धर्म रक्षा के लिए दो चमकौर युद्ध में शहीद हुए, दो दीवार में जिंदा चिनवा दिए
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. सिखों के दशम गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी के चार साहिबजादे। धर्म की रक्षा के लिए चार साहिबजादों ने शौर्यपूर्ण शहादत दी। 10 लाख सैनिकों के सामने चमकौर (पंजाब के रुपनगर जिले में एक नगर) के मैदान में हुए युद्ध के दौरान 22 दिसंबर, 1704 को गुरु गोविंद साहिब के बड़े साहिबजादे अजीत सिंह और फिर जुझार सिंह शहीद हुए। 26 दिसंबर, 1704 में गुरुगोविंद सिंह के दो साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को इस्लाम धर्म कबूल न करने पर सरहिंद (पंजाब में फतेहगढ़ साहिब) के नवाब ने दीवार में जिंदा चिनवा दिया। साहिबजादों के शहीद होने की ख़बर सुन कर गुरु गोविंद सिंह की माता गुजरी जी ने भी प्राण त्याग दिए। चार साहिबजादों की शहादत को हजारों विद्यार्थियों ने मानव श्रंखला बनाकर नमन किया। एमजी रोड पर सुभाष पार्क से लेकर भगवान टॉकीज चौराहा तक मानव श्रृंखला बनाई गई। इस दौरान ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल’ की गूंज होती रही।
शहीदी सप्ताह के अंतर्गत आगरा के समस्त स्कूलों की एक विशाल मानव श्रृंखला का आयोजन नगर की धार्मिक व सामाजिक संस्था सुखमनी सेवा सभा द्वारा किया गया। यह आयोजन अपने आप में एक अद्भुत आयोजन था। एक कतार में सुभाष पार्क से लेकर भगवान टाकीज तक बच्चों की मानव श्रृंखला और जयकारों के उद्घोष के बीच वातावरण जोशपूर्ण व भक्ति भाव वाला बना रहा। छोटे-छोटे बच्चों की कतारें और एमजी रोड से गुजरने वाले तमाम शहरवासी जैसे भक्ति रस में सराबोर होते रहे।

सर्वप्रथम स्पीड कलर लैब के बाहर बनाए गए स्टेज से साहबजादों के बलिदान से संबंधित एक नाटक छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके बाद चार साहिबजादों की मीठी याद में शहर के चार दो बच्चों व दो बच्चियों को चार साहिबजादों के नाम से चार पुरस्कार नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल, आदित्य सिंह एसीपी हरीपर्वत, संयुक्त निदेशक शिक्षा आरपी शर्मा द्वारा प्रदान किए गए।
समारोह में बताया गया कि गुरु नानक पातशाह जी ने सिख धर्म में स्त्री को बराबर का दर्जा दिया है। उन्होंने अपने वचनों में कहा है- सो क्यों मंदा आखियै जित जमे राजन, आखिर उसको क्यों हम बुरा कहे जिसकी कोख से राजा, महाराजा, पीर, फकीर अवतारों का जन्म होता है।
भव्य समारोह में स्कूलों के प्रबंधकों को भी सम्मानित किया गया। सुखमनी सेवा सभा द्वारा नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल, आईपीएस आदित्य, महंत योगेश पुरी, सिंह सभा प्रधान कंवलजीत सिंह, अभियान फाउंडेशन के रवि दुबे, रानी सिंह व अनूप वर्मा को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम के संयोजक बंटी ग्रोवर ने सभी स्कूलों का आभार व्यक्त किया। सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस समारोह में सुखमनी सेवा सभा के तमाम नौजवान साथियों का अद्वितीय योगदान रहा। कतारबद्ध खड़े बच्चों को नाश्ते का वितरण किया गया।
साहबजादों की याद में इन्हें मिला सम्मान
बाबा अजीत सिंह अवार्ड सरदार सोजस सिंह, बाबा जुझार सिंह अवॉर्ड जसनूर सिंह, बाबा जोरावर सिंह अवॉर्ड बच्ची रुद्रा व बाबा फतेह सिंह अवॉर्ड कमलजीत कौर को प्रदान किया गया।

इस अवसर पर नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने साहबजादों की शहादत को शत-शत नमन किया। उनके बताए सच के मार्ग को सभी बच्चों से जीवन में आत्मसात करने की प्रेरणा दी। आईपीएस अधिकारी आदित्य सिंह ने साहबजादों के बलिदान को नमन किया। महंत योगेश पुरी, कँवलदीप सिंह, शरद चौहान पार्षद, रवि दुबे ने भी अपने उदगार व्यक्त करते हुए इस महान गौरवशाली इतिहास को अपने जीवन में उतारने की अपील की।
सुखमनी सेवा सभा के वीर महेंद्र पाल सिंह को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनीष नागरानी, डॉक्टर पूजा व सिमर गुलाटी ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में जसबीर सिंह अरोरा, रिंकू गुलाटी, विक्की पुरी, गुरमुख व्यानी, ज्ञानी कुलविंदर सिंह, योगेश कुमार आदि का सहयोग रहा।
संपादक की टिप्पणी
यह कार्यक्रम हर वर्ष विशाल स्तर पर होता जा रहा है। वर्ष 2023 का कार्यक्रम शांति दूत बंटी ग्रोवर के नाम रहा। वही दो महीने से योजना बना रहे थे। स्कूलों से संपर्क कर रहे थे। आयोजकों और प्रशासन के बीच की कड़ी थे। इस बार गुरुद्वारा गुरु का ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह नहीं आए। इसे लेकर भी तरह-तरह की चर्चा होती रही। कहा जा रहा है कि गुरुद्वारा गुरु का ताल के कार्यक्रमों में बंटी ग्रोवर की भूमिका को नगण्य कर दिया गया। इसका परिणाम यह रहा है कि चार साहिबजादों को नमन कार्यक्रम में संत बाबा प्रीतम सिंह की भूमिका नगण्य हो गई। वर्ष 2022 के कार्यक्रम में बाबा प्रीतम सिंह सबसे आगे थे। बंटी ग्रोवर उनकी छाया की तरह थे। इस बार छाया अलग हो गई।
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