नोबेल पुरस्कार विजेता और जानी-मानी पाकिस्तानी मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफ़ज़ई ने तालिबान की ओर से महिलाओं के हिजाब को लेकर लाए गए नए नियम की आलोचना करते हुए कहा है कि ये लड़कियों को सार्वजनिक जीवन से मिटा देने वाला क़दम है.
सात मई को अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने महिलाओं के लिए नए हिजाब नियम का एलान करते हुए कहा कि हर सम्मानित महिला को हिजाब पहनना होगा.
सरकारी नोटिस में कहा गया है कि चंदोरी यानी नीले रंग का वो अफ़ग़ान बुर्का जिससे सिर से पैर तक ढक जाता है वो महिलाओं के लिए सबसे ‘बेहतर हिजाब’ है.
मलाला ने इस नए फ़रमान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लड़कियों को स्कूल जाने से रोक कर, काम पर जाने से रोक कर, बिना पुरुष अकेले सफ़र करने पर पाबंदी लगा कर और अब सिर से पैर तक महिलाओं को ज़बरदस्ती बुर्का पहना कर- तालिबान अफ़ग़ानिस्तानी महिलाओं को सार्वजनिक जीवन से मिटा देना चाहता है.”
“हमें अफ़ग़ान महिलाओं की चिंता अपने बीचकायम रखना चाहिए, क्योंकि तालिबान अपने वादों को तोड़ता जा रहा है. अब भी महिलाएं अपने मानवाधिकारों और सम्मान के लिए सड़कों पर उतर रही हैं, हम सभी को, और खासकर मुस्लिम देशों के लोगों को उनके साथ खड़ा होना चाहिए.”
तालिबान के नए फ़रमान के तहत अब अफ़ग़ान महिलाओं को अपना पूरा चेहरा ढकना होगा.
कोई भी महिला जो अपने परिवार के पुरुष सदस्यों की चेतावनियों का पालन करने से इंकार करती है या उनकी उपेक्षा करती है तो उस घर के पुरुष को तीन दिनों के जेल की सज़ा होगी.
-एजेंसियां
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