आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक अजीत महापात्र ने कहा, समाज में स्थिरता ला सकता है पत्रकार
नारद जी का बृज मंडल से भी संबंध, आगरा में जखोदा और नारखी गांव, गोवर्धन में नारद कुंड इसके उदाहरण
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Agra, Uttar Pradesh, India Bharat. विश्व संवाद केंद्र, बृज प्रांत द्वारा आयोजित नारद जयंती एवं पत्रकार सम्मान समारोह ने पत्रकारिता की गरिमा को नई ऊँचाई दी। इस आयोजन में न केवल नारद मुनि को प्रथम पत्रकार के रूप में स्मरण किया गया, बल्कि पत्रकारिता के मूल्यों और समाज में उसकी भूमिका पर भी गहन विचार प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम स्थल, आगरा के ग्वाल पैलेस, आवास विकास कॉलोनी में पत्रकारों की गरिमामयी उपस्थिति इस बात की गवाही दे रही थी कि यह आयोजन केवल एक समारोह नहीं, बल्कि विचारों का उत्सव था।
मुख्य वक्ता की वाणी में नारद मुनि की चेतना
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं अखिल भारतीय गौ सेवा संयोजक अजीत महापात्र ने समारोह के मुख्य वक्ता के रूप में नारद मुनि के जीवन और व्यक्तित्व को गहराई से उद्घाटित किया। उन्होंने बताया कि नारद जी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्णपक्ष की द्वितीया तिथि को हुआ था। अनेक उदाहरण देते हुए नारद मुनि के गुणों का बखान किया। फिर ऐसे गुणों से ओतप्रोत पत्रकारों को प्रणाम किया। सही चीज को जन-जन तक पहुँचाना और उसकी व्याख्या पत्रकार करते हैं।

नारद जी का परिचय भगवान ने दिया है
श्री महापात्र ने बताया कि स्कंध पुराण में भगवान श्रीकृष्ण ने नारद जी का वर्णन 22 श्लोकों में किया है। जगत में एकमात्र नारद जी हैं जिनका परिचय स्वयं भगवान ने दिया है। राक्षस कुल में जन्मे भक्त प्रह्लाद को सकारात्मक बनाने का काम नारद जी ने ही किया था। महर्षि वाल्मीक भी नारद जी के शिष्य थे। अहंकार शून्य, दिव्य ज्ञान से परिपूर्ण, तीनों लोकों में उपस्थित रहकर ईश्वरीय कार्य को कर लेना, समाज के मन-हृदय तक कोई पहचान सकता है तो वह पत्रकार है।
महापात्र जी ने नारद मुनि की संवाद-कला, उनके निर्भीक और उद्देश्यपूर्ण संवादों को पत्रकारों के लिए आदर्श बताया। उन्होंने कहा, “जो पत्रकार सही को सही समय और स्थान पर प्रकट करता है, वही समाज में स्थिरता ला सकता है।”
प्राचीन से वर्तमान तक पत्रकारिता की यात्रा
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं अधिवक्ता विवेक जैन ने अध्यक्षता की, जबकि वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और वेलनेस कोच डॉ. भानु प्रताप सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन रहे।

डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक अयोध्या का लोकार्पण
इस अवसर पर डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘अयोध्या: 6 दिसंबर, 1992 से 22 जनवरी, 2024 तक’ का लोकार्पण भी किया गया, जिसमें उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग यात्रा की घटनाओं को रोमांचक और सजीव शैली में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक न केवल इतिहास का दस्तावेज़ है, बल्कि पत्रकारिता के भीतर सत्य की खोज का जीवंत उदाहरण भी। इस पुस्तक में डॉ. भानु प्रताप सिंह ने छह दिसंबर, 1992 को अमर उजाला के रिपोर्टर के रूप में जो कुछ देखा है, उसका वर्णन रोमांचक और रोचक शैली में किया है।

सम्मान का क्षण: जब पत्रकारिता को किया गया नमन
समारोह का सबसे विशेष क्षण वह था, जब पत्रकारों को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। वरिष्ठ पत्रकार वीरेंद्र वार्ष्णेय, राजीव सक्सेना, आदर्श नंदन गुप्त, राजीव दीक्षित, शरद चौहान (पार्षद), राजीव चतुर्वेदी, अजहर उमरी को विशेष रूप से स्मृति चिह्न, शॉल और पौधे द्वारा सम्मानित किया गया। इसके साथ ही बृज संवाद पत्रिका के संपादक विजय गोयल, राजेश मिश्रा, वीरेंद्र चौधरी, एसपी सिंह, आरती यादव, हरीकांत शर्मा, डॉ. सुमित पांडे, शुभदा, राजू, संजीव वर्मा जैसे पत्रकारों को भी मनमोहन निरंकारी, केशवदेव शर्मा, दिलीप, अभिषेक फौजदार आदि द्वारा सम्मानित किया गया।

बृज मंडल और नारद जी: ऐतिहासिक संबंधों की प्रस्तुति
वरिष्ठ पत्रकार राजीव सक्सेना ने अपने वक्तव्य में नारद जी के बृज मंडल से ऐतिहासिक और आध्यात्मिक संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि आगरा के जखोदा गांव में नारद जी का मंदिर, नारखी में उनके स्वप्न पर आधारित शिमला मिर्च की खेती, और गोवर्धन स्थित नारद कुंड इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का भाग हैं। उन्होंने कहा, “आज भी नारद रूपी पत्रकार समाज में हैं, परंतु उनके पीछे खड़े ब्रह्मा, विष्णु, महेश जैसे संरक्षक बदल चुके हैं।”

प्रशंसा की पात्र टीम: जिन्होंने किया आयोजन संभव
कार्यक्रम का संचालन आरएसएस पश्चिम महानगर के प्रचार प्रमुख विनीत शर्मा ने कुशलता से किया। आयोजन की सफलता में बृज प्रांत के सह प्रचार प्रमुख मनमोहन निरंकारी, सौरभ शर्मा, गोविंद चौधरी, आशीष मिश्रा, राजेश त्यागी, और बबिता पाठक का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय रहा। बबिता पाठक ने कार्यक्रम में कल्याण मंत्र का भी सस्वर उच्चारण कराया। रामेंद्र शर्मा रवि और आचार्य उमाशंकर उपाध्याय ने काव्यपाठ किया।
“पत्रकारिता की लौ, नारद के नाम”
विश्व संवाद केंद्र द्वारा आयोजित यह समारोह पत्रकारिता के उस शाश्वत आदर्श की पुनः स्थापना है, जिसकी जड़ें नारद मुनि के व्यक्तित्व में समाहित हैं। जब पत्रकारिता दिशाहीनता की ओर अग्रसर हो, तब ऐसे आयोजन न केवल आत्ममंथन का अवसर प्रदान करते हैं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी बनते हैं।
विश्व संवाद केंद्र ने यह साबित कर दिया कि पत्रकार केवल खबरें नहीं गढ़ते, वे समाज की अंतरात्मा को शब्द देते हैं। ऐसे केंद्र, जो पत्रकारिता के नैतिक आयामों को पुनर्स्थापित कर रहे हैं, वास्तव में हमारे लोकतंत्र के मौन प्रहरी हैं।
विश्व संवाद केंद्र को कोटिशः धन्यवाद — ऐसे आयोजन समाज में उजास फैलाते हैं।
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