डॉ. भानु प्रताप सिंह आगरा

ब्रह्माकुमारीज के ज्ञान सरोवर माउंट आबू आकर पता चला कि शांति का मंत्र तो बी.के. भाई-बहनों के पास है

लेख

राष्ट्र के विकास में मीडिया का उत्तरदायित्व विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन 9 मई तक चलेगा

आई.आई.एम.सी., दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी की सरलता देखने को मिली

बीके शांतनु भाई, बीके अमर आई, बीके मधु दीदी, बीके गोपाल भाई, बीके धनराज नायडू से संवाद

हरा-भरा, रंग-बिरंगे पुष्पों से सजे ज्ञान सरोवर में शांति, खुशहाली और स्वच्छता का राज

डॉ. भानु प्रताप सिंह

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Mount Abu, Rajasthan, India. पूरी दुनिया शांति की खोज में है। फिर चाहे वह धनी हो या निर्धन। ज्ञानी हो या अज्ञानी। पत्रकार हो या साहित्यकार। महिला हो या पुरुष। गृहणी हो या कार्यशील। मंत्री हो या संतरी। शांति कहां है? जानकार कहते हैं कि शांति हमारे अंतस में है। सिखाने वाले कहते हैं कि सांसों पर ध्यान दो। कोई कहता है निर्विचार हो जाओ और परमात्मा की याद में खो जाओ। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि यह सब कैसे करें? इस प्रश्न को लेकर भ्रमण करता रहा। उत्तर मिला प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के केन्द्र पर आकर। यहां आकर पता चला कि शांति का मंत्र तो इन श्वेत वस्त्रधारी हंसों के पास हैं। शाहों के शाह तो यही हैं।

राष्ट्रीय मीडिया सम्मेलन में वक्ता के बतौर आमंत्रित

यह बात अगर मैं लिख रहा हूँ तो आप प्रमाण मांग सकते हैं। मैं कहता हूँ कि प्रत्यक्षंकिमप्रमाणम्। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं होती है। मैं इस समय प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय माउंट आबू (राजस्थान, भारत) के एकेडमी फॉर ए बेटर वर्ल्ड, ज्ञान सरोवर, माउंट आबू में हूँ। हार्मोनी हाउस में प्रवासित हूँ। राष्ट्र के विकास में मीडिया का उत्तरदायित्व विषयक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बतौर वक्ता आया हुआ हूँ। यह सम्मेलन 5 मई, 2023 से 9 मई, 2023 तक चलेगा।

लगातार संवाद

मीडिया सम्मेलन की धुरी बीके शांतनु भाई से मीडिया सम्मेलन के संबंध में लगातार संवाद होता रहा। कौन सी ट्रेन से आ रहे हैं, किस समय पहुंचेंगे आदि के बारे में जानकारी लेते रहे। चार मई, 2023 को जब साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन चलने को हुई तो आगरा जोन के मीडिया इंचार्ज बीके अमर भाई (प्रभु मिलन केन्द्र, ईदगाह, आगरा) और शास्त्रीपुरम, आगरा केन्द्र की प्रभारी बीके मधु दीदी खबर लेती रहीं। आगरा कैंट स्टेशन पर पहुंचा तो बीके संजय भाई मिले।

ट्रेन के शौचालय में बंद हो गया

ट्रेन में बी-6 कोच में आरक्षण था। ऐनवक्त पर कोच बदल दिए गए। बी-5 और बी-5 कोच के स्थान पर एम-1, एम-2 कोच हो गया। सीट नम्बर भी बदल गया। जैसे-तैसे सीट ढूंढ पाया। इसी दौरान लघु शंका निवारण के लिए गया। अंदर तो घुस गया लेकिन बाहर नहीं निकल पाया। दरवाजा लॉक हो गया। सौभाग्य से मेरे पास मोबाइल था। मैंने पत्नी इन्दु सिंह को फोन किया। वे तो घबरा गईं। उन्होंने शौचालय का लॉक तुड़वाया तो अंदर दूसरा व्यक्ति बैठा हुआ था। उसके पास मोबाइल नहीं था, इसलिए अंदर लॉक होने की सूचना किसी को दे नहीं पाया। जब दरवाजा खुला तो रुआंसा था। पत्नी लगातार फोन पर थी। वह कह रही थीं कि फोन पर बात करते रहो, चिन्ता मत करो। मैं एम-1 के दिव्यांग शौचालय में लॉक हो गया था। कुछ लोगों ने फोन पर द्वार खोलने की तकनीक बताई। द्वार नहीं खुला। अंततः कोच में मौजूद रेलवे कर्मचारियों ने दरवाजे का लॉक बाहर से तोड़ा। पूरी प्रक्रिया में करीब 10 मिनट लग गए।

रेलवे अधिकारी का फोन, समस्या पुरानी

जब मैं बाहर निकला तो लोग मुझे देखकर मुस्करा रहे थे। मैंने भी मनोरंजन बतौर लिया। किसी पर क्रोध नहीं किया। मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मंत्री और रेल मंत्रालय को ट्वीट किया। काफी देर बाद रेलवे अधिकारी ने दो बार फोन किया। समस्या के लिए क्षमा याचना की। मैंने टीटीई को पूरी बात बताई तो उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम को अवगत करा रहा हूँ। रेलवे कर्मचारियों का कहना था कि पहले भी शौचालय अपने आप लॉक हो गया था। रेलवे अधिकारी सुनते नहीं हैं। मेरे पास रेलवे के मोबाइल पर संदेश भी आए।

मेरी चिन्ता करने वाले

5 मई को प्रातः बीके सुरेन्द्र भाई का फोन आया। उन्होंने यात्रा के बारे में पूछा और कहा कि आबू रोड से ज्ञान सरोवर तक लाने के लिए धनराज नायडू को जिम्मेदारी दी गई है। मैं स्टेशन पहुंचा तो बीके अमर भाई का फिर फोन आया। संयोग देखिए कि मैं उनके पीछे ही खड़ा हुआ था।

धनराज नायडू के साथ संवाद

आबू रोड रेलवे स्टेशन से लेकर ज्ञान सरोवर तक बीके धनराज भाई से आत्मा, परमात्मा, ध्यान आदि के बारे में बातचीत होती रही। वे जगदलपुर, झारखंड के रहने वाले हैं। यहां 10 दिन की सेवा में आए हुए हैं। उन्होंने तमाम ज्ञान की बातें बताईं। स्वयं के ज्ञान में आने की पूरी कहानी बताई। कहा कि मैं युवा था तो बहुत शैतानी करता था, बहुत पूजा-पाठ करता था। इसके बाद भी शांति नहीं थी। ब्रह्माकुमारीज के संपर्क में आने के बाद जीवन बदल गया। यहां आकर पता चला कि परमात्मा तो शिव बाबा हैं। उनकी याद में रहो तो हर काम बन जाएगा। रोज मुरली सुनो तो संस्कारित होंगे। सकारात्मक हो जाएंगे। सबमें गुण देखेंगे। फिर उन्होंने सतयुग, द्वापर, त्रेता, कलयुग के बारे में जानकारी दी। 33 करोड़ देवताओं के बारे में बताया। 84 जन्मों की जानकारी दी। कहा कि यह संगम युग चल रहा है। सतयुग में सिर्फ 9 लाख लोग रहेंगे। जो ज्ञान में आ जाएंगे, वे जन्म लेंगे। शिव बाबा ने ब्रह्मा बाबा के तन में आकर ज्ञान दिया है। हमें पता है उस स्थान के बारे में जहां पूरी दुनिया के भगवान शिव बाबा रहते हैं। हम ध्यान के दौरान परमधाम की यात्रा करते हैं। ब्रह्माकुमारीज का मत है कि ईश्वर सर्वव्यापी नहीं है और मैं आत्मा हूँ। आत्मा को शरीर रूपी वाहन का ड्राइवर मान लीजिए। मन, बुद्धि, संस्कार के बारे में बताया। यह भी कहा कि जो ज्ञान में आ जाते हैं तो प्याज-लहसुन नहीं खाते, बाहर का भोजन नहीं करते हैं, पवित्रता का बहुत ध्यान रखते हैं। शिव बाबा की याद में रहने से हमें खुशी, प्रेम, आनंद मिलता है, जो पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है। उनका इरादा सदैव के लिए माउंट आबू आकर बाबा की सेवा करने का है। इसी कारण विवाह नहीं किया है।

शिव बाबा की याद के साथ भोजन

पंजीकरण प्रक्रिया के बाद हमें कक्ष तक छोड़ा गया। स्नान के बाद हम सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित बाबा की झोपड़ी में गए। वहां ध्यानिस्थ होने का प्रयास किया। वहां से भंडारी में आ गए। मीडिया सम्मेलन में भाग लेने वालों को द्वितीय तल पर भोजन की व्यवस्था की गई है। दोपहर 12 बजे शिव बाबा की याद दिलाने वाला गीत बजा और इसके बाद भोजन शुरू हो गया। यहां का भोजन क्या, प्रसाद है। खाते जाओ। भोजन परोसने वाली बहनें मुस्कराती रहती हैं।

आई.आई.एम.सी., दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी

वहां से निकले तो पेड़ की छांव में सपरिवार बैठे आई.आई.एम.सी., दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर संजय द्विवेदी मिल गए। उनसे नमस्कार हुई। उनका कद बहुत बड़ा है लेकिन यहां आकर वे सामान्य व्यक्ति की तरह रहते हैं। किसी को इसका अहसास नहीं होने देते कि इतने बड़े पद पर विराजमान हैं।

बीके शांतनु भाई का संवाद

स्वागत पटल पर देखा कि एक मुस्लिम बंधु भी सम्मेलन में आए हैं। बीके शांतनु भाई बड़े ही सरल शब्दों में उन्हें ब्रह्माकुमारी संस्था के बारे में बता रहे थे। उन्होंने कहा- हम मूर्तिपूजा नहीं करते लेकिन किसी को मना भी नहीं करते हैं। हमारा उद्देश्य दुनिया को सर्वश्रेष्ठ बनाना है। शिव बाबा ने जो राजयोग का ज्ञान दिया है, वही एकमात्र मार्ग है। हर धर्म का व्यक्ति इसे अपना सकता है। उन्होंने कहा कि हाथ से माला फेरना बड़ा सरल है लेकिन से माला फेरना कठिन है। राजयोग में यही कठिन कार्य सरल बना दिया जाता है।

आगरा के गोपाल भाई

वर्षों बाद मुझे बीके गोपाल भाई मिले। वे आगरा के हैं। बड़े ही ऊर्जावान हैं। मैं यह जानकार आश्चर्यित हो गया कि उन्हें मेरे आवास की लोकेशन पता है। उन्होंने कई पत्रकारों और उनके घर के बारे में पूछताछ की। ऐसे ऊर्जावान व्यक्ति से मिलकर स्वयं ऊर्जित हो जाना स्वाभाविक है।

मनीषा उपाध्याय से भेंट

हाथरस से आईं मंगलायतन विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग में प्राध्यापक मनीषा उपाध्याय से भेंट हुई। मैं हिन्दुस्तान अलीगढ़ का संपादकीय प्रभारी रहा हूँ। तब वे मेरी टीम में थीं। हिन्दुस्तान अखबार को जमाने में उनका अपूर्व सहयोग है। इस बार सम्मेलन में सिर्फ 400 पत्रकार हैं। सितम्बर में होने वाले सम्मेलन में 1000 से अधिक पत्रकार आते हैं।

ज्ञान सरोवर में चारों ओर शांति और खुशी

ज्ञान सरोवर में चारों ओर शांति और खुशी बिखरी हुई है। हरियाली, रंग-बिरंगे पुष्प हैं। ज्ञान सरोवर में स्वच्छता का राज है। बड़े परिसरों को भी स्वच्छ कैसे रखा जाता है, यहां से सीख सकते हैं। सब बीके भाई-बहन प्रफुल्लित रहते हैं। मुख मंडल पर मधुर मुस्कान तिरती रहती है। सब अपने-अपने कार्य में रत हैं। कर्णप्रिय ओम शांति की गूंज होती रहती है। इसका प्रभाव यह है कि कभी भी ओम शांति न बोलने वाले भी ओम शांति कहते रहते हैं। सबकुछ सुव्यस्थित है। अच्छा, ओम शांति।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh