विकलांग सहायता संस्था अमर उजाला

विकलांग सहायता संस्था और अमर उजाला ने 18 राज्यों के 131 दिव्यांग छात्रों को 22 लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी, Divyang आगरा विश्वविद्यालय में कराएं सरकारी योजनाओं का पंजीकरणः कुलपति

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आर्थिक मदद से 320 बच्चे इंजीनियर, 30 डॉक्टर, चार आईआरएस बने, सैकड़ों कंप्यूटर में दक्ष, भविष्य में एक करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति देंगे

डॉ. भानु प्रताप सिंह ‘चपौटा’

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. यूं तो आगरा में बहुत सारी संस्थाएं समाजसेवा में अग्रणी हैं लेकिन विकलांग सहायता संस्था की बात ही निराली है। यह संस्था पिछले 40 वर्षों से दिव्यांगजनों की सेवा में रत है। शरीर की दिव्यांगता को संस्था निःशुल्क ठीक करती है। वह भी बिना किसी प्रचार के। 1985 से संस्था दिव्यांगों को पढ़ाने में आर्थिक मदद कर रही है। 1989 में अमर उजाला के संस्थापक संपादक डोरीलाल अग्रवाल का देहावसान हो गया। तब से उनके नाम पर श्री डोरीलाल अग्रवाल राष्ट्रीय मेधावी दिव्यांग छात्रवृत्ति प्रतियोगिता शुरू कर दी। पिछले सात वर्षों से अमर उजाला फाउंडेशन इसमें आर्थिक मदद कर रहा है। 19 नवम्बर को हुए समारोह में 18 राज्यों से आए 131 मेधावी दिव्यांगों को 22 लाख रुपये छात्रवृत्ति के रूप में वितरित किए गए। सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाले 10 दिव्यांगजनों को मंच पर बुलाकर सम्मान और छात्रवृत्ति दी गई। इस मौके पर डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशु रानी, अमर उजाला आगरा के संपादक भूपेन्द्र कुमार और जाने-माने हिन्दी सेवक डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने ऐसी रोमांचक व अकुरणीय बातें कहीं कि सदर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में हुए कार्यक्रम में कई दिव्यांगजनों ने अपने अनुभव सुनाए। कहा कि आज जो कुछ हैं, संस्था की छात्रवृत्ति के कारण हैं। बाराबंकी के प्रह्लाद एमबीए कर रहे हैं। वे नेशनल पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी हैं। कई स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। व्हीलचेयर ही उनका वाहन है। एएमयू से एमबीबीएस करने वाली दिव्यांग छात्रा ने भी अनुभव सुनाया।

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कार्यक्रम का शुभारंभ करते अनिल अग्रवाल, डॉ, मुनीश्वर गुप्ता, भूपेन्द्र कुमार, रामशरण मित्तल, सुनील विकल, सुनील अग्रवाल,  कुलपति प्रो. आशु रानी।

मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. आशु रानी सभागार में आईं तो उनका भव्य स्वागत किया गया। दिव्यांगजनों की सेवा से परिपूर्ण कार्यक्रम देखकर कुलपति भावुक हो गईं। उन्होंने दिव्यांगों का वि.वि. की ओर से स्वागत करते हुए कहा- गर्व है कि आप दूसरों से अधिक कुशल हैं और यह दिखा दिया है। आप जो सपना देखते हैं, वह हासिल करें। अपना रास्ता स्वयं बनाएं। भौतकवादी युग में इस तरह के कार्यक्रम सेवा का उत्साह जाग्रत करते हैं। जो हाथ समाज को कुछ देने के लिए न उठें तो जीवन व्यर्थ है।

प्रोफेसर आशु रानी ने कहा कि विश्वविद्यालय में दिव्यांग सहायता सेल है। इसे और सुदृढ़ करेंगे। इस सेल में आकर दिव्यांगजन सरकारी योजनाओं के लिए पंजीकरण करा सकेंगे। दिव्यांग बच्चों को लेकर माता-पिता घबराएं नहीं। कई सामाजिक संस्थाएं उनके लिए कार्य कर रही हैं। टूटिए मम, जुड़िए, हौसला बनाए रखिए। माता-पिता की जिम्मेदार अधिक होती है। उन्होंने संस्था से आग्रह किया कि दिव्यांगों को सभी सरकार योजनाओं के बारे में जानकारी दें ताकि वे लाभ उठा सकें।

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संबोधित करतीं कुलपति प्रो. आशु रानी।

कुलपित ने बताया कि सेठ पदमचंद जैन संस्थान में मानव मूल्यों का कोर्स प्रारंभ किया और प्रकोष्ठ भी बनाया है। छात्रों में मानव मूल्यों का प्रस्फुटन भी होना चाहिए। यह विभिन्न प्रकार की संस्थाओं से जुड़कर कार्य करता है। दिव्यांग बच्चों में भी यह चेतना जाग्रत होनी चाहिए।

जाने-माने समाजसेवी सुनील विकल ने कहा कि आगरा की पहचान अब सेवानगरी के रूप में प्रचलित है। ताजमहल के रूप में पहचान तो इतिहास की बात हो गई है। यहां बैठे 18 राज्यों के 131 चयनित दिव्यांग छात्र दिव्य शक्ति से परिपूर्ण हैं। यह कार्यक्रम स्वावलम्बन की दिशा में एक कदम है। देशभर के दिव्यांग बच्चे एक ही स्थान पर आएं हैं तो नई शक्ति और नई कल्पनाओं का जन्म होता है। हम दिव्यांगों को आगे बढ़ने का अवसर दे रहे हैं। अभी 22 लाख रुपये छात्रवृत्ति के रूप में दिए हैं। आगे इसे एक करोड़ रुपये करेंगे।

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जेपी सभागार में उपस्थित महानुभाव और 18 राज्यों से आए दिव्यांगजन।

डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि संस्था ने अब तक 948 दिव्यांग बच्चों को एक करोड़ 52 लाख रुपया छात्रवृत्ति के रूप में दिया है। छात्रवृत्ति से लाभान्वित 320 बच्चे इंजीनियर बन चुके हैं, जिनमें 10 से अधिक आईआईटी में पढ़े हैं। 30 बच्चे डॉक्टर बने हैं। चार बच्चे आईआरएस (भारतीय राजस्व सेवा) अधिकारी बन चुके हैं। इनके अलावा सैकड़ों बच्चों को कंप्यूटर की ट्रेनिंग के माध्यम से नौकरी मिल चुकी हैं। दिव्यांगों में कोई न कोई दिव्य शक्ति होती है। आज गरीब वही है जो शिक्षित नहीं है। अमर उजाला का सहयोग अभिनंदनीय है।

संस्था के अध्यक्ष डॉ. वीके गुप्ता ने कहा कि संस्था दिव्यांग के मां-बाप के रोल में है। जहां मां-बाप निराश होते हैं, तब संस्था का काम शुरू होता है। उन्होंने भावुक होकर यह भी कहा कि 45 साल बाद भी संस्था को कोई चला रहा है। इसमें दिव्यांगों और दानदाताओं का योगदान अधिक है।

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ये हैं प्रतिभाशाली दिव्यांगजन।

जाने माने खिलाड़ी रीनेश मित्तल के संचालन में हुए कार्यक्रम में अनिल अग्रवाल ने संस्था की उपलब्धियां बताईं। दृष्टिबाधित ध्रुव अग्रवाल ने बांसुरी वादन किया जो किसी की समझ में नहीं आया। संस्था की उपलब्धियों से भरा वृत्तचित्र दिखाया गया जो प्रभावहीन रहा। मंच पर संरक्षक रामशरण मित्तल भी विराजमान रहे। सुनील अग्रवाल ने आभार प्रकट किया।

इस मौके पर जाने-माने सर्जन डॉ. ज्ञान प्रकाश गुप्ता, जेएस फौजदार, वीरेन्द्र गुप्ता, ओम प्रकाश अकेला, पार्षद मुरारीलाल गोयल, पार्षद गुड्डू मेनन, पार्षद भरत शर्मा, डॉ. नवीन गुप्ता, शांति स्वरूप गोयल, कन्हैया मोटवानी, डॉ. आनंद राय, शैलेन्द्र नरवार, सत्यमेव जयते के मुकेश जैन व गौतम सेठ, शरद गुप्ता, अमर उजाला के धर्मेन्द्र यादव, धर्मेन्द्र त्यागी, हितेश सिंह, आशीष शर्मा आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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कुलपति प्रो. आशु रानी का संबोधन प्रेरणादायी रहा।

बता दें कि विकलांग सहायता संस्था की शुरुआत संस्थापक सचिव डॉ वी के गुप्ता, संस्थापक-अध्यक्ष डॉ एमसी गुप्ता और डॉक्टर एचएस असोपा ने की थी। वर्तमान में अतुल ग्रुप संस्थापक राम शरण मित्तल के संरक्षण में संस्था काम कर रही है। कार्यक्रम में प्रेमचंद जैन को श्रद्धांजलि दी गई।

Dr. Bhanu Pratap Singh