manish agrawal ravi events

आगरा महोत्सव करा रहे रावी ईवेंट्स के MD मनीष अग्रवाल ने कहा- ताज महोत्सव को और बेहतर कर सकते हैं, जानिए भविष्य की योजनाएं

BUSINESS ENTERTAINMENT NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Agra, Uttar Pradesh, India. रावी ईवेंट्स कंपनी ने आगरा महोत्सव के रूप में सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को बड़ा बाजार प्रदान किया है। उत्तर प्रदेश ही नहीं, अन्य राज्यों के उत्पाद भी यहां उपलब्ध हैं। हस्तशिल्प, कला, संस्कृति, साहित्य और खान-पान का संगम है आगरा महोत्सव। कितनी बड़ी बात है कि एक ही स्थान पर स्कूटी से लेकर अचार तक उपलब्ध है। 10 रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक का उत्पाद आगरा महोत्सव में है। ‘हर माल 10 रुपये’ वाले स्टॉल पर महिलाओं की भीड़ देखी जा सकती है। 100 रुपये में तमाम तरह के वस्त्र मिल रहे हैं। महिलाओं का प्रिय गोलगप्पा मंहगा है, 30 रुपये के छह मिल रहे हैं लेकिन बिक्री खूब हो रही है। एक ही स्थान पर 56 तरह का अचार भी मायने रखता है। यह कमाल किया है रावी ईवेंट्स के प्रबंध निदेशक मनीष अग्रवाल ने। वे कहते हैं- रावी ईवेंट्स शहर के विकास की, नयी संभावनाओं की और बदलते आयामों की एक सोच है। हमारा इरादा उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों में भी इसी तरह के उत्सव करने का है। योजना बना रहे हैं। रावी ईवेंट्स ने आगरा को नई पहचान दी है। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने आगरा महोत्सव को लेकर मनीष अग्रवाल से बातचीत की। प्रस्तुत हैं मुख्य अंश-

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा महोत्सव की शुरुआत कैसे और कब हुई

मनीष अग्रवालः हमने 2003 से स्वेदशी मेला की शुरुआत की थी। 2006 तक चलाया इसे। इसके बाद 2007 से मिड नाइट बाजार की स्थापना की। इसे 2013 तक साल में दो बार लगाया। फिर ऐसा लगा कि इसमें भारतीय कला, संस्कृति का मिश्रण भी होना चाहिए। इसलिए 2014 में आगरा महोत्सव ब्रांड विकसित किया। इसे 2018 में बड़े स्वरूप में ले आए। राजनाथ सिंह, डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा, मनोज तिवारी जैसी हस्तियां आईं। उपराष्ट्रपति वैंकैया नायडू ने भी स्वीकृति दी थी लेकिन नहीं आ आए। हमारा उद्देश्य सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ व्यापारिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा महोत्सव में पहली बार कितने स्टाल्स थे और आज कितने हैं?

मनीष अग्रवालः पहली बार 50 स्टॉल्स से शुरुआत हुई थी और अब 200 से अधिक स्टाल्स हैं। इस समय उत्तर प्रदेश के 25 जिलों और देश के चार राज्यों के लोग अपने उत्पाद लेकर आगरा महोत्सव में आए हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः स्टॉल लगाने वालों को क्या सुविधाएं प्रदान करते हैं?

मनीष अग्रवालः अच्छा, सुसज्जित स्ट़ॉल, उत्पाद का प्रचार, ग्राहकों को स्टॉल तक पहुंचाने की व्यवस्था करते हैं। उनकी हरसुविधा का ध्यान रखते हैं। परिवार जैसी स्थिति हो जाती है। स्टॉल लगाने वाले अंतिम दिन जाते हैं तो सबकी आंखें नम हो जाती हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सूक्ष्म, लघु, मध्यम श्रेणी के कारोबारियों के लिए ही है क्या महोत्सव?

मनीष अग्रवालः एमएसएमई के लिए तो है ही। मुख्यतः कुटीर और लघु उद्योगों पर फोकस किया है। मध्यम उद्योग सरकार की दृष्टि में बड़े हो गए हैं। वे लोग जिन्हें दुकान होने के बावजूद ग्राहक नहीं मिल पाता है, उन्हें अस्थाई दुकान देकर बाजार देते हैं। बड़ी कंपनियों का ग्राहक से सीधे सामना कराते हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा महोत्सव में कितने का कारोबार हो जाता है?

मनीष अग्रवालः अच्छा खासा कारोबार होता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः सर्वाधिक लोकप्रिय उत्पाद कौन सा होता है?

मनीष अग्रवालः खुर्जा की पॉटरी, सहारनपुर का फर्नीचर, मुरादाबाद के पीतल के आइटम, भदोही का कारपेट, प्रतापगढ़ का मुरब्बा, राजस्थान का अचार, दिल्ली की ज्वेलरी लोकप्रिय है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा महोत्सव में खान-पान किस तरह का है, सफाई कैसी है?

मनीष अग्रवालः खान-पान और मनोरंजन की अलग से व्यवस्था है। ढाबे हैं। राजस्थान की प्याज कचौड़ी है। ब्रज की परंपरागत चाट है। गोहोना की जलेबी है। ब्रज की लस्सी भी है। मुंबई की भेलपूरी है। भोला की चुस्की है। दक्षिण भारत का खानपान है। सफाई तो उत्तम है। कोरोना प्रोटोकॉल का भी ध्यान है। प्रवेश करते ही हाथ सैनीटाइज कराए जाते हैं। मास्क लगाने का आग्रह है। बिना मास्क प्रवेश नहीं है। अंदर जाकर लोग मास्क उतार लेते हैं तो उन्हें भी टोका जाता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः ऐसे भी स्टाल होंगे, जिनका खर्चा भी नहीं निकल पाया होगा?

मनीष अग्रवालः आगरा महोत्सव में तीन तरह के स्टॉल्स हैं। बड़ी कंपनियां देने में सक्षम हैं, उनसे अधिक पैसा लेकर खर्चा निकालने का प्रयास करते हैं। जो स्वरोजगार पर काम कर रहे हैं, उन्हें बढ़ावा देने के लए लागत मूल्य पर स्टाल देते हैं। जिन पर कोई पैसा नहीं है या सूक्ष्म पूंजी से काम शुरू किया है, ऐसे एनजीओ और सेवा क्षेत्र में सक्रिय संस्थाओं को निःशुल्क स्टॉल देते हैं।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः नाम तो आगरा महोत्सव है लेकिन तमाम कारोबारी अन्य जिलों के भी हैं, ऐसा क्यों?

मनीष अग्रवालः आगरा के मेले में आगरा का पेठा बेचना मुश्किल होगा लेकिन गोहाना की जलेबी बेचना आसान है। इस तरह गोहाना में आगरा का पेठा बेचना आसान है। इसी कारण अन्य जिलों से कारोबारी बुलाए हैं। आगरा महोत्सव से आगरा में व्यापारियों का आवागमन बढ़ रहा है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या उत्तर प्रदेश और देश के अन्य शहरों में भी आगरा महोत्सव लगाने का विचार है?

मनीष अग्रवालः अवश्य। जिस जिले में जाएंगे, उसी जिले के  नाम से महोत्सव लगाने का विचार होगा। इसे मिड नाइट बाजार को संबद्ध करेंगे।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा महोत्सव को रावी ईवेंट्स को क्या लाभ होता है?

मनीष अग्रवालः रावी ईवेंट्स मेले की सभी व्यवस्थाओं का प्रबंधन करता है।

डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या रावी ईवेंट्स ताज महोत्सव को भी संभाल सकता है?

मनीष अग्रवालः क्यों नहीं, हम अपने अनुभव से ताज महोत्सव को और अच्छा बेहतर बनाने का प्रयास कर सकते हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh