24 jinalay

24 जिनालय के वार्षिकोत्सव में परमात्मा की जय-जयकार, चांदी निर्मित आंगी का परिभ्रमण

RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. कलिकुण्ड तीर्थोद्धारक आचार्य श्री राजेंद्र सूरीश्वर जी द्वारा प्रेरित एवं सूरि समाराधक आचार्य श्री राजशेखर सूरीश्वर जी द्वारा प्रतिष्ठित श्री कलिकुण्ड पार्श्वनाथ चौबीस जिनालय का 10वां वार्षिकोत्सव धूमधाम से मनाया गया। ध्वजा परिवर्तन किया गया। मुंबई के पंकज दोषी परिवार ने ध्वजा परिवर्तन का लाभ लिया। 25 तीर्थंकर प्रतिमाओं का अभिषेक किया गया ताकि वर्षभर में कोई दोष हुआ है तो दूर किया जा सके। कार्यक्रम श्री वर्धमान जैन मंदिर दादाबाड़ी में गोलेच्छा विधिकारक के सानिध्य में हुआ। बड़ी संख्या में श्रावक और श्राविकाएं परमात्मा की जय-जयकार करते रहे।

पंकज दोषी परिवार ने कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान और वर्धमान महावीर स्वामी की चांदी निर्मित आंगी भेंट की। अजितनाथ भगवान की आंगी अजित कोठारी (आगरा) ने भेंट की। तीनों आंगी को रथ में विराजित करके दादाबाड़ी परिसर में परिभ्रमण कराया गया। इस दौरान श्रावकों का उत्साह देखते ही बन रहा था।

जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्री संघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने बताया कि श्री कलिकुण्ड पार्श्वनाथ चौबीस जिनालय उत्तर भारत में सर्वाधिक प्रसिद्ध है। गुजरात शैली में बनाया गया है। इसकी ख्याति का प्रमाण यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे तीर्थस्थल घोषित किया है। तीर्थस्थल में जाते हैं तो अशोक जैन सीए की याद आती है। आचार्य श्री राजेंद्र सूरीश्वर जी की प्रेरणा से अशोक जैन सीए ने 24 जिनालय का निर्माण कराया। खास बात यह है कि 24 जिनालय में 24 तीर्थंकरों की प्रतिमाएं हैं। 24 जिनालय में दर्शन करना अपने आम में शुभ होता है। वार्षिकोत्सव और ध्वजा परिवर्तन के दौरान धार्मिक प्रवाहना हुई।

इस मौके पर कमलचंद जैन, सुनील कुमार जैन, उत्तमचंद चौरड़िया, ममता जैन, संगीता सकलेचा, रीटा ललवानी, नूतन वागचर, उषा वैद, संदेश जैन, सुशील जैन, वीरचंद गादिया, विमल जैन, विमल जैन, अजय कमार जैन, संजय दूगड़, अशोक कोठारी, राजीव खरड़, अजय ललवानी, रोबिन जैन की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। दुष्यंत लोढ़ा ने धार्मिक व्यवस्थाएं संभालीं।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh