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पारदर्शिता कानून RTI कैसे होगा लागू जब आधे से अधिक सूचना आयुक्तों और चौथाई मुख्य सूचना आयुक्तों के पद खाली

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. वर्तमान में 28 राज्यों में 27 मुख्य सूचना आयुक्त एवं 134 सूचना आयुक्त के पद हैं जिसमें नवम्बर 2023 के दूसरे सप्ताह में 7 मुख्य सूचना आयुक्त के पद खाली थे और 68 सूचना आयुक्तों के पद खाली थे। कुल मुख्य सूचना आयुक्तों के 27 पदों की तुलना में 25 प्रतिशत पदों पर मुख्य सूचना आयुक्त नहीं थे। इसी प्रकार 134 सूचना आयुक्त के पदों में 68 पदों पर सूचना आयुक्त नहीं थे जो कुल लगभग 51 प्रतिशत थे अर्थात् सूचना आयुक्तों के कुल पद देखे जायें तो आधे से ज्यादा सूचना आयुक्तों के पद रिक्त थे।

यह सूचना आरटीआई एक्टिविस्ट वरिष्ठ अधिवक्ता किशन चन्द जैन को केन्द्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत अभी हाल में दिनांक 15 जनवरी को प्राप्त हुई है।

प्राप्त हुई सूचना के अनुसार राज्य सूचना आयोगों की स्थिति और भी अधिक खराब होने जा रही है क्योंकि इस वर्ष 31 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्तों के 5 पद और खाली हो जायेंगे और 24 सूचना आयुक्तों के पद खाली हो जायेंगे। देश के राज्य सूचना आयोग आखिर बिना मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्तों के क्या काम करेंगे इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है।

प्राप्त सूचना के अनुसार नवम्बर 2023 के दूसरे सप्ताह में सूचना आयोगों के समक्ष लम्बित अपीलों और शिकायतों की संख्या 3,77,794 थी जिसमें से सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र की थी जो कि 1,14,743 थी और उसके उपरान्त दूसरे व तीसरे नम्बर पर तमिलनाडू व उत्तर प्रदेश थे जिनके यहां लम्बित मामलों की संख्या क्रमशः 41241 व 37481 थी। लम्बित प्रकरणों के मामले में बिहार व छत्तीसगढ़ चौथे व पांचवे स्थान पर थे जहां लम्बित मामलों की संख्या 28076 व 17563 थी।

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अधिवक्ता जैन के अनुसार पारदर्शिता कानून के कार्यान्वयन की बड़ी असफलता ही है, जब मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्तों के इतनी बड़ी संख्या में मद रिक्त हों और यही नहीं राज्य सूचना आयोगों में पौने चार लाख से अधिक मामले सालों से लम्बित हों।

इन सूचनाओं का संकलन केन्द्र सरकार के डीओपीटी के द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिनांक 30 अक्टूबर 2023 के अनुपालन में किया गया है जो कि मिसलेनियस प्रार्थना पत्र सं0 1979 वर्ष 2019 में पारित किया गया था। मुख्य न्यायाधीश की पीठ द्वारा जब यह आदेश पारित किया गया था तब सूचना अधिकार अधिनियम के विषय में बड़ी तल्ख टिप्पणीं की थी कि यह कानून अब डेड लेटर लॉ बन चुका है। संकलित आंकड़े भी इसी ओर इशारा करते हैं।

अधिवक्ता जैन द्वारा इन आंकड़ों के मद्देनजर यह मांग की है कि सभी सूचना आयोगों में मुख्य सूचना आयुक्त एवं सूचना आयुक्तों के खाली समस्त पद यथाशीघ्र भरे जायें और ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति की जाये जो शीघ्रता से लम्बित मामलों को निपटा सके। लम्बित मामलों को देखते हुए उचित होगा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीओपीटी के सचिव की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया जाये जिसमें सभी प्रदेशों के मुख्य सचिव भी सदस्य हों और जो नियमित आधार पर सूचना आयोगों की नियुक्तियों और लम्बित मामलों की मॉनिटरिंग करे और जिसकी रिपोर्ट प्रत्येक 3 माह में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हो। ऐसी व्यवस्था होने पर पारदर्शिता कानून प्रभावी ढंग से लागू हो सकेगा।

 

 

Dr. Bhanu Pratap Singh