकाएं किसी से कम न समझें। आप सुंदर सेविका बनकर काम करें, मैं भी ऐसा ही कर रही हूँ क्योंकि आगरा विश्वविद्यालय में काम करना कठिन है। मैं संघ से जुड़ी रही रही हूँ, इसलिए जानती हूँ कि संस्कार क्या होते हैं।
राष्ट्रीय अधिवेशन की आयोजन समिति के अध्यक्ष और ट्रस्टी, समाजसेवी, उद्योगपति पूरन डावर ने सभी का धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आरोग्य सेविकाओं ने यहां जिस तरह से अपने कार्यों का प्रस्तुतीकरण दिया है, वह अद्भुत है। गांवों में सोख्ता गड्ढा, पोषण वाटिका, औषधि वाटिका बनवाई हैं। टेलीमेडिसिन से इलाज दिलाया है। 5जी की स्पीड से प्रकल्प चलेगा। एक लाख गांवों तक जल्दी ही पहुंचेगा।
आरोग्य के केन्द्रीय मार्गदर्शक डॉ. मुकुल भाटिया ने कहा कि हम 2030 तक 35 हजार गांवों में कार्य को पहुंचा चुके होंगे तो लौटकर फिर आगरा आएंगे। जोरदार तालियां बजाएंगे। तब यह हॉल छोटा पड़ जाएगा। यह सुनकल कुलपति ने कहा कि जेपी सभागार है।
फाउंडेशन के राष्ट्रीय सचिव सतीश गुप्ता ने कहा- हमारा यह कार्य अपने को खुश करने के लिए तो है ही, हम समाज, देश और मानवता के लिए कर रहे हैं। यह भगवान का कार्य है। इस कार्य पर हमें गर्व होना चाहिए। बड़ा लक्ष्य लेकर चलेंगे तो छोट-मोटे कार्य अपने आप होते चले जाएंगे। कार्य की गुणवत्ता कायम रहे। कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देना है। जिस गांव में रहते हैं, वहां वातावरण अच्छा होना चाहिए।
राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ. शम्मी कालरा ने बताया कि यह तृतीय राष्ट्रीय अधिवेशन है। आरोग्य सेविका गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सफाई, वॉटर हार्वेस्टिंग का अलख जगाती है। आगरा के फतेहपुर सीकरी के गांव मंगोली में सर्वे किया। वहां परिवर्तन आया है।
हरि सत्संग समिति के डॉ. सूर्य प्रकाश शर्मा ने कहा– यह राष्ट्रीय और ईश्वरीय कार्य है। बीमारी के कारण लोग गरीब हो रहे हैं। आरोग्य की योजना से भारत विकसित राष्ट्र बनेगा। सेवा सबसे बड़ा पवित्र कार्य है। हमें समाज को खड़ा करना है।
मंच पर एकल आरोग्य के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. आरएन मेहता, बृज संभाग के अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, डॉ. राकेश गुप्ता (अमेरिका), डॉ. वाणी अहलूवालिया (सचिव), आगरा चैप्टर के अध्यक्ष मुरारीलाल फतेहपुरिया उपस्थित थे। बढ़िया संचालन के लिए अमरेश कुमार को सम्मानित किया गया। असम की ज्योति क्वेरी ने हिन्दी में अपने अनुभव बताने का प्रयास किया लेकिन वे अटक गईं। महादेव पाटीदार ने अधिवेशन की व्यवस्थाओं को सराहा।
कार्यक्रम शुरू होने से पहले आरोग्य सेविकाओं ने भजनों की प्रस्तुत की। ओम ध्वनि और गायत्री मंत्र के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। सभी के सुख और निरोगी होने की कामना की गई। अतिथियों ने मंत्र के साथ दीप प्रज्ज्वलन किया। कुलपति प्रो. आशु रानी का सम्मान किया गया। इस दौरान भारत माता की जयकार की गई। कार्यक्रम समापन पर भी देश और धर्म की सेवा करने वाले जयकारे लगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय अधिवेशन का समापन हो गया। 17 अक्टूबर को आगरा और मथुरा का दर्शन करने जाएंगे प्रतिभागी।