वाराणसी स्थित ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में हुई। कोर्ट ने मां श्रृंगार गौरी मामले में पक्षकार बनने के लिए दिए गए सभी आवेदन को खारिज कर दिया। इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में बंद तहखाने के सर्वे के आवेदन पर वादी हिंदू पक्ष की मांग पर कोर्ट ने सुनवाई की। इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दाखिल करने के लिए समय मांगा।
इस पर अदालत ने 100 रुपये का हर्जाना लगाया। इसके साथ ही मामले की सुनवाई की अगली तिथि दो नवंबर तय की। कारमाइकल लाइब्रेरी में मिली गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति सुरक्षित व संरक्षित करने के राखी सिंह के आवेदन पर भी दो नवंबर को ही सुनवाई होगी। साथ ही उसी दिन वाद बिंदु भी तय होना है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने आदेश रखा था सुरक्षित
ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले पक्षकार बनने के लिए कुल 16 लोगों ने आवेदन दिया था। जिसमें से पांच लोगों का आवेदन जिला जज ने पिछली सुनवाई (18 अक्तूबर) में खारिज किया था। 8 लोगों का आवेदन अनुपस्थित रहने के कारण पहले ही खारिज हो गया था। शेष तीन अन्य आवेदन पर सुनवाई के बाद अदालत ने अपना आदेश शुक्रवार के लिए सुरक्षित रख लिया था।
पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुभाष नंदन चतुर्वेदी व सुधीर त्रिपाठी ने बताया था कि कोर्ट ने हमारी मांग मान ली है। जिसमें वादी पक्ष की सहमति के बगैर पक्षकार बनाए जाने का विरोध किया गया था। बता दें कि श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा करने की इजाजत देने के लिए जिन महिलाओं ने याचिका डाली थी, उन्होंने किसी को भी पक्षकार बनाने से इनकार कर दिया था।
याचिका डालने वाली वादी महिलाएं सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने कहा है कि उन्हें इस केस में किसी को भी पक्षकार बनाने की जरूरत नहीं है। मामले में सुनवाई के लिए वह पर्याप्त हैं।
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