डोरीलाल अग्रवाल

डोरीलाल अग्रवाल, अमर उजाला, कुलपति प्रो. आशु रानी, संपादक भूपेन्द्र कुमार और डॉ. मुनीश्वर गुप्ता

EXCLUSIVE

डॉ. भानु प्रताप सिंह चपौटा

Live Story Time

Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.  विकलांग सहायता संस्था और अमर उजाला फाउंडेशन की ओर से श्री डोरीलाल अग्रवाल राष्ट्रीय मेधावी दिव्यांग छात्रवृत्ति वितरण समारोह शानदार रहा। डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में 18 राज्यों के 131 मेधावी दिव्यांग आए। उनके आने-जाने का टिकट, जलपान और भोजन की व्यवस्था संस्था ने की। छात्रवृत्ति के साथ खूब मान-सम्मान दिया। इस मौके पर अमर उजाला और उसके संस्थापक डोरीलाल अग्रवाल के बारे में कई नवीन जानकारियां साझा की गईं।

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा विश्वविद्यालय) की कुलपति प्रो. आशु रानी ने कहा- अमर उजाला से हर कोई परिचित है। अमर उजाला अखबार का लेखन और प्रस्तुतीकरण सामाजिक है। वास्तव में यह प्रस्तुतीकरण अमर उजाला का पेंटेंटेड है। अमर उजाला में दिव्यांगों के लिए एक कॉलम प्रकाशित हो जिसमें सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जाए।

अमर उजाला आगरा के संपादक भूपेन्द्र कुमार ने कहा- हम दिव्यांगों को छात्रवृत्ति के साथ रक्तदान, अपराजिता (स्वरक्षा) जैसे अनेक कार्यक्रम चलाते हैं। समाचार प्रस्तुत करने के साथ-साथ हमारी सामाजिक जिम्मेदारी भी है। अगर हम इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनते तो इसके भाव को ग्रहण नहीं कर पाते। प्रतिभा देर सवेर सामने आ ही जाती है, लेकिन उसे तराशने की जरूरत होती है।

उन्होंने डॉ. वीके गुप्ता की सराहना करते हुए कहा कि उनमें दिव्यांगों की सेवा के प्रति जुनून है। आज जो कार्यक्रम दिखाई दे रहा है, उसमें छह महीने की मेहनत है। उनकी कोई व्यक्तिगत हित नहीं है। जज्बे के साथ काम करते हैं। उस श्रम को हमें सम्मान देना चाहिए। संस्था से जुड़े लोग धन्यवाद के पात्र हैं।

आगरा स्मार्ट सिटी ने लॉन्च किया “मेरा आगरा” ऐप, स्मारकों की टिकट से लेकर क़ई समस्याओं का मिलेगा निदान

संपादक भूपेन्द्र कुमार ने बताया कि अमर उजाला फाउंडेशन बहुत सारे कार्य करता है। सवाल आ सकता है कि अखबार को इन कार्यक्रमों को करने की क्या आवश्यकता है। अमर उजाला के संस्थापक डोरीलाल अग्रवाल और मुरारीलाल माहेश्वरी ने अखबार को कभी भी लाभ का जरिया नहीं बनाया। अमर उजाला के पहले संपादकीय में डोरीलाल अग्रवाल ने लिखा था- इस अखबार से अर्जित लाभ का इस्तेमाल अखबार को ही आगे बढ़ाने में किया जाएगा। हमने कुछ दिन पहले मोबाइल वैन शुरू की है जो गांव-गांव जाकर इलाज करेगी। बहुत सारे गांव हैं जहां के लोग सीधे-सीधे इलाज नहीं करा पाते हैं। अखबार को चलाने वाले लोग कभी भी सामने नहीं आना चाहते हैं। जब मुझसे लोग मिलने आते हैं तो मैं उनसे कहता हूँ कि यह कुर्सी डोरीलाल जी जैसे यशस्वी संपादकों का पद है। हम लोग तो  आने-जाने वाले लोग हैं। यह शहर आपका है, अखबार आपका है। हम आपकी बात को आगे बढ़ाने का जरिया बन सकते हैं।

भूपेन्द्र कुमार ने कहा- जब हम अमर उजाला की स्थापना के 75 साल पर काम कर रहे थे तो हमारे साथ जुड़े पुराने लोग भानु प्रताप जी (डॉ. भानु प्रताप सिंह ‘चपौटा’), गिरिजा शंकर शर्मा से लेख लिखवाए। कलाकुंज वाले विजय गोयल के साथ जप फोटो छांट रहा था तो उन्होंने एक फोटो दिखाया। जब लोहिया जी का केस चल रहा था तो डोरीलाल जी नोटपैड हाथ में लेकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। अखबार का संपादक एक रिपोर्टर है, वह बेसिक काम हमेशा करता रहा। यही चीज अमर उजाला और आगरा के जुड़ाव को प्रदर्शित करता रहा। जो काम निष्ठा और भाव के साथ किया जाता है, उसका परिणाम अच्छा निकलते हैं।

उन्होंने कहा कि अखबार के तौर पर कह सकते हैं कि हमारा काम जानकारी देना तो है ही साथ में समाज को गाइड करना करना, सही को सही और गलत को गलत बताना भी है। अस्पताल में मरीजों की भीड़ लगी है, हम मरीजों क अतिरिक्त समय दिला सकें, डीएम के यहां फरियादियों को समय दिला सकें, यह अखबार का काम है। चीजों को जैसी है वैसी छोड़ देना नहीं बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाना अखबार का काम होना चाहिए।

डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने डोरीलाल अग्रवाल के बारे में दो अनुभव सुनाए-

1.इंदिरा गांधी ने जब आपातकाल लगाया तो संपादकीय वाला स्थान काला किया और नीचे डोरीलाल अग्रवाल के दस्तखत थे। आज अखबार व्यापार है और पहले मिशन था।

2.एमडी जैन में कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक हुई। इसमें किसी बात पर पं.जवाहर लाल नेहरू को क्रोध आ गया। उन्होंने मनसद उठाकर फेंका। इस घटना का जिक्र करते हुए डोरीलाल अग्रवाल ने अमर उजाला में लिखा- पं. नेहरू संयत रहें।

उन्होंने यह भी कहा कि अगर अखबार वाला कहीं बलात्कार होता देख रहा है तो उसे रोकना भी उसका काम है।

यह भी पढ़ें

विकलांग सहायता संस्था और अमर उजाला ने 18 राज्यों के 131 दिव्यांग छात्रों को 22 लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी, Divyang आगरा विश्वविद्यालय में कराएं सरकारी योजनाओं का पंजीकरणः कुलपति, देखें तस्वीरें

Dr. Bhanu Pratap Singh