डॉ. भानु प्रताप सिंह
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15 अगस्त, 1947 को भारत ने ब्रिटेन के क्रूर पंजे से आजादी हासिल की। इसके लिए लाखों लोगों ने बलिदान दिया। विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर भारत देश का स्वतंत्रता दिवस हर भारतीय को रोमांचित करता है, सिवाय पाकिस्तान और पाकिस्तान परस्त लोगों के।
गांधी जी को ही श्रेय क्यों?
भारत को आजादी दिलाने में अहिंसा से अधिक सशस्त्र क्रांति का योगदान है लेकिन श्रेय मिला मोहन दास करमचंद गांधी को। ये वही गांधी जी हैं जिन्होंने भारत माता के दो टुकड़े करवा दिया। मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलमानों के लिए अलग देश पाकिस्तान मांगा था। तब गांधी जी ने कहा था कि पाकिस्तान मेरी लाश पर बनेगा। इसके बाद भी पाकिस्तान बन गया और गांधी जी ने कहा कि जो मुसलमान भाई भारत में रहना चाहते हैं, रह सकते हैं। इसका दुष्परिणाम पूरा देश भुगत रहा है।
77 वर्ष बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा
भारत विभाजन का दुष्परिणाम ही हुआ है। पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत को कभी भी चैन से नहीं बैठने दिया। पाकिस्तान ने भारत विभाजन के तत्काल बाद 1947 में हमला किया। इसके बाद 1965, 1971 और 1999 में भारत पर हमला कर चुका है। पाकिस्तान को हर बार मुँह की खानी पड़ती है, फिर भी मानता नहीं है। पाकिस्तान ने ही जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद की आग में झोंक रखा है। भारत-पाकिस्तान की सीमा सदैव अशांत रहती है। 78 वर्ष बाद भी पाकिस्तान नहीं सुधरा है।
भारत में पाकिस्तान परस्त लोग
भारत में आज भी करोड़ों पाकिस्तानपरस्त लोग हैं। वे भारत सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। हर तरह की सुविधा है। उनके अपने कानून हैं। इसके बाद भी भारत के साथ दगाबाजी करते हैं। उस भारत के साथ दगाबाजी जहां का अन्न, जल, वायु ग्रहण करते हैं। जब इनसे कहा जाता है कि पाकिस्तान इतना ही अच्छा है तो वहीं जले जाओ तो जवाब देते हैं कि देश को आजाद कराने में हमारा भी योगदान है। अब इन्हें कौन समझाए कि अगर भारत को आजाद कराने का ही उद्देश्य होता तो अपने लिए अलग मुल्क नहीं मांगते। पाकिस्तान और पाकिस्तानपरस्त बिलकुल कुत्ते की पूँछ की तरह है, जो कभी सीधी नहीं हो सकती है। यही हाल पाकिस्तान परस्त लोगों का है जो भारत में निवासरत हैं। यह भी तथ्य है कि सभी मुस्लिमों के बारे में यह बात नहीं कही जा सकती है।
बांग्लादेश के घटनाक्रम से सबस
पाकिस्तान परस्त कितने आजीब हैं कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, फिलस्तीन जैसे देशों के लिए आवाज उठाते हैं, लेकिन भारत के लिए नहीं। ताजा उदाहरण देखिए, भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। वहां हिंदुओं को हत्या की जा रही है, हिंदू मां-बहनों के साथ दुष्कर्म किया जा रहा है, हिंदुओं की संपत्ति लूटी जा रही, मंदिर नष्ट किए जा रहे हैं और घर जलाए जा रहे हैं, एक भी पाकिस्तान परस्त निंदा तक नहीं कर रहा है। भारत में विपक्ष में बैठे राजनीतिक लोग भी चुप हैं, जो इनके आका हैं। इस तरह की घटना भारत में पाकिस्तानपरस्त के साथ हो जाती तो शुक्रवार को एक साथ निकल पड़ते। भारत में रहकर भी पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाते हैं।
पाकिस्तानपरस्त भारत में रहेंगे तो स्वतंत्रता अधूरी
मेरा कहना है कि जब तक भारत से पाकिस्तानपरस्तों का सफाया नहीं किया जाता, तब तक स्वतंत्रता अधूरी है और सदा रहेगी। भारत सरकार को कोई न कोई रणनीति अपनानी होगी। इसका कारण यह है कि पाकिस्तान परस्त लोग भारत को भी बांग्लादेश बनाने की फिराक में हैं। इस बात का संकेत फारुख अब्दुल्ला और संजय राउत के बयानों से मिलता है, जो उन्होंने बांग्लादेश के घटनाक्रम पर दिया है।
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