kanta prasad agrawal KP

लीडर्स आगरा ने बुजुर्ग कांता प्रसाद अग्रवाल को दिया ‘तपन सम्मान’, जानिए क्यों

REGIONAL

Live Story Time

Uttar Pradesh, India, Bharat. लीडर्स आगरा द्वारा प्रति सप्ताह दिया जाने वाला ‘तपन सम्मान’ इस बार वरिष्ठ समाजसेवी, भामाशाह, वैश्य समाज की धरोहर, श्री कांता प्रसाद अग्रवाल (के.पी)  को दिया गया। कमलानगर स्थित उनके आवास पर जाकर लीडर्स आगरा के पदाधिकारियों ने उनसे आशीर्वाद लिया। साथ ही उनके दीर्घजीवन की कामना की गई।

लीडर्स आगरा द्वारा ‘चलें शहर को समर्पित बुजुर्ग विभूतियों के घर, उनका अभिनंदन कर चरण वंदन करने’ अभियान चलाया जा रहा है। इसके अंतर्गत शहर के वरिष्ठजनों को सम्मानित किया जा रहा है।

लीडर्स आगरा के महामंत्री व पूर्व पार्षद सुनील जैन, भारतीय सेना सेवा पदक प्राप्त कर्नल जी.एम. खान, समाजसेवी सुनील विकल, समाजसेवी शिवराम सिंघल ने उन्हें शॉल ओढ़ा कर और प्रशस्ति पत्र के साथ “तपन सम्मान” प्रदान किया। कार्यक्रम संयोजक आदर्श नंदन गुप्ता ने उन्हें प्रतीक चिन्ह प्रदान किया। दीपक वर्मा, सतीश शर्मा, हरिकांत शर्मा, डॉ. अशोक कुशवाह, हेमा जैन ने पौधा भेंट किया। मधु जैन, सुनील बग्गा, राहुल जैन, राजू सविता ने इलायची की माला और लीडर्स आगरा पट्टिका भेंट की।

सुनील जैन ने बताया कि कांता प्रसाद का समाज में उल्लेखनीय योगदान रहता है। वे अग्रवाल सेवा सदन और अग्रवन की संचालन समिति के 7 साल तक अध्यक्ष रहे। शिक्षा जगत को समर्पित विद्या भारती के वे 25 साल तक संरक्षक रहे और कमला नगर के सरस्वती विद्या मंदिर और शिशु मंदिर का भी लंबे समय तक प्रबंधन संभाला। शिक्षा के क्षेत्र को और अधिक ऊंचाइयां प्रदान करने के लिए जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल का निर्देशन कर रहे हैं। के. पी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की। चिकित्सा सेवा को दृष्टिगत रखते हुए केपी हास्पिटल का भी संचालन इनके द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में अग्रवाल महासभा के अध्यक्ष भी हैं।

अपने सम्मान के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कांता प्रसाद अग्रवाल ने कहा कि सामाजिक संगठनों की एकजुटता से ही देश शक्तिशाली बनता है। पीड़ित मानवता की सेवा ही ईश्वर की सबसे ब़डी सेवा है। उन्होंने कहा वें वृद्धाश्रम खोलने के पक्षधर नहीं हैं। बुजुर्ग घर के मुखिया होते है। बच्चों को ऊँगली पकड़ कर चलना सिखा कर, उनको स्थापित किया, सभी से समान व्यवहार कर परिवार को संयुक्त परिवार बनाने का प्रयास माता-पिता को करना चाहिए।

डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तकें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

 

Dr. Bhanu Pratap Singh