सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इबादत में मशगूल हैं बंदी

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Agra, (Uttar Pradesh, India)। मुस्लिम समाज के लोग लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए इबादत में मशगूल हैं।  वहीं, जेल में बंद तीन सैंकड़ा से अधिक सजायाफ्ता कैदी रोजा रखकर शिद्दत के साथ इबादतगुजार हैं। जेल प्रशासन की तरफ से की गई व्यवस्थाओं से बंदी खुश हैं। 323 रोजदार बंदियों के लिये सहरी और इफ्तार के सामान की व्यवस्था जमीअत-उलमा-ए-हिन्द तथा ऑल इंडिया मुस्लिम वैलफेयर सोसाइटी की जानिब से कराई जा रही है। 

40 सालों से पंहुचा रहे सामान 

जमीअत उलमा ए हिंद के प्रवक्ता सगीर अहमद ने बताया कि सेंटर जेल में रह रहे 323 लोग रोजा रख रहे हैं। जिनके के लिए कमेटी द्वारा रोजा इफ्तार का सामान पहुंचाया जा रहा है। सगीर अहमद ने बताया कि वह पिछले 40 साल से जेल के रोजेदार बंदियों के लिए सामान पहुंचा रहे हैं और लॉक डाउन में भी सामान पहुंचाया जा रहा है। रोजेदार इस बात से खुश हैं कि जेल प्रशासन उनकी हर एक जरूरत का ध्यान रख रहा है। रोजे शुरू होने से पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों को लग रहा था कि लॉक  डाउन के चलते वह रोजे कैसे रखेंगे, सेंटर में न तो उन्हें सहरी मिल पाएगी और न ही सहरी व इफ्तार का समय पता चल पाएगा।



नहीं लिया जा रहा भारी काम 

कमेटी की ओर से प्रतिदिन ही रोजेदार बंदियों के लिए मौसमी फल भी भेजे जा रहे हैं। रोजाना लगभग 500 किलो फल कमेटी की ओर से बंदियों को इफ्तार के लिए दिए जा रहे हैं। कमेटी सूत्रों के मुताबिक जेल में ही बंदी रोजेदार नमाज अदा कर रहे हैं। जिन रोजेदारों को कुरान पढ़ना आता है वे कुरान शरीफ की तिलावत भी कर रहे हैं। आगरा सेंट्रल जेल के जेलर शिव प्रताप मिश्रा ने बताया जेल में औसतन 323 बंदी रोजा रख रहे हैं। इनके लिए  जमीअत उलमा ए हिंद और  ऑल इंडिया  मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी व प्रशासन की ओर से निशुल्क सेहरी व इफ्तार की सामग्री मुहैया कराई जा रही है। अधिकांश बंदी अंडर ट्रायल हैं। ऐसे में इनसे कोई भारी काम नहीं लिए जाते।