श्रीरामचरितमानस से भारतीय संस्कृति का परिचित हो सकता है- मनोजमोहन शास्त्री

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मथुरा, वृन्दावन। वृंदावन शोध संस्थान एवं अयोध्या शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में गो0 तुलसीदास जी की जयंती के अवसर पर ‘श्रीरामचरितमानस का सांस्कृतिक वैशिष्ट्य’ विषयक संगोष्ठी एवं सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम
अध्यक्ष डॉ0 कृष्णचंद्र गोस्वामी ने कहा तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस संस्कृति की बहुमूल्य धरोहर है। उन्होंने कहा भारतीय सांस्कृतिक परिदृश्य का परिदर्शन इस ग्रंथ से किया जा सकता है। कवियों में सर्वोपरि कवि हैं।

आचार्य मनोजमोहन शास्त्री ने कहा कि श्रीरामचरितमानस ग्रंथ के अध्ययन से भारतीय संस्कृति से अंजान व्यक्ति भी भारतीय संस्कृति से परिचित हो सकता है।
डॉ0 देवेंद्र शर्मा ने कहा तुलसी का समस्त काव्य लोकमंगल एवं समन्वय की विराट चेष्टा का काव्य है। सांस्कृतिक औदात्य तुलसीदास जी के काव्य की विशेषता है।
डॉ0 राजेंद्रकृष्ण अग्रवाल ने बताया कि श्रीरामचरितमानस ने समस्त वेद पुराणों का सार निहित है। कार्यक्रम का शुभांरभ अतिथियों द्वारा गो0 तुलसीदास जी के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ।

संस्थान के निदेशक डॉ0 राजीव द्विवेदी द्वारा अतिथियों का स्वागत पटुका उढाकर किया गया। डॉ0 एस0पी0 सिंह, उप-निदेशक द्वारा अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया गया। मंगलाचरण कवि अशोक अज्ञ द्वारा किया। सुंदरकांड का पाठ पांच वेदपाठी ब्राह्मणों द्वारा किया गया।
ब्रज संस्कृति संग्रहालय की क्यूरेटर ममता कुमारी के संयोजकत्व में आयोजित रामायण आधारित सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में के.आर.मेमोरियल पब्लिक स्कूल एवं सी. के. पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ0 राजेश शर्मा ने किया। प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान अनुराधा, नरेंद्र पाठक, राधामोहन शर्मा, प्रियांश शुक्ला, जितेंद्र वैष्णव, कृष्णा दधीच, अर्पणा शर्मा, भीम दत्तात्रेय सहित समस्त संस्थान कर्मी उपस्थित रहे।