anil kumar dhyani

CRPF कमांडेंट अनिल कुमार ध्यानी को राष्ट्रपति पुरस्कार, जानिए उनके शौर्य की कहानी

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL

Aligarh, Uttar Pradesh, India. अलीगढ़ में आरएएफ बटालियन 104 में कमांडेंट के पद पर तैनात रहे अनिल कुमार ध्यानी को राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वर्तमान में उनका परिवार शहर के रामघाट रोड पर निवास करता है। कमांडेंट ध्यानी को सराहनीय सेवाओं के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है । फिलवक्त वह आईजी देहरादून सेक्टर में कमाण्डेंट सीआरपीएफ प्रशासन के पद पर तैनात हैं।

पौढ़ी गढ़वाल में जन्म

उत्तराखण्ड के पौढ़ी गढ़वाल जिले में अनिल कुमार ध्यानी 1994 में सीआरपीएफ में बतौर असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में भर्ती हुए। ट्रेनिंग के बाद नॉर्थ ईस्ट जम्मू कश्मीर और नक्सली आतंकवाद प्रभावित छत्तीसगढ़ में कार्य करते हुए अपनी सेवा के दौरान शौर्य का परचम लहराया हैं। अनिल कुमार ध्यानी 2013 से 2016 तक रामघाट रोड स्थित आरएएफ 104 बटालियन के कमांडेंट रहे हैं।

नक्सलियों से लिया लोहा

अनिल ध्यानी ने वर्ष 2010 से 2013 तक छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र बक्सर में कमांडेंट पद पर तैनात रहे। वहां नक्सलवादियों से कई बार मुठभेड़ हुई, जिसमें कई नक्सलवादियों को ढेर कर दिया । अपने जवानों की हौसला अफजाई करते हुए कई ऑपरेशन में सफलता प्राप्त की।

अमरनाथ यात्रा श्रद्धालुओं के बने सुरक्षा कवच

 जम्मू कश्मीर के गंदरबल घुंड स्थित 118 बटालियन के कमांडेंट के रूप में अनिल कुमार ध्यानी वर्ष 2016 -2021 तक  कार्य किया। अपनी तैनाती की शुरुआत में ही दुश्मन से साहस से मुकाबले के लिए डीजी सीआरपीएफ मुख्यालय में सुर्खियां बटोरी। इसके बाद केंद्र सरकार ने अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा कवच की जिम्मेदारी अनिल कुमार ध्यानी को सौंपी । जम्मू कश्मीर में तैनाती के दौरान श्रीनगर के लाल चौक पर आतंकवादी और पत्थरबाजों ने श्रद्धालुओं से भरी बस पर हमला किया था। इस दौरान अनिल कुमार ध्यानी ने कमांडो के साथ ऑपरेशन चलाया। कई आतंकवादियों को मौके पर ही ढेर कर दिया। अनुभव और कुशल नेतृत्व के चलते 2016 से 2021 तक गंधर्व घुंड 118 बटालियन की कमांड सौंपी गई। अमरनाथ यात्रा के लाखों श्रद्धालुओं को सुरक्षित यात्रा कराने का श्रेय जाता है।

104 आरएएफ वाहिनी शांतिदूत की भूमिका में रहे

 कमाण्डेंट ध्यानी ने देश की सरहदों की सुरक्षा के साथ ही धार्मिक स्थलों की सुरक्षा कवच के रूप में जिम्मेदारी का निर्वहन किया है। समय समय पर प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी मास्टरमाइंड की भूमिका में जाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर में जब दंगे हुए तब उन्हें शांति दूत के रूप में  भेजा गया। वहा उन्होंने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए बिगड़े माहौल को संभाला। जाट आंदोलन के दौरान, अलीगढ़ में तैनाती के दौरान कई बार धधकते अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं ऊपरकोट पर हुए साम्प्रदायिक दंगों में प्रशासन के साथ मिलकर शांति व्यवस्था कायम कराने में अहम भूमिका निभाई।

पुरस्कारों की लम्बी फेहरिस्त

अनिल कुमार ध्यानी को जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सेवाओं के दौरान सात बार बल के महानिदेशक द्वारा डीजी डिस्क एवं प्रशस्ति पत्र से नवाजा गया। दो बार जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक डिस्क और प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें जम्मू कश्मीर में हुए लोकसभा, विधानसभा एवं ग्राम सभा के चुनाव शांतिपूर्वक कराने के लिए दिया गया। जम्मू कश्मीर में धारा-370 समाप्त किये जाने के बाद आतंकवादियों और पत्थरबाजों पर नकेल कसने के लिए अनिल कुमार ध्यानी ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की देश के चुनिंदा अफसरों की तैनाती की गई थी जिसमें सबसे पहले अनिल कुमार ध्यानी को भेजा गया। जम्मू कश्मीर में 10 वर्षों से अधिक तैनात रहे है।

अनिल कुमार ध्यानी अपनी पत्नी नीलम ध्यानी के साथ

क्या कहती हैं पत्नी

अनिल कुमार ध्यानी की धर्मपत्नी प्रमुख समाजसेवी महिला शिक्षा व बाल शिक्षा पर मुहिम चलाने वाली नीलम ध्यानी ने बताया कि इस सम्मान के लिए व्यक्तिगत जीवन भर की कार्यशैली, देश के प्रति जवान का समर्पण, अपने साथी जवानों के प्रति कोमल हृदय, आतंकवादी नक्सलवादियों के लिए कठोर कदम नौकरी के समय में लोगों से संपर्क आदि जैसी बातों पर देश की सर्वश्रेष्ठ खुफिया एजेंसियों द्वारा सकारात्मक सूचना पर ही देश के उच्च अधिकारियों के सामने चयन किया जाता है। यह मेरे लिए ही नहीं बल्कि पूरे सीआरपीएफ के जवानों के लिए सम्मान की बात है।

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