गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को कांग्रेस पर निशाना साधते हुई पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इसके एक दिन बाद जी-23 के एक अन्य नेता मनीष तिवारी ने शनिवार को पार्टी की गुटबाजी को लेकर आलोचना की। आनंदपुर साहिब के सांसद ने कहा कि पार्टी ने दिसंबर 2020 में जी -23 समूह के सुझावों को लागू किया होता तो मौजूदा स्थिति पैदा नहीं होती। साथ ही अपनी स्थिति साफ करते हुए उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का किराएदार नहीं, बल्कि सदस्य हूं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि अजीब बात यह है कि जिन लोगों में वार्ड चुनाव लड़ने की क्षमता नहीं है, वे कांग्रेस नेताओं के चपरासी थे, जब पार्टी के बारे में ज्ञान दिया जाता है तो यह हास्यास्पद है। हम एक गंभीर स्थिति में हैं। जो हुआ वह खेदजनक, दुर्भाग्यपूर्ण है।
राहुल गांधी जिम्मेदार
मनीष तिवारी ने कहा कि ‘मैं पार्टी का किरायेदार नहीं हूं, बल्कि पार्टी का सदस्य होने के नाते एक शेयरधारक हूं।’ अनुभवी नेता ने कहा कि कांग्रेस सभी चुनाव हार रही है, इस बात की पुष्टि करता है कि पार्टी देश के लोगों के साथ तालमेल नहीं बिठा रही है। गुलाम नबी आजाद ने अपने त्याग पत्र में पार्टी को बर्बाद करने के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है और आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति पद के लिए प्रॉक्सी को खड़ा किया जाता है, जो केवल कठपुतली बनकर रह जाएंगे।
खैरात में कुछ नहीं मिला
मनीष तिवारी ने कहा कि ‘दो वर्ष पहले हम 23 लोगों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बताया था कि कांग्रेस की परिस्थिति चिंताजनक है जिसपर विचार करने की जरूरत है… कांग्रेस की बगिया को बहुत लोगों, परिवारों ने अपने खून से संजोया है। अगर किसी को कुछ मिला वह खैरात में नहीं मिला है।’
धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए
कांग्रेस नेता ने कहा कि ‘उत्तर भारत के लोग जो हिमालय की चोटी की ओर रहते हैं, यह जज्बाती, खुद्दार लोग होते हैं। पिछले 1000 साल से इनकी तासीर आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने की रही है। किसी को इन लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।’
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