ऑनलाइन युग में पहले से आसान हुई पत्रकारिता

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Aligarh (Uttar Pradesh, India) । मंगलायतन विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के तत्वावधान में एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जिसका विषय “चेजिंग फेसट ऑफ जर्नलिज्म” अर्थात “नए दौर के पत्रकारिता की बदलती परिभाषा” था। इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर पंवार ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन हैं प्रो. बी.एस. पंवार ने भाग लिया। प्रो. बी.एस. पंवार ने अपने दौर की पत्रकारिता और डिजिटल युग की शुरुआत पर बात की। उन्होंने कहा कि प्रिंट जगत शुरुआती दौर से ही विश्वनीय माध्यम रहा है अथवा प्रिंट जगत की उपलब्धियां पत्रकारिता को एक शोभनीय पहचान देती है। उन्होंने कहा कि पहले पत्रकारिता की राह कठिन थी, बहुत मेहनत करनी पड़ती थी। उन्होंने बताया कि पहले चीजें आसानी से सुलभ नहीं होतीं थी। इसके कारण पत्रकारों को पूरा-पूरा दिन लिखने पड़ने में हो जाता था। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन के युग में चीजें आसान हो गईं हैं, लेकिन उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।


कोरोना के दौर में पत्रकारों के लिए चुनौती बड़ी 

स्वतंत्र पत्रकार, मीडिया शिक्षक और गूगल प्रमाणित तथ्य चेक ट्रेनर डॉ. पारुल जैन ने छात्रों को ऑनलाइन पत्रकारिता के गुण एवं अवगुण बताए। उन्होंने बताया कि इंटरनेट युग में जिस व्यक्ति के पास स्मार्टफोन है वो खुद ही एक पत्रकार है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के माध्यम से आप कुछ पल में ही खबरें देख सकते हैं। साथ ही उन्होंने फेक न्यूज से बचने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान पत्रकारों के लिए चुनौती बड़ी है, लेकिन इस दौरान डिजिटल पत्रकारिता कारगर साबित हो रही है। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन और डायरेक्टर प्रो. शिवाजी सरकार ने अपनी पत्रकारिता के दौरान के कुछ अनुठे अंश साझा किए। उन्होंने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी परंपरागत तरीके से खबर भेजनी की प्रक्रिया जारी है, क्योंकि वहां अभी नेटवर्क की समस्या रहती है। वर्तमान समय में मीडिया अपना कार्य भली-भांति कर रही है। लेकिन वर्तमान की पत्रकारिता पहले से आसान हो गई है। उन्होंने कहा कि एक खबर को लोगों तक पहुंचाने से पहले कई चरणों से गुजरना होता था। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन माध्यमों में तथ्यों को छुपाया जा सकता है। पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की अध्यक्ष मनीषा उपाध्याय ने कहा कि पूर्व में तथ्यों के लिए पत्रकार फील्ड में जाकर ही रिपोर्टिंग करता था। लेकिन परिस्थितियां बदली है इसलिए ऑनलाइन माध्यम को हमे अपनाना होगा।

ये थे मौजूद

संचालन मयंक जैन ने किया । इस दौरान प्रो. आर.के.शर्मा, डॉ. धीरज गर्ग, देवाशीष चक्रवर्ती , नेहा चौधरी, आयुषी रायजादा, मनजीत सिंह, रोहित कुमार, कृपा अरोरा, डॉली वर्मा आदि मौजूद थे।