डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Gyan Sarovar, Mount Abu, Rajasthan, India. प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय (Prajapita Brahma Kumaris Ishwariya vishwa vidyalaya) के मीडिया विंग, राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन (Media wing, rajyoa Educaion and Research Foundation) ने वीर भूमि राजस्थान के माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर (Gyan Sarovar, Mount Abu, Rajasthan) में राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन आयोजित किया। इसे नाम दिया गया- Media conference and meditation retreat. विषय था- राष्ट्रीय विकास के लिए मीडिया की जिम्मेदारी (Media Responsibility for National Development)। यह 5 से 9 मई, 2023 तक चला। कार्यक्रम स्थल ज्ञान सरोवर ने अपने नाम को सार्थक किया। पहाड़ों के बीच, हरीतिमा से आच्छादित, स्वास्थ्यवर्धक, प्रदूषणरहित, शांत वातावरण, खुशी की खुराक और ध्यान (Meditation) के साथ पत्रकारों ने पांच दिन तक ज्ञानवर्धन किया। भाग्यशाली पत्रकार पूरे पांच दिन रहे। यूं तो मीडिया सम्मेलन के कुछ समाचार प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन यहां सत्रवार रिपोर्टिंग प्रस्तुत की जा रही है। दूसरे दिन 6-5-2023 को प्रातः 6.45 बजे हारमनी हॉल में ध्यान सत्र हुआ। विषय था- स्वयं की खोज (discovring your innerself)।
माउंट आबू की वरिष्ठ राजयोग शिक्षक बीके शीलू दीदी ने पहले समझाया और फिर योग करवाया। संचालन मीडिया विंग दिल्ली की संयुक्त क्षेत्रीय समन्वय बीके मंजुल ने किया। आइए समझते हैं कि स्वयं की खोज कैसे करें-
योग के नाम पर आसन सिखाए जाते हैं। योग स्कूलों में भी शारीरिक क्रियाएं सिखाते हैं। वे हेल्दी बॉडी के बाद हेल्दी माइंड की बात करते हैं। हकीकत यह है कि 80-90 फीसदी रोग मन के कारण होते हैं। इसलिए पहले मन को ठीक करना होगा।
योग यानी मिलन। आध्यात्मिक मिलन। आत्मा से परमात्मा का मिलन। हर मिलन में प्राप्ति होती है। मन की तरह आत्मा भी परमात्मा से जुड़ जाए तो योग है।
आध्यात्मिक योग ही राजयोग है। राजयोग इन्द्रियों का राजा बनाता है यानी इंद्रियों की गुलामी से मुक्त करता है।
इंद्रियों का राजा बनेंगे तो हमारे कर्म श्रेष्ठ होंगे। फिर सबका दिल जीत सकेंगे। इसके बाद तो विश्व को भी जीत सकते हैं। कोई भी व्यक्ति युद्ध से विश्व को नहीं जीत सका है।
जीत का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए शक्ति परमात्मा से मिलती है। राजयोग उत्तम तरीका है। यह श्रेष्ठ और सरल है।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि वैराग्य और अभ्यास से मन वश में होगा। वैराग्य का मतलब लगाव को त्यागो। इसका मतलब संन्यास नहीं है। कमल के फूल की तरह कीचड़ में रहकर न्यारा रहना ही वैराग्य है।
राजयोग में कुछ भी छोड़ना नहीं है।
ब्रह्माकुमारीज के ज्ञान सरोवर माउंट आबू आकर पता चला कि शांति का मंत्र तो बी.के. भाई-बहनों के पास है
ज्ञान को धारण करने से बुद्धि स्वच्छ होती है।
सहज योग, बुद्धि योग, ज्ञान योग, कर्म योग, भक्ति योग, संन्यास योग, समत्व योग यानी राजयोग।
मैं यानी कौन, मैं आत्मा हूँ। शांति, प्रेम, खुशी अंदर से आती है, अंदर यानी आत्मा से। इन सबका स्रोत आत्मा है।
ओम शांति का अर्थ है- मैं शांत आत्मा हूँ।
आत्मा क्या है, आत्मा अप्राकृतिक है, आध्यात्मिक है, यह कोई भौतिक वस्तु नहीं है। लाइट, साउंड भौतिक ऊर्जा है। आत्मा आध्यात्मिक ऊर्जा है। आत्मा चैतन्य शक्ति है, प्रकाशपुंज है, चमकता सितारा है।
आत्मा को देखने के लिए ज्ञान और बुद्धि का नेत्र चाहिए।
सूरज से धरती तक प्रकाश 8 मिनट में पहुंचता है, लेकिन मन एक सेकेंड में पहुंच जाता है। मन की शक्ति असीम है। खुद को पहचान लिया तो खुदा की तरफ जा सकते हैं।
मन महान ऊर्जा का स्रोत है। मन को आत्मा में लगाएं तो असीम शक्ति प्राप्त होगी।
हमारा मस्तिष्क नहीं, मन सोचता है। मन में विचार आते हैं और बुद्धि विचारों को तराजू की तरह तौलती है, जो मूल्यों को महत्व देती है।
हमारे कर्म ही संस्कार बन जाते हैं जो अगले जन्म में साथ जाते हैं।
हर आत्मा ज्ञान स्वरूप है। आत्मा का ज्ञान मिलते ही शांति का अनुभव होता है।
हम सभी आत्मा हैं और इसी से अनेकता में एकता संभव हो सकती है।
मन दुखी और परेशान हो तो सोचें- मैं शांत स्वरूप आत्मा हूँ। इसके बाद मन शांत हो जाएगा।
शांति के शक्ति से सबके लिए प्रेम जाग्रत होगा।
परमात्मा से प्रेम तो सबसे प्रेम होगा। इंद्रियों का सुख अस्थाई है।
शरीर का नियंत्रण कक्ष आत्मा है। भृकुटि के मध्य आत्मा का स्थान है, जिसे तीसरा नेत्र भी कहते हैं।
राजयोग से इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
अंतरआत्मा की यात्रा के लिए मन को परमधाम ले जाओ, मन की आँखों से अखंड ज्योति के धाम में पहुंचो, सर्वसंबंधों से मुक्त स्वयं को आत्मा महसूस करो।
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