नई दिल्ली। अमेरिका ने भारत का नाम अपनी मुद्रा निगरानी सूची (Currency Monitoring List) से हटा दिया है. इस सूची में करेंसी को मैनिपुलेट कर सकने वाले देशों को रखा जाता है और अमेरिका का वित्त विभाग इसकी निगरानी करता है.
इसकी घोषणा ऐसे समय में की गई है जबकि अमेरिका की ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन भारत के दौरे पर हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की पीएम नरेन्द्र मोदी से जी-20 सम्मेलन में मुलाकात भी कर रहे हैं.
परंतु अमेरिका द्वारा भारत का नाम इस लिस्ट से हटाने का मतलब क्या है? भारत के लिए इसका लाभ है? अमेरिका की इस लिस्ट का मतलब क्या है? संभव है कि ये सवाल आपको भी परेशान कर रहे होंगे. तो आज हम आपको इन सभी सवालों का जवाब दे रहे हैं.
क्या है अमेरिका की करेंसी मॉनिटरिंग लिस्ट?
भारत के लिए इसका क्या फायदा है, ये जानने से पहले यह जान लेना चाहिए कि आखिर ये लिस्ट है क्या? क्यों इसमें देशों के नाम शामिल किए जाते हैं और क्यों हटाए जाते हैं? बता दें कि अमेरिका जिन देशों के साथ बड़े व्यापारिक सौदे करता है, उन देशों की मुद्रा अथवा करेंसी को मॉनिटर भी करता है. मॉनिटरिंग यह देखने के लिए होती है कि कहीं कोई देश जानबूझकर अपनी करेंसी को मैनिपुलेट तो नहीं कर रहा.
करेंसी मैनिपुलेट का अर्थ आमतौर पर अपने ही देश की मुद्रा को कमजोर दिखाने से है. तो अब सवाल आता है कि आखिर कोई देश अपनी ही करेंसी को कमजोर क्यों करेगा? इसका जवाब है – कई देश अपनी करेंसी को कमजोर करके अपने निर्यात (Exports) की लागत को कम दिखाने की कोशिश करते हैं. बताते हैं कि उनका एक्सपोर्ट कम हो रहा है. वे ऐसा अनैतिक रूप से प्रतिस्पर्धा का लाभ उठाने के लिए करते हैं.
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