5वें ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोदान की स्क्रीनिंग हुई, दर्शकों ने सराहा, फिर गोदान-2 बनाने की घोषणा, शूटिंग होगी आगरा में
“अगर औरत के साथ वफादार रहोगे तो वो सावित्री बनकर यमराज से भी प्राण वापस ले आएगी। बेवफाई की तो चंडी बनकर आपके प्राण ले लेगी”
डॉ. भानु प्रताप सिंह
आज हम आपको मिलवा रहे हैं एक ऐसी कलाकार से जो खुद्दार है, संघर्षशील है, जिसके जीवन के फंडे स्पष्ट हैं। घर फूंककर तमाशा देखती हैं। खास बात यह है कि इसमें उनके पतिदेव का 101 फीसदी सहयोग है। पति से थिएटर में भेंट हुई, प्रेम प्रस्ताव स्वीकारा, घर वालों से झगड़कर भी विवाह किया। थिएटर के प्रति जनता की उदासीनता से मन दुखी हुआ तो फिल्म निर्माण में कदम रखा। मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास पर आधारित ‘गोदान’ फिल्म बनाई। आगरा में 5वें ग्लोबल ताज इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में गोदान की स्क्रीनिंग हुई। दर्शकों का ऐसा प्रेम मिला कि अब गोदान-2 फिल्म बनाने जा रही हैं। फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला। लाखों रुपये की धोखाधड़ी की शिकार हुईं, फिर भी हिम्मत नहीं हारी है। उन्होंने डॉ. भानु प्रताप सिंह के सवालों के जवाब बेबाकी के साथ दिए।
मुंबई में थिएटर से एक्टिंग की शुरुआत
हम बात कर रहे हैं हेमा रेजिनल्ड की। वे मूलतः ग्वालियर की हैं। उनके पिता सरकारी सेवा में थे सो हर तीन साल बाद स्थानांतरण होता रहता था। बिहार में तैनाती के दौरान पिता का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद हेमा अपनी बुआ शंकुतला के पास मुंबई आ गईं। वे अपनी बुआ को दूसरा मां की तरह मानती हैं। बचपन से ही थिएटर (नाटक) में रुचि थी और सौभाग्य से मुंबई आ गईं। इप्टा से जुड़कर मुंबई में थिएटर करना शुरू कर दिया।
फिल्म और सीरियल में काम
दूरदर्शन के लिए जिंदगी सीरियल, फिल्म दुर्गा का हिसाब और गंदे लोग, टीवी सीरियल उड़ान में काम किया। अमृतपाल के निर्देशन में एक चादर मैली सी, मामूली आदमी, कुरुक्षेत्र से कारगिल की ओर, बाबूजी आदि नाटक किए।
घर वालों से झगड़कर लव मैरिज
हमारा बाबूजी नाटक बहुत लोकप्रिय हुआ। इसी नाटक के दौरान एबनर रेजिनल्ड जी से भेंट हुई। उन्होंने मुझे आय लव यू बोला तो मैंने भी आय लव यू टू कहा। मैंने अपनी बुआ को बताया तो उन्होंने बखेड़ा कर दिया। खूब झगड़ा हुआ। इसके बाद भी मैंने कोर्ट मैरिज कर ली। मेरे पति अरनेब कलाकार और निर्देशक हैं। हम दोनों ने मिलकर ‘हम लोग मुंबई’ नाट्य ग्रुप बनाया। फिर बाद में ‘अपना थिएटर’ के नाम से पंजीकरण कराया।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः थिएटर से दूरी क्यों बना ली?
हेमा रेजिनल्डः एक्टिंग सीखने के लिए थिएटर करना जरूरी है, लेकिन इससे घर खर्च नहीं चलता है। हम दोनों थिएटर के प्रति इतने समर्पित रहे कि जेब से खर्च करके शो करते थे। स्वयं टिकट बेचते थे। फिर भी दर्शक नहीं आते थे। कुछ नाटकों ने पैसा दिया लेकिन अधिकांश ने नहीं। बाहर काम करने जाओ तो मनपसंद रोल नहीं मिलाता है। जो एक्टिंग नहीं जानते हैं, वे एक्टिंग के जानकार कलाकारों को निर्देशित करते हैं। इस कारण काम करने में मन नहीं लगता है। ड्रामा में नए लोग भी नखरे दिखाने लगते हैं। वे पूर्वाभ्यास (रिहर्सल) में नहीं आते हैं। निर्देशक मक्खी मारता रहता है। इस कारण भी थिएटर से दूर होना पड़ा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः फिर फिल्म बनाने का विचार कैसे आया?
हेमा रेजिनल्डः जो थिएटर में है, उसे फिल्म बनाने की तमन्ना अवश्य रहती है। मैंने अपने पति से बात की तो वे राजी नहीं हुए। उन्हें थिएटर में ही रुचि है। उन्हें किसी तरह से मनाया। फिल्म के लिए काफी पैसा चाहिए। हमने कई जगह प्रयास किया लेकिन किसी ने मदद नहीं की। अंत में कलाकारों ने आपस में मदद की और गोदान फिल्म का प्रादुर्भाव हुआ।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः ऐसा माना जाता है कि मुंबई में फिल्म के नाम पर धोखाधड़ी होती है, आपके साथ ऐसा हुआ है क्या?
हेमा रेजिनल्डः हां, 2021 में मेरे साथ धोखाधड़ी हुई। अपना ओटीटी चैनल होने की बात करने वाले पिता-पुत्र समेत तीन लोगों से मेरी भेंट हुई। मैं मूलतः पंजाबी हूँ। मेरा मूल नाम हेमा अहलूवालिया है। इन लोगों ने पंजाबी बोलकर मुझे प्रभावित कर लिया। इन तीनों ने प्रस्ताव दिया कि हमारे चैनल से फिल्म का डायरेक्शन कराओ। हर महीने ढाई लाख रुपये की आय होगी। मैंने अपनी जमापूंजी 5 लाख रुपये दे दिए। मुझे 7.5 लाख रुपये का चेक दे दिया। जब चेक लगाने की तारीख आई तो बहाने बनाकर न लगाने का बात कही। पोस्ट प्रोडक्शन के मेरे पांच लाख रुपये मार लिए। इस कारण गोदान फिल्म में विलम्ब हुआ। मैंने थाने में रिपोर्ट करा दी। आरोपित जमानत पर हैं। वारंट निकला हुआ है। इन्होंने 35 प्रोड्यूसर को लूटा है। इनमें से एक ने आत्महत्या कर ली और दूसरे की सड़क दुर्घटना में संदिग्धावस्था में मौत हो गई।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः हमने तो सुना है ओटीटी वाले फिल्म बनाने के पैसे देते हैं?
हेमा रेजिनल्डः कोई नहीं देता है। प्रोड्यूसर को मूर्ख बनाते हैं। जो आपके पास पैसा है, उसे ले लेते हैं। कार्यालयों में सुंदर लड़कियां रखते हैं ताकि आने वाला प्रभावित हो सके।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपके परिवार में किसी ने एक्टिंग की है क्या?
हेमा रेजिनल्डः मेरी बेटी जेनिफर ने विज्ञापन फिल्में की हैं। अब वह डेंटिस्ट हो गई है तो एक्टिंग बंद कर दी है।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आपको बड़े कलाकारों के साथ काम करने का अवसर क्यों नहीं मिला?
हेमा रेजिनल्डः बेटी की देखभाल से समय नहीं मिला। बच्ची की देखभाल और थिएटर। जब वह डेंटिस्ट हो गई तो हम फ्री हो गए। स्वयं फिल्म बनाने का फैसला किया। एक फिल्म गोदान बन गई है। दूसरी फिल्म गोदान-2 बनाने जा रहे हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः जब आपके पास पैसे नहीं हैं तो गोदान-2 कैसे बनाएंगे?
हेमा रेजिनल्डः थिएटर करने के दौरान जिनसे संबंध बने हैं, वे सहयोग कर रहे हैं। अधिकांश कलाकार निःशुल्क काम कर रहे हैं। कैमरामैन, एडिटर आदि भी जान-पहचान के कारण सहयोगी हैं। बेसिक खर्चे तो करने पड़ेंगे। हमें कोई प्रोड्यूसर नहीं मिल रहा है। इसलिए व्यवस्था स्वयं कर रहे हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आगरा में मार्च में होगी शूटिंग, नए कलाकार चाहिए?
हेमा रेजिनल्डः गोदान-2 फिल्म की शूटिंग आगरा में मार्च में होगी। लोकेशन फाइनल कर ली गई हैं। कास्टिंग चल रही हैं। गोदान फिल्म के धनिया, दातादीन, झिंगुरी सिंह और होरी (नया रोल ठाकुर हरभझन सिंह) के कलाकार गोदान-2 में भी काम करेंगे। बाकी नए कलाकार होंगे। उद्देश्य यह है कि जिन्हें एक्टिंग में आगे जाना है, उन्हें फिल्म में काम करने का अवसर दिया जाए। आगरा के निकी वालिया और अंजलि वालिया भी एक्टिंग कर रहे हैं। नए कलाकार भी संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आखिर गोदान-2 क्यों बना रहे हैं?
हेमा रेजिनल्डः हम नई पीढ़ी को दिखाना चाहते हैं कि अंग्रेजों के समय ग्रामीण जीवन कैसा था। खास लोग आम आदमी का शोषण किस तरह से करते थे, विशेष तौर पर दलितों का। आजादी की लड़ाई में आम आदमी की भूमिका का भी रेखांकन किया जाएगा।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः गोदान-2 के लेखक कौन हैं?
हेमा रेजिनल्डः आगरा के वरिष्ठ पत्रकार और लेखक डॉ. भानु प्रताप सिंह ‘चपौटा’ कहानी लिख रहे हैं। बहुत अच्छा लिखते हैं। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। हमारा सौभाग्य है कि डॉ. भानु प्रताप सिंह ने हमारा प्रस्ताव स्वीकार किया। वे भी लेखन के बदले हमसे कुछ नहीं ले रहे हैं। ऐसे उदारमना लोगों के सहयोग से गोदान-2 फिल्म बनेगी।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः क्या करें नए कलाकार?
हेमा रेजिनल्डः जो लोग फिल्म लाइन में जाना चाहते हैं, उन्हें चाहिए कि पहले थिएटर में काम करें। इससे स्वयं पर विश्वास जमता है। समस्या यह है कि आजकल के लोग यह समझते नहीं हैं। एक दो रोल मिल गए तो सिगरेट, शराब और शबाव के आदी हो जाते हैं। करियर के स्थान पर एंजॉय करने लगते हैं। फिर उन्हें मुंबई से लौटना पड़ता है और किस्मत को दोष देते हैं।
डॉ. भानु प्रताप सिंहः आखिरी सवाल, पति से कैसी निभ रही है? यह सवाल इसलिए भी कि कलाकार पति-पत्नी में झगड़े होते रहते हैं?
हेमा रेजिनल्डः अच्छी निभ रही है। जो लोग कहते हैं कि औरत की गहराई को कोई जान नहीं सकता है तो उन्हें पता ही नहीं है कि औरत क्या चाहती है। मैं बताती हूँ कि औरत क्या चाहती है, अगर औरत के साथ वफादार रहोगे तो वो सावित्री बनकर यमराज से भी प्राण वापस ले आएगी। बेवफाई की तो चंडी बनकर आपके प्राण ले लेगी।
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