डॉ. भानु प्रताप सिंह
Agra, Uttar Pradesh, India. हिमानी बुंदेला। अब नाम ही काफी है। नेत्रों से दिव्यांग होने के बाद भी कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी) में एक करोड़ रुपये जीतकर नया इतिहास रच दिया है। आगरा के गुरु गोविन्द नगर, राजपुर चुंगी में अपने परिवार के साथ निवासरत हैं। उनके पिता विजय सिंह बुंदेला पर्यटन क्षेत्र के जानकार हैं। अनेक भाषाओं के ज्ञाता हैं। हिमानी बुंदेला विगत दिनों मेरे शास्त्रीपुरम, सिकंदरा स्थित निवास पर पिता और भाई के साथ पधारीं। खूब बातें हुईं। करोड़पति बनने के बाद हिमानी बुंदेला स्टार बन चुकी हैं। इसलिए हर जगह उनकी दीवाने हैं। उनके साथ फोटोग्राफी खूब हुई। पुरानी यादें ताजा हुईं।मैंने उन्हें अपनी तीन पुस्तकें भेंट कीं- मेरे हसबैंड मुझको प्यार नहीं करते, क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य, भारत के तलवारबाज और स्मारक प्रेमी किन्नर। इन्हे निखिल पब्लिशर्स ने प्रकाशित किया है। ‘मेरे हसबैंड मुझको प्यार नहीं करते’ का द्वितीय संस्करण आया है। परिजनों ने सम्मानित किया।
मैंने हिमानी को उनके पिता विजय सिंह बुंदेला के संघर्ष की कहानी सुनाई। वह दिन बखूबी याद है जब साइकिल से ही सफर शुरू हुआ। विजय सिंह बुंदेला खुश हैं कि आज उनकी पहचान बेटी हिमानी के कारण बढ़ी है। वे कहते हैं- ‘लोग मुझे जानते नहीं हैं, वे दूर से कहते हैं ये हिमानी के पापा हैं और प्रणाम भी करते हैं। मेरी बेटी मेरा गौरव है।’ हिमानी के भाई रोहित कहते हैं- दीदी के साथ जाता हूँ। दीदी के साथ मुझे भी सम्मान मिलता है।
बात-बात में मैंने हिमानी का साक्षात्कार भी किया। यह कितनी खुशी की बात है कि अपने परिवार का कोई बच्चा इस लायक हो जाए कि उसका इंटरव्यू करने का सौभाग्य मिले। मैं यहां सवाल जवाब संक्षिप्त में प्रस्तुत कर रहा हूँ। आपको विस्तार से जवाब जानने हैं तो वीडियो देख सकते हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः इतना बड़ा काम क्या बहुत आसानी से कर दिया है?
हिमानी बुंदेलाः बहुत लम्बे समय के संघर्ष का रिजल्ट है ये।
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डॉ. भानु प्रताप सिंहः तो क्या संघर्ष से ही सफलता मिलती है?
हिमानी बुंदेलाः बिलकुल सर,संघर्ष करेंगे तो एक न एक दिन सफलता जरूरत मिलेगी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः लेकिनराजनीति में तो लोग बिना संघर्ष के भी शिखर पर पहुंच जाते हैं?
हिमानी बुंदेलाः हर फील्ड का अपना अलग-अलग महत्व होता है। केबीसी में कठिन संघर्ष के बाद पहुंची हूँ।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः अमिताभ बच्चन के सामने बैठने में डर नहीं लगा?
हिमानी बुंदेलाः हॉट सीट पर बैठने से पहले डर लग रहा था कि वहां तक पहुँच पाएंगे या नहीं लेकिन जब बैठ गए तो डर जैस कोई बात नहीं रही। अमिताभ सर फ्रेंडली हैं। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे कि मैं शिक्षक हूँ और वह विद्यार्थी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः केबीसी मेंकुछ ऐसा भी हुआ होगा जो हम टीवी पर देख नहीं पाए?
हिमानी बुंदेलाः अमिताभ बच्चन सर ने सदी कामहानायक बनने की कहानी सुनाई। सदी का महानायक प्रतियोगिता में अमिताभ सर का भी नाम था। सॉफ्टवेयर से नाम का चयन हुआ तो अमिताभ सर का नाम ऊपर आ गया। यह बात सबमें फैल गई कि अमिताभ बच्चन सदी के महानायक हैं। बाद में पता चला कि तकनीकी गलती से ऐसा हुआ था। अमिताभ बच्चन सबको कहते हैं कि मैं सदी का महानयक नहीं हूँ लेकिन कोई मानता ही नहीं है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः लोग आपको देखकर कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं?
हिमानी बुंदेलाः जैसे ही मैं अपना मास्क नीचे करती हूँ तो लोग कहते हैं, अरे ये तो केबीसी वाली हिमानी जी हैं। एक फोटो प्लीज..।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः दिव्यांगों के लिए क्या करना चाहती हैं
हिमानी बुंदेलाः मेरा ध्यान दिव्यांगों पर है। मेरा सपना है दिव्यांग विभाग की अध्यक्ष बनना। मैं चाहती हूँ कि लोगों के सामने दिव्यांगों की क्षमता आए ताकि उनकी मानसिकता में बदलाव हो।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः सरकार तो दिव्यांगों के लिए बहुत काम कर रही है। तमाम तरह के उपकरण दिए जा रहे हैं, पेंशन मिल रही है और क्या चाहिए?
हिमानी बुंदेलाः ये सब तो जीवन को आसान बनाने वाले उपकरण हैं। जमीनी स्तर पर काम नहीं हो रहा है। मैंने अध्ययन किया तो केबीसी में एक करोड़ जीत पाई। दिव्यांगों के लिए शिक्षा आवश्यक है। अगर शिक्षित कर दें तो दिव्यांग लाचार नहीं रहेंगे। फिर वे कैम्प लगाकर स्वयं उपकरण वितरित करेंगे।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके उत्थान में किसका अधिक योगदान है, मां का या पिता का?
हिमानी बुंदेलाः दोनों का ही योगदान होता है। दोनों ने ही आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः विवाह के बारे में क्या विचार है?
हिमानी बुंदेलाः अभी सोचा नहीं है। शादी के बाद मैं लक्ष्य से भटक सकती हूँ।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः किस तरह का हसबैंड चाहिए?
हिमानी बुंदेलाः हसबैंड के विचार मेरे जैसे हों। मैं समाज और दिव्यांगों के लिए कुछ करना चाहती हूँ। मुझसे अधिक मेरे माता-पिता का सम्मान करे।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः राजनीति में आने का विचार है क्या?
हिमानी बुंदेलाः ऐसा नहीं है। मैं दिव्यांग विभाग की हेड बनना चाहती हैं और मुझे लगता है इसका रास्ता राजनीति से होकर जाएगा। आईएएस बनकर भी मेरा सपना पूरा नहीं हो सकता है क्योंकि उनका दायरा सीमित होता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः कौन सी राजनीतिक पार्टी अच्छी लगती है?
हिमानी बुंदेलाः मैं किसी पार्टी का नाम नहीं लूंगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकलांग के स्थान पर दिव्यांग शब्द दिया है, जिससे लोगों की मानसिकता में बदलाव आया है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः कोई संदेश देना चाहें?
हिमानी बुंदेलाः सैनिक हमारे देश की रक्षा करते हैं। देश के जरूरतमंद नागरिकों की मदद करना सिर्फ नेताओं का काम नहीं है। यह देश के हर नागरिक का कर्तव्य है।
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