Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा । किसान आंदोलन का असर सरकार पर पड रहा है। भले ही यह दिख नहीं रहा हो। कई ऐसे विभाग हैं जिन्हें अच्छा खासा घाटा उठाना पड रहा है। परिवहन विभाग की बात करें तो मथुरा रोडवेज को प्रतिदिन तीन से पांच लाख रूपये का घाटा हो रहा है। लम्बे रूट की सेवाएं मथुरा डिपो से चल नहीं रही हैं। दिल्ली और भरतपुर रूट सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। मथुरा से लेकर दिल्ली तक सभी रूट की सेवाएं बंद हैं। लम्बे रूट पर मथुरा डिपो का संचालन लगभग बंद पडा है। मथुरा से राजस्थान और दिल्ली के लिए तो बसों का संचालन लगभग पूरी तरह से बंद है।
मथुरा डिपो को प्रतिदिन तीन से पांच लाख रूपये का घाटा उठाना पड रहा है
पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन ने उत्तर प्रदेश परिवहन निगम बेजार है। उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के एआरएम मथुरा नरेश अग्रवाल का कहना है कि किसान आंदोलन का असर परिवहन सेवाओं पर देखने को मिल रहा है। पहले कोरोना और अब किसान आंदोलन के चलते मुश्किल हालत बने हुए हैं। मथुरा डिपो को प्रतिदिन तीन से पांच लाख रूपये का घाटा उठाना पड रहा है। मथुरा से दिल्ली के लिए संचालन बिल्कुल बंद पडा है। दिल्ली के अलावा दूसरी जगहों के लिए सेवाएं चल रही हैं। यमुना एक्सप्रेस वे पर भी पूरी गाडियां चल रही हैं। उन्होंने कहाकि किसान आंदोलन खत्म नहीं होता तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता।
बार्डर पर पहुंचे मथुरा के किसान
दूसरी ओर मथुरा में किसान आंदोलन की सरगर्मी बनी हुई है। बडी संख्या में भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता दिल्ली बार्डर पर चल रहे आंदोलन में सामिल होने के लिए पहुंचे। भारतीय किसान यूनियन टिकैत के कार्यकर्ताओं के जत्थे के रवाना होने से एक दिन पहले भाकियू भानू के कार्यकर्ता भी चिल्ला बार्डर पहुंच चुके थे।
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