केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को दवा की कीमतों में वृद्धि का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्टों को ‘झूठा, भ्रामक और दुर्भावनापूर्ण’ बताया।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अप्रैल से दवाओं की कीमतें 12 फीसदी तक बढ़ जाएंगी, जिसका असर 500 से ज्यादा दवाओं पर पड़ेगा।
मंत्रालय ने कहा, ”निर्धारित दवाओं की ज्यादातर कीमतें थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आधार पर राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा सालाना संशोधित की जाती हैं।”
मंत्रालय ने कहा, “डब्ल्यूपीआई में 0.00551 प्रतिशत की वृद्धि के आधार पर, 782 दवाओं के लिए मौजूदा अधिकतम कीमतों में कोई बदलाव नहीं होगा, जबकि 54 दवाओं में 0.01 रुपये (एक पैसा) की मामूली बढ़ोत्तरी होगी।”
इन 54 दवाओं की अधिकतम कीमत 90 रुपये से लेकर 261 रुपये तक है। दवा मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 के प्रावधानों के अनुसार, डब्ल्यूपीआई वृद्धि मुनासिब अधिकतम वृद्धि है और निर्माता अपनी दवाओं में इस मामूली वृद्धि का लाभ उठा भी सकते हैं और नहीं भी।
इस तरह वित्त वर्ष 2024-25 में डब्ल्यूपीआई के आधार पर दवाओं की कीमत में लगभग कोई बदलाव नहीं होगा।
मंत्रालय ने कहा, “कंपनियां अपनी दवाओं की अधिकतम कीमत के आधार पर अपने अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को समायोजित करती हैं। जीएसटी को छोड़कर एमआरपी अधिकतम कीमत से कम कोई भी कीमत हो सकती है।”
संशोधित कीमतें 1 अप्रैल से लागू होंगी। संशोधित कीमतों का विवरण एनपीपीए की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
-एजेंसी
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