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पारस का अर्थ है भगवान पार्श्वनाथ, अरिंजय का अर्थ है राक्षसों का नाश करने वाला, फिर भी ऐसे डॉक्टर की रक्षा करते हैं जैन समाज के पुरोधा, पढ़िए 22 मौतों की पूरी दास्तान और 11 सवाल

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Agra, Uttar Pradesh, India. उत्तर प्रदेश के आगरा में दो दिन से चर्चा है तो श्री पारस हॉस्पिटल की। इसलिए कि ऑक्सीजन के मॉकड्रिल में 22 कोरोना मरीजों को मार डाला। पारस हॉस्पिटल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन का वीडियो ‘जंगल में आग’ की तरह फैला तो सारी हकीकत सामने आ गई। जमाना सोशल मीडिया का है। घर-घर में चर्चा हो गई। कांग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया व्यक्त की तो मुद्दा राष्ट्रीय बन गया। दिल्ली और नोएडा का मीडिया आ धमका। लाइव न्यूज आने लगी। अप्रैल माह में ऑक्सीजन के कमी से मौतों का मामला फिर उजागर हो गया। ऐसे में जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह को अपना बचाव करना ही था। जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कह चुके हैं कि ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है तो भला डीएम कैसे मानते कि ऑक्सीजन की कमी है। वीडियो जारी कर कहा कि सिर्फ चार मरीजों की मौत हुई है। मजिस्ट्रेट से जांच कराने की बात भी कही। इसके साथ ही उन्होंने मीडिया के खिलाफ ट्विट पर भड़ास निकाली। मीडिया को तमाम तरह के उपदेश दे डाले। संदेश गया कि कहीं न कहीं डॉ. अरिंजय जैन को बचाया जा रहा है। अंत में अस्पताल को सीज करना पड़ा। यहां के मरीज अन्यत्र स्थानांतरित किए गए। यह घटनाक्रम कई सवाल छोड़ गया है। यह भी साफ हो गया कि तरफदारी ‘नेता जी’ ही नहीं, ‘प्रशासन’ भी करता है, वह प्रशासन जिससे निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है और जिस पर मुख्यमंत्री का अटूट भरोसा है। पारस हॉस्पिटल का नाम जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के नाम पर है। चलाने वाला भी जैनी है। इस तरह पारस हॉस्पिटल के भगवान पार्श्वनाथ और जैन धर्म के नाम पर बट्टा लगा दिया है। आशा की जा रही है कि कोरोना की पहली लहर में डॉ. अरिंजय जैन को बचाने वाले जैन समाज के पुरोधा कम से कम इस बार आगे नहीं आएंगे। अगर वे डॉ. अरिंजय जैन को बचाने आते हैं या उसे सजा दिलाने का काम नहीं करते हैं तो वे भी 22 मौतों के जिम्मेदार होंगे। यह वही पारस हॉस्पिटल है जिसने कोरोना की पहली लहर अप्रैल, 2020 में 10 जिलों में कोरोना संक्रमण फैलाया था। सील लगी। फिर खुल गई। जैन समाज के पुरोधाओं ने कृपा बरसाई तो दूसरी लहर में कोविड हॉस्पिटल बन गया।

अरिंजय का अर्थ है राक्षसों का नाश करने वाला

आगे बढ़ने से पहले भगवान पार्शवनाथ के बारे में जानते हैं ताकि पता चले कि एक जैनी ने कितना घोर पाप किया है। जैन धर्म के तेईसवें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ हैं। उनका जन्म आज से लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व वाराणसी में हुआ था। उनके पिता अश्वसेन वाराणसी के राजा थे। भगवान पार्श्वनाथ ने अहिंसा का दर्शन देते हुए कहा- अहिंसा सबके जीने का अधिकार है। उन्होंने जनता को संदेश दिया- ‘सव्वे पाणा पियाउवा, सव्वे दुक्ख पडिकुला।’ यानी सबको जीवन प्रिय है, दुख को कोई नहीं चाहता। ऐसे भगवान पार्श्वनाथ (जिन्हें पारस भी कहा जाता है) के नाम पर है आगरा में है श्री पारस हॉस्पिटल। पारस का एक अर्थ है- लोहे से सोना बनाने वाला एक पत्थर। इसका एक मतलब निरोगी भी है। कितना अच्छा नाम है पारस, जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर का नाम। संचालक भी जैनी। नाम है-  डॉ. अरिंजय जैन। अरिंजय का अर्थ है राक्षसों का नाश करने वाला (Destroyer of demons) या रक्षक (Protector)। काम किया बिलकुल उलट। राक्षसों का नाश करने के स्थान क्या किया, सबके सामने है। मैं यह तो नहीं लिख सकता कि वे स्वयं राक्षस बन बैठे, हां आप सोच सकते हैं क्योंकि स्वतंत्र हैं। मीडिया की अपनी सीमा है, जिसे सबको ध्यान में रखना चाहिए।

छह मिनट के चार वीडियो

अब बात करते हैं डॉ. अरिंजय के वायरल हुए चार वीडियो के बारे में। हम आपको शब्दशः बता रहे हैं कि वीडियो में डॉ. जैन खुश होकर किस तरह अपनी प्रशंसा कर रहे हैं। आगरा के पारस अस्पताल में 26 अप्रैल को सुबह सात बजे पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद कर मॉकड्रिल की गई थी। इस बारे में छह मिनट के चार वीडियो वायरल हुए हैं। इनमें पारस अस्पताल के संचालक अरिंजय जैन बता रहे हैं कि इस मॉकड्रिल से 22 मरीजों का दम घुटने लगा था और उनके हाथ-पैर नीले पड़ गए थे। इस दौरान अस्पताल में 96 मरीज भर्ती थे।

प्रथम वीडियो

डॉ. अरिंजन जैन: मेरे पास ट्रेडर का फोन आया। संभवी वाले का… कहां हो बॉस आप कहां हो.. मैंने कहा-राउंड ले रहा हूं। उसने कहा-राउंड लेते रहना, हम मिलने आ रहे हैं। मैंने पूछा क्या हो गया। वह बोले-अरे नहीं, बॉस कत्ल की रात है। मुझे लगा कोई कांड हो गया ऑक्सीजन का। 12 बजे वह आया। उसने कह दिया सर सुबह तक का माल है। मोदी नगर ड्राई हो गया। गाजियाबाद ड्राई हो गया। दिल्ली से गाड़ी आ नहीं रही। माल नहीं आ पाएगा। मैंने कहा-कैसी बात करते हो ऑक्सीजन नहीं मिलेगी क्या, उसने कहा-कहां से मिलेगी। डीएम साहब ऑक्सीजन नहीं देंगे, कहां से देंगे। हम तो उसकी (ट्रेडर) बात को हल्के में ले रहे थे। आधा घंटा तो स्वीकार करने में लगा कि ऐसी घटना भी हो सकती है आगरा में कल। मरीज भर्ती थे 96… मेरे पास 12 घंटे का समय था।

द्वितीय वीडियो

डॉ. अरिंजन जैन : मेरे पास 12 घंटे का समय था, या ये सब मर जाएंगे या इन्हें रेफर कर दो। दिमाग बिल्कुल खत्म, कोई रास्ता दिखा ही नहीं। एक घंटे तक वार्डों में फोन किया कि कैसे बचें ये मरीज। रात एक बजे एक पत्र लिखा तीमारदारों के लिए आवश्यक सूचना। कि आगरा में पावर सप्लाई ऑक्सीजन की खत्म हो गई है। 

मरीजों के तीमारदार कहीं से इंतजाम कर लें। सुबह 10 बजे तक समय है। पत्र दिया नरेंद्र, गौरव चौहान को, लालजीत को। कहा कि सभी मरीजों को पढ़ा के आओ। नोटिस चस्पा करते तो वायरल हो जाता। ढाई बजे रात में हड़कंप। हॉस्पिटल के बाहर तीमारदार इकठ्ठा हो गए।

दूसरा शख्स: जीवन ज्योति में तो खूब मारपीट हुई। 

डॉ. अरिंजन जैन : अरे नहीं मेरे यहां कोई घटना नहीं हुई है। मैं रिसेप्शन पर आया। सभी लोग लॉबी में खड़े थे। लोगों को समझाया तो लोग बोले कि हम जिएं या मरें कहां जाएंगे। सभी ने जाने से इनकार कर दिया।

तृतीय वीडियो

डॉ. अरिंजन जैन : इसके बाद फैसला हो गया कि कोई कहीं नहीं जाएगा। हमने कहा, इतना बड़ा कांड हो गया, लास्ट ईयर कांड तो कुछ भी नहीं था। अब लिखा जाएगा कि पारस में 96 मरीजों की मौत। दूसरे शख्स ने कहा-मौत का मंजर देखने को मिलेगा। अब तो हो गया खेल खत्म। अब कैरियर भी खत्म। 304 लिखवाएंगे पत्रकार, मानेंगे नहीं। जेल भी होगी। आखिरी रात है, क्या करते फिर से मैंने ऑक्सीजन का ग्रुप पकड़ा। उस पर एक बड़ा पत्र डाला। 

अपनी मजबूरी लिखी। मैंने पत्र डाला कि ऑक्सीजन खत्म हो गई है। मैंने त्यागी वेंडर्स आदि से मदद मांगी। कुछ लोगों के रिप्लाई आया। एक ने 5 सिलेंडर देने की बात कही। मैंने कहा इससे क्या होगा। दो लाख, पांच लाख, दस लाख की गाड़ी ले लो, लेकिन सिलिंडर दे दो। भोपाल या कहीं से भी दिलवाओ। जिंदगी बचानी थी, कैरियर बचाना था। मैंने कहा-सोने का भाव लगा दो, टैंकर खड़ा करो। कैसे भी खड़ा करो। मुख्यमंत्री भी सिलिंडर नहीं दिलवा सकता था।

चतुर्थ वीडियो

डॉ. अरिंजन जैन : मैंने आईएमए के संजय चतुर्वेदी को फोन किया। वह बोले-बॉस कि आप मरीजों को समझाओ, डिस्चार्ज करना शुरू करो। ऑक्सीजन कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री भी ऑक्सीजन नहीं मंगा सकता। मोदीनगर ड्राई हो गया है। मेरे तो हाथ-पांव फूल गए। कुछ लोगों (मरीजों के परिवार वालों को) को व्यक्तिगत समझाना शुरू किया। 

कहा- समझो बात को। कुछ पेंडुलम बने रहे.. नहीं जाएंगे… नहीं जाएंगे। कोई नहीं जा रहा है। फिर मैंने कहा दिमाग मत लगाओ अब वो छांटो जिनकी ऑक्सीजन बंद हो सकती है। एक ट्रायल मार दो। पता चल जाएगा कि कौन मरेगा कौन नहीं। मॉकड्रिल सुबह 7 बजे की। शून्य कर दिए… 22 मरीज छंट गए, 22 मरीज। नीले पड़ने लगे हाथ पैर, छटपटाने लगे, तुरंत खोल दिए। 

दूसरा शख्स : कितने देर की मॉकड्रिल थी। 

डॉ. अरिंजय जैन : 5 मिनट की मॉकड्रिल थी, इसके बाद तीमारदारों से कहा कि अपना-अपना सिलिंडर लेकर आओ। सबसे बड़ा प्रयोग यही रहा।

पारस हॉस्पिटल से रात्रि में ही शिफ्ट कर दिए गए कोरोना मरीज

थाना न्यू आगरा में रिपोर्ट दर्ज

थाना  न्यू आगरा में श्री पारस हॉस्पिटल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. आरके अग्निहोत्री ने रिपोर्ट दर्ज कराई है। धारा 144 के उल्लंघन, महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम लगाया गया है। प्रशासन ने मुकदमे में कहा है कि आगरा में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता थी। संचालक के वायरल वीडियो से भ्रम की स्थिति बनी।  रिपोर्ट में कहा गया है- सात जून को सोशल मीडिया के माध्यम से तथाकथित वीडियो वायरल हुआ। इसमें डॉ. अरिंजय जैन, संचालक, श्री पारस अस्पताल की ओर से मोदीनगर, गाजियाबाद स्थित प्लांट पर भी आक्सीजन न होने और तथाकथित मॉक ड्रिल बात कही गई है, जबकि जिला प्रशासन, औषधि निरीक्षक की टीम, स्थानीय और शासन स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई गई थी। इसके बाद भी डॉ. अरिंजय जैन के तथाकथित बयान से जनमानस में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है, जबकि आगरा में ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता थी। डॉ. अरिंजय जैन का यह कृत्य लोक शांति के निहित प्रावधानों के विपरीत है।

ऑक्सीजन थी तो मॉकड्रिल क्यों?

जिला प्रशासन का कहना है कि पारस हॉस्पिटल को 25 अप्रैल को 149 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए। मॉक ड्रिल वाले दिन यानी 26 अप्रैल को प्रशासन ने 121 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए। 27 अप्रैल को 117 और 28 अप्रैल को 135 ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराए। इस दौरान रिजर्व ऑक्सीजन सिलेंडरों की अस्पताल में संख्या 16 से 20 थी। सवाल यह है कि ऑक्सीजन थी तो उसकी कमी का बहाना बनाकर मॉक ड्रिल क्यों चलाया गया? क्या कोई डॉक्टर इतना पगलैठ हो सकता है कि ऑक्सीजन होते हुए भी ऑक्सीजन न दे?

जिला प्रशासन ने कहा- चार मौतें हुईं

रामवती उम्र 62 साल पत्नी नत्थीलाल निवासी मधुनगर, आगरा, मीना ग्रोवर उम्र 62 साल पत्नी एलआर ग्रोवर निवासी लोहामंडी, आगरा, आशा शर्मा उम्र 58 साल पत्नी सुरेश चंद्र निवासी कालिंदीपुरम, आगरा (ये हिन्दुस्तान के पत्रकार विशाल शर्मा की मां हैं), मुन्नी देवी उम्र 46 पत्नी अशोक कुमार निवासी दहतोरा शास्त्रीपुरम, आगरा। राधिका अग्रवाल उम्र 36 साल पत्नी सौरव अग्रवाल निवासी राजामंडी, आगरा, मीरा देवी उम्र 58 साल पत्नी लक्ष्मी नारायण निवासी पश्चिमपुरी, आगरा,  रिंकू यादव उम्र 30 साल केयर ऑफ कांता प्रसाद निवासी गांधीनगर, आगरा की मौत 27 अप्रैल को हुई। वरिष्ठ पत्रकार अशोक चावला के परिजन मनीषा चावला और वासुदेव चावला की मौत का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है।

लाइसेंस निलंबित, दो दिन में होगी जांच

स्वास्थ्य विभाग ने श्री पारस अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। मामले की जांच के लिए विभाग ने दो सदस्यीय एक आंतरिक कमेटी भी बनाई है। दो दिन में जांच पूरी करने का समय दिया है। कमेटी में एसीएमओ डॉ. वीरेंद्र भारती और एसीएमओ डॉ. संजीव बर्मन हैं।

क्या कहा डीएम ने

जिलाधिकारी प्रभु एन सिंह का कहना है कि अस्पताल में ऑक्सीजन की किल्लत नहीं थी। पारस अस्पताल में तीन दिन 25 से 27 अप्रैल तक 387 सिलिंडर भेजे गए। इतने सिलिंडर वहां भर्ती मरीजों के लिए पर्याप्त थे। इससे पहले और बाद में भी पर्याप्त ऑक्सीजन की व्यवस्था की गई। ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पताल में कोई मौत नहीं हुई थी। इसके अलावा अस्पताल में 20 रिजर्व सिलिंडर थे। जिनसे तीन से चार घंटे तक आकस्मिक स्थिति में भर्ती मरीजों को ऑक्सीजन दी जा सकती थी। 

क्या कहा डॉ. अरिन्जय जैन ने

डॉ. अरिन्जय जैन ने कहा कि जो मरीज 10 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन फ्लो पर भर्ती थे उनके लिए ऑक्सीजन पर्याप्त नहीं थी। हमें 200 सिलिंडर की जरूरत के सापेक्ष 110 सिलिंडर मिले। मुझे मेरे वेंडर ने बताया कि मोदी नगर और अन्य जगह प्लांट ड्राई हो गए हैं। उसी बात को मैंने वीडियो में कहा। डॉ. अरिन्जय जैन ने कहा कि प्रशासन निष्पक्ष जांच कराए। हम सहयोग को तैयार है। उन्होंने अस्पताल को सील करने पर आपत्ति जताई है। 

प्रियंका गांधी ने पूछा- जिम्मेदार कौन?

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस मामले में ट्वीट किया है- पीएम कहते हैं कि ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। सीएम ने कहा ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं। कमी की अफवाह फैलाने वालों की संपत्ति जब्त होगी। मंत्री ने कहा कि मरीजों को जरूरत भर ऑक्सीजन दें। ज्यादा ऑक्सीजन न दें। ऑक्सीजन खत्म थी। 22 मरीजों की ऑक्सीजन बंद करके मॉकड्रिल की। उन्होंने पूछा- जिम्मेदार कौन ? 

राहुल गांधी ने कहा- कार्रवाई हो

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट पर लिखा-  भाजपा शासन में ऑक्सीजन और मानवता दोनों की कमी है। इस खतरनाक अपराध के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। दुख की इस घड़ी में मृतकों के परिवारीजनों को मेरी संवेदनाएं।

नारेबाजी करने वालों को पारस अस्पताल के कर्मचारियों ने इस तरह पीटा

अस्पताल कर्मचारियों ने शिवसेना कार्यकर्ता पीटे

शिवसेना के जिलाध्यक्ष विनीत वर्मा ने बताया कि रात आठ बजे वो महानगर अध्यक्ष मयंक पाठक और कार्यकर्ताओं के साथ श्री पारस अस्पताल पर आए थे। इस दौरान मीडिया भी मौजूद थी। उन्होंने मीडिया से बात की। कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच कुछ कार्यकर्ता अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल जानने लगे। तभी अस्पताल के कर्मचारी बाहर आ गए। उन्होंने हमला बोल दिया। कर्मचारियों ने कार्यकर्ताओं की  लात-घूंसों से पिटाई लगाई। सरिया और डंडे भी मारे। विनीत वर्मा और मयंक पाठक गाड़ी में बैठे थे। वह कार्यकर्ताओं को बचाने आए। इस पर कर्मचारियों ने उन पर भी हमला बोल दिया। विनीत वर्मा के गले में बेल्ट डालकर खींचा।  वह किसी तरह जान बचाकर भागे। घटना से अस्पताल में अफरातफरी मच गई। मीडिया ने हमलावरों के फुटेज भी बनाए। इसके बावजूद कर्मचारी मारपीट करते रहे। उस समय पुलिस भी नहीं थी। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।  जिलाध्यक्ष का कहना है कि थाना न्यू आगरा पहुचंकर पुलिस से शिकायत की। मगर, पुलिस उल्टा उन पर ही आरोप लगाने लगी। पुलिसकर्मियों ने उनके खिलाफ ही मुकदमे की धमकी दे डाली। काफी देर बाद घायल जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष सहित माधव गौतम, विशाल प्रजापति, शिवम प्रजापति को मेडिकल के लिए भेजा।  थाना न्यू आगरा के प्रभारी निरीक्षक भूपेंद्र बालियान का कहना है कि थाना पर तहरीर देने कोई नहीं आया है। कोई घायल भी नहीं पहुंचा।

कांग्रेसियों ने दी तहरीर

कांग्रेसियों ने पारस हॉस्पिटल पर प्रदर्शन किया। थाना न्यू आगरा में तहरीर देकर पारस हॉस्पिटल को सील करने की मांग की। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राघवेन्द्र सिंह मीनू, प्रदेश सचिव अमित सिंह, हेमंत चाहर, दीपक शर्मा, तरुण सागर, बिलाल अहमद, अनुज शिवहरे आदि ने पारस हॉस्पिटल पर प्रदर्शन किया तो सर्विस रोड पर जाम लग गया।

मानवाधिकार आयोग में शिकायत पंजीकृत

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस का कहना है कि डॉ. अरिंजय पर हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज होना चाहिए। इसलिए इसकी शिकायत मानवाधिकार आयोग में की गयी है। मानवाधिकार आयोग ने शिकायत को रजिस्टर्ड कर लिया है।

ऑक्सीजन की कमी से मौतः पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी

इटावा के अलियापुरा निवासी राजू सिंह यादव ने 17 मई को एसएसपी को डाक से शिकायत भेजी थी। इसमें लिखा कि उनके जीजा भरथना निवासी रिंकू उर्फ रजनीश यादव (30) को 15 अप्रैल को बुखार आया था। 19 अप्रैल को उन्हें श्री पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया। 26 अप्रैल को उनके खून की जांच को रुपये जमा कराए गए। दवा भी मंगाई। देर रात रिंकू यादव की मौत हो गई। उन्हें कोविड पॉजिटिव का प्रमाण पत्र दिया गया। राजू का आरोप है कि रिंकू यादव आक्सीजन सपोर्ट पर जिंदा थे। 26 अप्रैल को आक्सीजन की सप्लाई न करके उन्हें मार दिया गया। पुलिस से शिकायत पर कार्रवाई नहीं हुई। बाद में शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया।

पत्रकार ने किया करतूत का खुलासा

कृष्णा कॉलोनी, थाना छत्ता निवासी वरिष्ठ पत्रकार अशोक चावला ने एसएसपी को दिए प्रार्थना पत्र में कहा है कि उनके पिता वासदेव चावला को आठ अप्रैल को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इस पर उन्हें घर में ही आइसोलेट किया गया था। 12 अप्रैल को उनकी तबीयत खराब हो गई थी। इस पर उन्हें श्री पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां उनका इलाज चल रहा था। 20 अप्रैल को स्टाफ ने बताया कि पिता को वेंटिलेटर लगाना होगा। इस पर वेंटिलेटर लगाने के लिए कह दिया। इस दौरान डॉ. अरिंजय जैन पिता की तबीयत में सुधार होने की कहते रहे। आरोप है कि 26 अप्रैल को डाक्टर ने बुलाकर कहा कि ऑक्सीजन की कमी हो गई है। ऑक्सीजन का इंतजाम करना होगा। इस पर परिवार के लोगों ने ऑक्सीजन सिलिंडर उपलब्ध करा दिया। 20 मिनट बाद उनके पिता की मौत के बारे में बताया गया। 27 अप्रैल को अशोक चावला के छोटे भाई अमित चावला की पत्नी मनीषा की भी मृत्यु इसी अस्पताल में डाक्टर की लापरवाही की वजह से हो गई। एसएसपी मुनिराज जी को दिए प्रार्थनापत्र में हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है।

पिछले साल महामारी फैलाने पर हुआ था मुकदमा

कोरोना की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में पारस अस्पताल के संचालक डॉ. अरिन्जय जैन और प्रबंधक के विरुद्ध डीएम प्रभु एन सिंह ने महामारी फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि अस्पताल ने बिना प्रशासन को सूचित किए कोरोना मरीज भर्ती किए। फिर उन्हें डिस्चार्ज कर दिया। इससे 10 जिलों में संक्रमण फैला था। अस्पताल में दस महीने तक कोविड मरीज भर्ती पर रोक लगी रही। फिर शासन स्तर से एक जनप्रतिनिधि की पैरवी पर मुकदमा खत्म हो गया। अप्रैल, 2021 में दोबारा पारस अस्पताल को कोविड मरीज भर्ती करने की अनुमति मिल गई। इसी से साफ है कि अरिंजय जैन के हाथ कानून से भी लम्बे हैं।  अभी से कहा जा रहा है कि अरिंजय जैन इस आपदा से भी साफ निकल जाएंगे। जून, 2021 की तरह अप्रैल, 2020 में भी मीडिया ने पारस अस्पताल की करतूतों के बारे में खूब लिखा था, लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं हुई। इसी कारण किसी को भी लग नहीं रहा है कि कुछ हो पाएगा।

10 सवाल

1.कोरोना की प्रथम लहर में संक्रमण फैलाने पर पारस हॉस्पिटल पर सील लगाई गई थी। किसके कहने और किस आश्वासन पर सील खोली गई?

2.संक्रमण फैलाने पर डॉ. अरिंजय जैन के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

3.आखिर जिला प्रशासन पर किसका दबाव था कि पारस हॉस्पिल को दूसरी लहर में कोविड हॉस्पिटल घोषित कर डॉ. अरिंजय जैन को फिर से मनमानी करने की छूट दे दी गई?

4. अस्पताल में कोरोना के 45 बेड थे तो 96 मरीज कैसे भर्ती हो गए?

5. पुलिस ने शिकायती पत्रों के बाद भी रिपोर्ट दर्ज क्यों नहीं की?

6. अस्पताल ने दो मृतकों के नाम क्यों छिपाए, जबकि स्वयं ही मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया है?

7.पारस हॉस्पिटल ने मृतकों की संख्या में हेरफेर किया है, क्या इसकी जांच भी कराई जाएगी?

8. यह सबको पता है कि ऑक्सीजन की कमी थी, फिर भी इस बात पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है?

9. अगर ऑक्सीजन पर्याप्त थी तो अशोक चावला को सिलेंडर लाने के लिए क्यों बोला गया?

10.क्या हॉस्पिटल ऑक्सीन सिलेंडर्स की कालाबाजारी कर रहा था?

11.ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर डीएम सच बोल रहे हैं या डॉ. अरिंजय जैन?