कवि सम्मेलन

तू मान न मान, कवि तो तीन ही हैं दिनेश रघुवंशी, विनीत चौहान और अपने शशांक प्रभाकर भाईजान, देखें वीडियो

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Agra, Uttar Pradesh, India. व्यंग्यकार डॉ. अनुज त्यागी ने ‘फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन’ की वार्षिक श्रृंखला शुरू की है। आर्थिक संकटों का सामना करते हुए कवि सम्मेलन करा रहे हैं, नामी-गिरामी कवियों को बुला रहे हैं। आगरा वालों को गुदगुदा रहे हैं, तनाव से मुक्ति दिला रहे हैं। दुष्ट कोरोना आया, अनेक दुश्वारियां लाया। ‘फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन’ भी नहीं हो पाया, कविता प्रेमियों को नहीं ये भाया। 17 अप्रैल 2022 को वह शुभ दिन आया, फिर से फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन लाया। जेपी सभागार खंदारी परिसर में लोग शाम सात बजे से आ रहे थे, कविगण भी वीआईपी सीट पर पी रहे थे और खा रहे थे।

kavi sammelan
kavi sammelan का शुभारंभ करते अतिथि

अलवर से आए विनीत चौहान, एटा से पधारीं योगिता सिंह चौहान। दिल्ली से महेन्द्र अजनबी तो फरीदाबाद से दिनेश रघुवंशी। बिहार से शंभू शिखर और आगरा से शशांक प्रभाकर। आगरा से पवन आगरी और अनुज त्यागी तब साहित्य प्रेमियों की ललक जागी। इस कवि सम्मेलन की खास बात ये है कि कविता से शुरू और कविता से समापन और सुधी श्रोताओं ने भी नहीं बदला आसन। कविता ने कुछ ऐसा रंग जमाया, कुछ अवाक रह गए तो कुछ ने तालियां बजाकर शोर मचाया। शशांक प्रभाकर ने सुनाया-

भूली हुई चीजों का यादों में पास रखता हूँ,

अपने किरदारों में सबकुछ खास रखता हूँ।

इसीलिए तो नहीं बनती मेरी समंदर से,

वो गुरूर रखता है तो मैं भी प्यास रखता हूँ।

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फिर तो उन्होंने चार चार लाइनें सुनाकर खूब वाह-वाही लूटी। उनका कविता सुनाने का अंदाज भी निराला है, जो सबसे आला है। कभी सामने देखते हैं, कभी ऊपर तो कभी नीचे, इस तरह उन्होंने अपने कविता तरकश से अनेक तीर खींचे। मंच पर खड़े हुए थे लेकिन श्रोताओं के दिल में जा बैठे, गहरे तक पैठे।

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दिनेश रघुवंशी ने कहा कि मेरे पास बहुत माल है लेकिन कविता सुनानी है, कविता के नाम पर ताली बजवानी है। बीच में चाय वाला आया तो उसे बाहर भगाया। उन्होंने सुनाया-

जो माला में मोती बनकर पिरोई हो गई छोटी

गऊ माता को जो दी जाती लोई हो गई छोट

उठी दीवार तो आंगन यही हँसकर लगा कहने

बढ़ा है जायका लेकिन रसोई हो गई छोटी।

 

कवि सम्मेलन के संचालन का दायित्व विनीत चौहान ने संभाला, यह काम किया बड़ा भाला। महाभारत के उपेक्षित पात्र कर्ण पर ऐसी कविता सुनाई, जो हर किसी को भाई। श्रोता सुन रहे थे और तालियां बजा रहे थे, पलक भी नहीं झपका पा रहे थे। कर्ण-अर्जुन युद्ध के दौरान तक्षक नाग और कर्ण के बीच जो संवाद हुआ वो सुनने लायक है। विनीत च       हान ने कविता में इस तरह से लयबद्ध किया-

कहा कर्ण से रखो बाण पर अर्जुन को डस लूंगा

मेरा प्रण पूरा होगा उपकार नहीं भूलंगा

कहा कर्ण ने बाण दोबारा मैं संधान न करता

अपने ही बलबूते पर मैं विजयश्री को वरता

सर्पों के बल पर रण में कर्ण कभी न लड़ेगा

जितना समय बचा जीवन में लानत में बीतेगा

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महेन्द्र अजनबी ने नेता का भाषण सुनाकर सबको लोटपोट कर दिया।  ये नेता जी वाटर टैंक के उद्घाटन समारहो में भाषण दे रहे थे। कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं-

भाइयो और बहनो,

ये जो आप वाटर टैंक देख रहे हैं

इसमें वाटर भरा जाएगा

टैंक तो हमारी पौज में भी होता है

लेकिन उसमें वाटर नहीं भरा जाता है

वाटर यानी पानी

उन्होंने अफवाह फैलने की बात को कविता में सुनाया और अफवाहों के कारण ही दंगे हो जाते हैं।

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अपने पवन आगरी ने रमेश मुस्कान को लक्षित करके व्यंग्य कसा-

तू मुफलिसी का नाटक मत कर ऐ मेरे दोस्त

मैंने देखा है तुझे आज ही नींबू पानी पीते हुए..

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अपन आगरा के डॉ. अनुज त्यागी देश के जाने-माने व्यंग्यकार हैं लेकिन उन्होंने कविता का एक छंद सुनाकर रोमांचित कर दिया। योगिता सिंह चौहान ने जब सरस्वती वंदना सुनाई तो लगा कि कविती की बात करेंगी लेकिन बाद में जब उनका नम्बर आया तो कॉलेज वाला प्यार सुनाकर तालियां बटोरीं। शंभू शिखर ने वही घिसी-पिटी पुरानी लाइनें सुनाकर बोर किया। उनके पास कुछ भी नया नहीं है। कविता का मर्म वे नहीं जानते हैं। तुकबंदी में पुच्ची, प्यार और इशारों में अश्लीलता को ही वे कविता मानते हैं। बिहार की यशगाथा कविता सुनने लायक है। अच्छा हुआ विनीत चौहान ने उन्हें बीच में मंच दे दिया।

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फन्नी ढाबा कवि सम्मेलन का आयोजन सृजन दीप्ति संस्था ने किया था। सवा आठ बजे कार्यक्रम शुरू हुआ। पौन घंटा तक सम्मान समारोह चलता रहा। 11.15 बजे समापन हुआ। इस तरह कवियों का समय कम मिला।

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मुख्य अतिथि मंडलायुक्त अमित गुप्ता आए नहीं। संस्था के अध्यक्ष सतीश देव त्यागी, उपाध्यक्ष डॉ. रनवीर त्यागी और संजय बैजल, सचिव जितेन्द्र चाहर एडवोकेट, सह सचिव अजीत जेसवानी, कोषाध्यक्ष राकेश चंद्र शुक्ला हैं। कार्यक्रम में टीएन अग्रवाल, प्रशांत पौनिया, मनोज जादौन, अपर जिलाधिकारी अजय कुमार सिंह, बसंत अग्रवाल, परियोजना निदेशक एसबी सिंह, संजय वर्मा, जिला जेल के जेलर आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

 

 

Dr. Bhanu Pratap Singh