अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता संजय शास्त्री जी महाराज ने हिंदुओं के बारे में की बड़ी घोषणा, भागवत मंच पर तिरंगा के साथ ‘भारत माता की जय’ की गूंज

RELIGION/ CULTURE

डॉ. भानु प्रताप सिंह

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. शास्त्रीपुरम में हुई भागवत कथा कई मायनों में अद्भुत रही। अंतरराष्ट्रीय भागवत प्रवक्ता संजय शास्त्री जी महाराज (वृंदावन) ने सभी को मोह लिया। सबको भावुक कर दिया। श्रद्धालु भक्तिरस में इतने डूबे कि रह-रहकर नृत्य करते रहे। भागवत मंच पर सातों दिन तिरंगा लहराता रहा। सनातन धर्म के साथ-साथ व्यक्ति, परिवार, समाज और देश को बचाने की चिंता होती रही। उन्होंने माताओं को सीख दी कि बच्चों को संस्कार दें। भागवत कथा के अंतिम दिन तो संजय शास्त्री जी महाराज ने घोषणा की कि भारत में फिर से भगवा लहराएगा। ‘भारत माता की जय’ का नारा गुंजायमान हुआ। 5 से 12 जनवरी, 2025 तक भागवत कथा का आयोजन मनोज शर्मा और श्रीमती पूनन शर्मा (दोनों प्राध्यापक) ने कराया।

इस भागवत कथा की एक और उल्लेखनीय बात रही कि देवताओं के स्वरूपों से नृत्य नहीं कराया गया। बाल कृष्ण और कृष्ण-रुकमणि विवाह की झांकी के दर्शन हुए। बच्चों को ही यह अवसर मिला। संजय शास्त्री जी महाराज का मानना है कि देवताओं के स्वरूपों को नचाना गलत है। भागवत कथा के नाम पर मनोरंजन परोसना उचित नहीं है। श्रद्धालु अपने पितरों के मोक्ष और कुछ मनोकामना के साथ भागवत कथा कराते हैं और आजकल कथावाचक कथा सुनाने के स्थान पर मनोरंजन को वरीयता देते हैं, जो अनुचित है।

संजय शास्त्री जी महाराज के साथ बच्चा पार्टी। इन बच्चों ने भागवत की व्यवस्थाएं संभालीं।

सनातनी जाग चुका है

संजय शास्त्री जी महाराज ने भागवत कथा के विश्राम के मौके पर अद्भुत बात कही-  “हम लोगों को मोहम्मडन से भय नहीं है, दोगले हिंदुओं और दोगले सनातनियों से भय है। जब तक दोगले हिंदू रहेंगे, हमारे सनातन में बाधा आती रहेगी। हमारे भारतवर्ष पर राज तब किया जब उन दुष्टों को हमारे लोग ही रणनीति देते रहे। सनातनी के गुलाम होने का एक ही कारण रहा कि हमारा कोई हिंदू, हमारा कोई सनातनी उन दुष्टों से मिला। भागवत मंच से कहना चाह रहा हूँ कि आज से ऐसा नहीं होगा। सनातनी जाग चुका है और भारतवर्ष के अंदर भगवान लहराएगा। जगह-जगह सनातन का पूरा प्रचार होगा। अब इस भारत पर हमारे ठाकुर जी और लाड़ली राधारानी के अलावा कोई राज नहीं कर पाएगा क्योंकि युवा पीढ़ी स्पीड से जागने का प्रयास कर रही है।”

विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल को आशीर्वाद देते संजय शास्त्री जी महाराज।

भाजपा विधायक ने क्या कहा

भारतीय जनता पार्टी के विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने कहा- सनातन पंरपरा में सबको बाँटकर खाने की आदत है। हम ही विश्व के कल्याण की कामना करते हैं और यही हमारी संस्कृति है। हम मिलकर और मतभेद भुलाकर रहें, इसी में देश और समाज का कल्याण है। भागवत कथा मानव जीवन के कल्याण की प्रेरणा देती है।

भागवत कथा में नृत्य करतीं श्रद्धालु।

हिंदू एकजुट रहें

दिल्ली से आए रवि चंद्र शर्मा ने कहा- भागवत कथा, रामायण तभी तक करा सकते हैं जब तक हिंदू सुरक्षित है। अगर हिंदू अल्पसंख्यक हो गया तो कोई भागवत कथा नहीं होगी। हिंदू एक न रहे तो जो हाल पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं का हुआ है, वही भारत में हो जाएगा। राजा परीक्षि बने मनोज शर्मा के पिता ब्रह्मदत्त शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया।

कृष्ण-रुक्मणि विवाह कथा के दौरान पूजन।

ईश्वर प्राप्ति के लिए तीन काम करें

संजय शास्त्री जी महाराज ने अनेक कथाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को अवगत कराया कि किस तरह से ईश्वर की प्राप्ति की जा सकती है। उन्होंने तीन विधियां बताईं-

  1. 24 घंटा में से एक घंटा एकांत में बिताओ। मन को ईश्वर के चरणों में स्थापित करो। मैं चार घंटा भागवत कथा में बैठता हूँ तो किसी से कोई लेना-देना नहीं रहता। आप भी कोई समय तय करो, फिर किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
  2. प्रातःकाल 4 बजे उठकर ईश्वर का ध्यान करो और पूछो मैं कौन हूं और मुझे क्या करना चाहिए। ईश्वर आपको पूरी जानकारी देगा।
  3. भजन करते समय काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार को एक ओर रख दो, तब चेतना जाग्रत होगी।
भागवत कथा सुनते श्रद्धालु।

संजय शास्त्री जी महाराज के श्रीमुख से निकलीं उपयोगी बातें

  1. जब मन की गति ईश्वर से जुड़ जाती है तो कथा हो जाती है।
  2. मंदिर में पत्थर की मूर्ति है और घर में मानव चलती-फिरती मूर्ति है। ईश्वर पिता की तरह सबके हृदय में विराजमान है।
  3. कथा का उद्देश्य अधर्म को छोड़कर धर्म पर चलना है।
  4. सतसंग का अर्थ सत्य का संग है। जिसके हृदय में ईश्वर है, उसके मुखारबिंद से सतसंग ही निकलेगा।
  5. गलत कर्म करने वाले को भगवान भूत बनकर डराता है।
  6. जो जन्म देता है, वह पिता मोह का पात्र है। ईश्वर परमपिता है, उसके नाम का स्मरण करो, परमपिता को कुछ भी नहीं चाहिए।
  7. कोई भी माता अपने पति का अपमान न सहे।
  8. राम का नाम लेने क साथ कर्म भी ठीक करो, वरना नर्क मिलेगा।
भागवत कथा सुनते श्रद्धालु।
  1. अहंकार नर्क की ओर ले जाता है।
  2. कलयुग में चुगली करने वालों का भंडार है, इसलिए सावधान रहो।
  3. शंकर जी के नाम पर गांजा पीने वाले जहर क्यों नहीं पीते।
  4. शास्त्रों में स्त्री को नग्न देखना पाप है।
  5. गुरु दीक्षा के बिना भिखारी को भिक्षा देने का भी फल नहीं मिलता है।
  6. जिस घर में भक्ति होती है, वहीं प्रभु का धाम है।
  7. भागवत पुराण में अलीगढ़ का नाम हरिगढ़ और दिल्ली का नाम इंद्रप्रस्थ है। हम पर बाहरी लोगों ने इसलिए राज किया कि हम बिछुड़ गए थे।
  8. भागवत पांडाल में वही आता है, जिसे गोविंद अनुमति देता है।
  9. भागवत कथा सुनने के बाद जीवन बदलने का प्रयास करो और न किया तो कथा का अपमान है। भागवत कथा ईश्वर के वचन हैं। ईश्वर की भक्ति की तो संसार की आवश्यकता नहीं रहेगी।
  10. जिंदा गोमाता को डंडा मारते हो और फोटो वाली की पूजा करते हो, जीवित माता-पिता को रोटी नहीं देते हो और मरने के बाद उनकी फोटो पर माला चढ़ाते हो, जो साक्षात सामने है, उसकी सेवा करो। माता-पिता साक्षात भगवान हैं, इनकी सेवा करो, मंदिर, गंगा स्नान से कुछ नहीं मिलेगा।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh