डॉ. भानु प्रताप सिंह
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा की है। चौधरी चरण सिंह को किसानों का मसीहा कहा जाता है। वे देश के एकमात्र नेता हैं, जिन्होंने किसानों के हित में क्रांतिकारी काम किए हैं। चौ. चरण सिंह के साथ काम करने वाले और उन पर कई किताबें लिखने वाले प्रोफेसर केएस राना कुलपति ने कई अनसुनी बातें हमारे साथ साझा की हैं।
भारत रत्न से सम्मानित किए गए चौधरी चरण सिंह का आगरा से भी गहरा रिश्ता रहा है 1925 में उन्होंने आगरा कॉलेज से बीएससी किया। 1927 में आगरा कॉलेज से ही इतिहास में MA किया। 1928 में Law प्रथम वर्ष पास किया। Law द्वितीय वर्ष मेरठ से किया।
महात्मा गांधी ने 1925 में दलितों के साथ सहभोज कार्यक्रम घोषित किया था। इसका अनुपालन करते हुए चौ. चरण सिंह ने आगरा में दलितों के साथ सहभोज किया। इस पर छात्रावास के हरियाणा वाले साथियों ने मैस से निकाल दिया। वे एक माह तक बलका बस्ती में वरिष्ठ पत्रकार उदयन शर्मा के पिता श्रीराम शर्मा के यहां रहे।
चौधरी चरण सिंह आगरा में शहीद भगत सिंह छात्रावास के आगे छात्रावास में लगातार रहे।
चौ. चरण सिंह ने मोरारजी देसाई के खिलाफ 23 दिसम्बर, 1978 को दिल्ली में राजपथ/बोट क्लब पर किसानों की रैली का आह्वान किया। इसमें 35 लाख किसान आए। यह विश्व की दूसरी सबसे बड़ी रैली मानी गई थी।
चौ. चरण सिंह ने अपने सिद्धातों से कभी समझौता नहीं किया और इसी कारण मुख्यमंत्री पद से दो बार इस्तीफा दे दिया।
चौ. चरण सिंह ने अपन नाम के सथ कभा भी चौधरी नहीं लगाया। वे हमेशा चरण सिंह लिखते थे। उनके चाहने वाले चौ. चरण सिंह लिखने लगे।
चौ. चरण सिंह, बापू के आखिरी आदमी थे।