ब्रज भाषा के लोकगीत संग्रह ब्रज विविधा का लोकार्पण

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काव्य संगोष्ठी में कवियों ने ब्रज भाषा की कविताओं का सस्वर पाठ किया
अमर शहीद राजा देवी सिंह नाट्य मंचन प्रस्तुत करने वाले बच्चे सम्मानित

मथुरा। गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन में ब्रज भाषा काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस मौके पर ब्रज के लोकगीतों की पुस्तक ब्रज विविधा का लोकार्पण भी किया गया। काव्य संगोष्ठी की अध्यक्षता राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर के पूर्व अध्यक्ष विट्ठल पारीख ने की। पुस्तक की लेखक  पूनम शर्मा पूर्णिमा भी मंचस्थ रहीं। पूर्णिमा ने बताया कि पुस्तक में संकलित किए गये ब्रज के गीत और लोकगीत लिपिबद्ध किये गये हैं।

उन्होंने ब्रज भाषा के संरक्षण के लिए गद्य व पद्य में लेखन पर बल दिया। श्री पारीख ने ब्रज भाषा को बचाने की अपील की। ब्रज भाषा काव्य संगोष्ठी में कवि अशोक यज्ञ, योगेश शर्मा, कवयित्री अर्चना शर्मा, संस्कृत शिक्षक राम दत्त मिश्रा, अनुपम गौतम, भूपेंद्र भरतपुरिया आदि ने कविता पाठ किया। श्री यज्ञ ने कविता पढी जब आयौ द्वार बिहारी के, विश्वास अधूरौ मति करियौ।

संचालन करते हुए ब्रज संस्कृति विशेषज्ञ डा. उमेश चंद्र शर्मा ने गीता शोध संस्थान में प्रारंभ हुए रासलीला के सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम व अन्य गतिविधियों के बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंत में शोध समन्वयक डा. रश्मि वर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी में व्यवस्थाएं गीता शोध संस्थान के सहायक दीपक शर्मा आदि ने ने संभालीं। रासाचार्य स्वामी घनश्याम भारद्वाज, जगदीश भारद्वाज, प्रकाश तिवारी समेत अनेक गणमान्य संगोष्ठी में मौजूद रहे।