लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कानुपर में बीते कई दिनों से जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी के बीच चल रहा विवाद अब थम गया। इस विवाद में मुख्य चिकित्साधिकारी हरिदत्त नेगी को सस्पेंड कर दिया गया है। बीते कई दिनों से जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्साधिकारी के बीच विवाद चल रहा था और आरोप-प्रत्यारोप लग रहे थे। अब शासन ने गुरुवार बड़ी कार्रवाई की है। इसके साथ ही डॉ. उदय नाथ को कानपुर का नया मुख्य चिकित्साधिरी बनाया है। इन्हें श्रावस्ती से कानपुर भेजा गया है।
कानपुर के जिलाधिकारी जेपी सिंह और सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी के बीच हुए विवाद के तूल पकड़ने के बाद सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को निलंबित कर दिया गया है। उनकी जगह डॉ. उदय नाथ को कानपुर नगर का मुख्य चिकित्साधिकारी तैनात किया गया है। वह अभी तक अपर मुख्य चिकित्साधिकारी श्रावस्ती के पद पर तैनात थे।
बता दें कि कानपुर में जिलाधिकारी पर टिप्पणी करने वाला सीएमओ का कथित ऑडियो वायरल होने के बाद डीएम बनाम सीएमओ के मामले ने तूल पकड़ लिया। इसमें सीएमओ के बचाव में विधानसभा अध्यक्ष सहित तीन जनप्रतिनिधि भी उतर आए। वहीं, बिठूर विधायक ने मुख्यमंत्री से डीएम के समर्थन में पत्र लिखकर अपील की है। इस मामले की चर्चा कानपुर से लेकर लखनऊ तक हो रही है।
महाना के अलावा गोविंदनगर विधायक सुरेंद्र मैथानी, एमएलसी अरुण पाठक की ओर से सीएमओ को महानगर से नहीं हटाने का पत्र प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को लिखा था। इन सभी का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि इन जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा है कि यदि डीएम ने सीएमओ के खिलाफ कोई अनियमितता या कार्य में लापरवाही पकड़ी है, तो उस पर वह कड़ी कार्रवाई करें।
डीएम को लेकर सीएमओ के वायरल ऑडियो के विवाद को लेकर सीएमओ हरिदत्त नेमी ने अपना पक्ष रखा था। उन्होंने स्वीकार किया कि डीएम ने उनको बैठक से बाहर जाने को कहा। इसके साथ ही उन्होंने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार भी किया। उनका कहना था कि व्यवस्था सुधारने के लिए उनकी सख्ती से नाखुश लोगों ने ही उनके बारे में डीएम को गलत फीड किया।
सीएमओ डॉ. नेमी ने कहा कि डैश बोर्ड की बैठक से बाहर निकाला जाना उनके लिए अपमानजनक स्थिति रही। कुछ लोगों ने ऑडियो क्लिप बनवाकर सोशल मीडिया पर डाल दी। क्लिप से उनका कोई लेना-देना नहीं है। विभागीय पटल बदल देने से विभाग के कुछ लोग उनसे नाराज हो गए। इसके अलावा एक फर्म का उन्होंने भुगतान रोक दिया था। यह फर्म दवा सप्लाई करती है।
कानपुर डीएम और सीएमओ के बीच चल रहे विवाद में बड़ा ऐक्शन हुआ है। यूपी सरकार ने कानपुर सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी को सस्पेंड कर दिया गया। उनकी जगह श्रावस्ती के अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. उदयनाथ को कानपुर का नया सीएमओ बनाया गया। डॉ. हरिदत्त नेमी को कानपुर से न हटाए जाने की स्पीकर महाना से लेकर कई विधायक भी सिफारिश कर चुके हैं। इसके बाद भी सीएमओ पर गाज गिर गई और उन्हें गुरुवार को सस्पेंड कर दिया गया।
पिछले दिनों डीएम की ओर से सीएमओ के निलंबन की संस्तुति करते हुए शासन को पत्र भेजा गया था। इसके बाद सीएमओ के वायरल हो रहे ऑडियो को लेकर स्थिति गंभीर हो गई। रविवार को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की ओर से सीएमओ के पक्ष में उपमुख्यमंत्री को लिखा 11 जून का पत्र वायरल हुआ। इसके अलगे ही दिन कानपुर के चार विधायकों के पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को लिखे गए लेटर में महाना ने सीएमओ का तबादला न करने की बात लिखी थी। लेटर में लिखा था, सीएमओ आवास पर आए थे।
उन्होंने तबादला होने की बात बताई थी। पूरी बात सुनने के बाद मैंने 11 जून को डिप्टी सीएम एवं चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा था। कानपुर में तैनात सीएमओ का कार्य एवं व्यवहार आमजन और जनप्रतिनिधियों के प्रति मृदुल व सराहनीय है। जनहित में इन्हें बनाए रखने पर विचार हो। रही बात डीएम और सीएमओ के बीच विवाद की तो जानकारी नहीं है। इसके बाद दो विधायकों ने भी शासन को पत्र लिखकर सीएमओ के समर्थन में सिफारिश की थी।
बीते शनिवार को सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में सभी विभागों के अफसरों की बैठक थी। सुबह 11 बजे से जिलाधिकारी सीएम डैश बोर्ड की समीक्षा करने पहुंचे थे। जिले भर के सभी अधिकारी बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। इसमें सीएमओ डॉ. हरिदत्त नेमी अपने साथ एसीएमओ रमित रस्तोगी को लेकर पहुंचे। बैठक शुरू होते ही सबसे पहले स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा का नंबर आ गया। तभी डीएम ने सीएमओ को देखते हुए कहा, सीएमओ साहब ये क्या हो रहा है। उनका संकेत एक वायरल ऑडियो की ओर था, जो सीएमओ का बताया जा रहा है। जिसमें डीएम के बारे में अमर्यादित टिप्पणी की गई है। जवाब में सीएमओ ने कहा सर, ये फेक ऑडियो हैं। किसी ने एआई से बनाकर वायरल किया है। यह सुनते ही जिलाधिकारी ने सीएमओ केा बाहर जाने का आदेश दे दिया। उन्होंने कहा, आप जाएं और जांच कराएं। फेक है तो एफआईआर दर्ज कराएं।
ये है पूरा मामला
फरवरी में डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीमएओ कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। डीएम के निरीक्षण में सीएमओ सहित कई वरिष्ठ अधिकारी बिना सूचना के गैर हाजिर मिले थे। इसके बाद डीएम ने सीएचसी और पीएचसी का भी दौरा किया। वहां कागजातों में अनियमितता मिलीं। साथ ही कर्मचारियों की लापरवाही भी सामने आई। डीएम ने इसको गंभीरता से लेते हुए सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर दी थी। तब से ही डीएम और सीएमओ के बीच तनातनी चल रही है।
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