जैन गच्छाधिपति सेठ प्रकाशचन्द महाराज को जैन संतों ने की श्रद्धांजलि अर्पित

RELIGION/ CULTURE

आगरा: श्री श्वेताम्बर स्थानकवासी जैन ट्रस्ट, आगरा द्वारा जैन स्थानक महावीर भवन में गच्छाधिपति वीतराग तपस्वी पूज्य गुरुदेव श्री सेठ प्रकाशचन्द महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक सभा का आयोजन किया गया। पूज्य गुरुदेव का 96 वर्ष की आयु में 5 अगस्त को गोहाना में संथारा पूर्वक देह त्याग कर देवलोक गमन हो गया था। इस सभा में सोनीपत, पानीपत और बड़ौत से आए श्रद्धालुओं ने भी भाग लिया।

आगम ज्ञान रत्नाकर श्री जयमुनिजी के विचार

श्रद्धांजलि सभा में अपने विचार व्यक्त करते हुए आगम ज्ञान रत्नाकर, बहुश्रुत श्री जयमुनिजी ने बताया कि सेठ प्रकाशचन्दजी ने 16 वर्ष की आयु में 18 जनवरी 1945 को दीक्षा अंगीकार की थी। दीक्षा से पहले वे अपनी कपड़े की दुकान की चाबी अपने पास रखते थे, इसलिए उन्हें ‘सेठ’ कहा जाने लगा। उन्होंने बताया कि सेठ प्रकाशचन्दजी व्याख्यान वाचस्पति श्रीमदन लालजी महाराज के शिष्यों में सबसे अधिक आयु पाने वाले संत थे और उनकी दीक्षा पर्याय 80 वर्ष की रही।

मौनी बाबा और स्थितप्रज्ञ संत

गुरु हनुमंत श्री आदीश मुनि ने बताया कि वैराग्य अवस्था में उन्होंने पहली बार गच्छाधिपति महाराज के दर्शन किए थे। उन्हें ‘मौनी बाबा’ भी कहा जाता था। वे एक सरलता और सच्चाई से भरे संत थे, जो कभी जल्दबाजी नहीं करते थे। मुनिश्री ने कहा कि उन्होंने सेठजी महाराज से आसमान में तारे पहचानना और वनस्पति के बारे में ज्ञान प्राप्त किया था। वे कष्ट सहिष्णु होने के साथ-साथ निर्मोही भी थे।

पूज्य श्री आदित्य मुनि ने बताया कि उन्होंने भी दीक्षा लेने से पहले दिवंगत आत्मा के दर्शन कर लिए थे। उन्होंने कहा कि सेठजी महाराज जीवनभर स्वाध्याय में लीन रहे और अपनी रसनेंद्रिय पर काफ़ी संयम रखा। अपने जीवन के अंतिम नौ वर्षों से वे केवल पाँच प्रकार के द्रव्य ही ग्रहण करते थे।
सीएस उज्ज्वल जैन, सुशील जैन, राजकुमार जैन, सीए अनिल जैन और सुरेश जैन ने भी पूज्य गुरुदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की। ट्रस्ट के महामंत्री राजेश जैन आगरा से एक शिष्टमंडल के साथ गोहाना गए थे, जहाँ हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए उपस्थित थे।

धर्म और कर्म का महत्व:

श्रद्धांजलि सभा के बाद हुए प्रवचनों में जैन संत जय मुनि ने बताया कि भगवान महावीर की करुणा केवल वैभवशाली लोगों पर ही नहीं, बल्कि अभावग्रस्त लोगों पर भी बरसती थी। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मर्यादा बनाए रखनी चाहिए और केवल धन कमाने को ही अपना लक्ष्य नहीं बनाना चाहिए, क्योंकि धन से हर चीज़ खरीदी नहीं जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अच्छे कर्म करते रहना चाहिए और संयमित जीवन का निर्वाह करना चाहिए, तभी हम भगवान महावीर की करुणा का समुचित लाभ उठा पाएंगे।

Dr. Bhanu Pratap Singh