किसी भी देश में अलगाववाद और हिंसा की वकालत करना गलत: एस जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि कनाडा या किसी भी देश में अलगाववाद और हिंसा की वकालत करना अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं बल्कि उसका गलत इस्तेमाल है.

उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत में इन देशों के दूतावास पर हमले हों और राजनयिकों को धमकियां मिले तो क्या उस स्थिति में भी ये अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करेंगे?

एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में जयशंकर से पूछा गया कि नई दिल्ली में हुए जी 20 शिखर सम्मेलन के बाद भारत-कनाडा के बीच रिश्ते बिगड़े हैं. वीज़ा मिलने की रफ्तार धीमी हुई है. भारत ने कनाडा में वीज़ा देने की प्रक्रिया बंद की गयी थी. क्या कनाडा की तरफ़ से भारत को लेकर अब समझ बढ़ती दिख रही है?

इस सवाल के जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “हमें वीज़ा प्रक्रिया इसलिए रोकनी पड़ी क्योंकि हमारे राजनयिक काम पर जाने को लेकर सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे. उन्हें धमकी मिल रही थी. उस समय हमें कनाडाई सरकार से ज़रूरत भर सहयोग नहीं मिल रहा था. आज हालात उससे बेहतर हैं तो वीज़ा का काम पहले की तरह सामान्य हो गया है.”

“कनाडा ये कहता रहता है कि वो एक लोकतंत्र हैं और लोगों को बोलने की आज़ादी है लेकिन लोगों को धमकाना और वाणिज्य दूतावास पर स्मोक बम फेंकना अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं होती. मित्र देश के ख़िलाफ़ हिंसा और अलगाववाद की बात करने वालों की वकालत करना अभिव्यक्ति की आज़ादी नहीं होती, ये अभिव्यक्ति की आज़ादी का ग़लत इस्तेमाल होता है.“

“ये कई देश में अलग- अलग स्तर पर होता है. ब्रिटेन में हमारे दूतावास पर हमला किया और हमें जितनी सुरक्षा मिलनी चाहिए थी नहीं मिली. हमारी जगह ख़ुद को रखिए और बताइए कि अगर आपके साथ ऐसा होता तो आप अभिव्यक्ति की आज़ादी की बात करते. हमें अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से मज़बूत सहयोग मिला.”

“अगर कोई देश किसी देश के दूतावास पर हमले की जांच और उस पर कार्रवाई नहीं करता है तो ये एक तरह का संदेश हैं, मुझे नहीं लगता कि देशों के लिए इस तरह का संदेश देना ठीक है. ख़ास कर उनके लिए ये ठीक नहीं है. हम मानते हैं कि लंदन में दूतावास पर हमले के पीछे दोषी पर कार्रवाई हो, जिसने कनाडा में दूतावास और वाणिज्य दूतावास पर हमले किए उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.”
मालदीव के साथ हालिया समय में चल रहे तनाव पर भी जयशंकर ने बात की.

मालदीव की नई मुइज़्ज़ू सरकार ने भारतीय सैनिकों के मालदीव में होने पर कड़ा एतराज़ जताया था. मालदीव में भारतीय जहाज़ों की देखरेख और संचालन के लिए भारतीय सेना के कुछ जवान वहां तैनात हैं, जिस पर मालदीव सरकार ने एतराज़ जताया था.

इस वाकये पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि “पूरी दुनिया, पूरे समय कृतज्ञता और एहसान पर नहीं चलती. इसका रास्ता कूटनीति ही निकालती है. हर परिस्थिति में हमें लोगों को समझाना पड़ता है. मालदीव में दो हेलिकॉप्टर हैं और एक प्लेन है. इनका इस्तेमाल मेडिकल राहत बचाव कार्य के लिए होता है. इसका फ़ायदा मालदीव के लोगों को होता है. ये सेना के प्लेन हैं तो उन्हें सेना के लोग नहीं चलाएंगे तो कौन चलाएगा. इस पर अगर उन्हें एतराज है तो हम इसका बैठकर सुझाव निकालेंगे.”

भारत और मालदीव के बीच इसे लेकर नई सहमति बनी है और अब भारत के टेक्नीशियन मालदीव में इन जहाज़ों की देखरेख के लिए तैनात किए जाएंगे.

-एजेंसी

Dr. Bhanu Pratap Singh