Guru Nanak Jayanti

श्री गुरुनानक देव जी की ये तीन कहानियां आपका जीवन बदल सकती हैं

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

श्री गुरु नानक देव महाराज की आज जयंती है। श्री गुरुनानक देव जी से जुड़ी तीन कहानियां मुझे याद आ गईं। इन्हें ध्यान से पढ़ें। ये ऐसी कहानियां हैं जो आपका जीवन बदल सकती हैं।

(1 )

एक बार श्री गुरुनानक देव जी एक गांव में गए और वे वहाँ एक धर्मपरायण गरीब व्यक्ति के यहाँ ठहरे। वे भोजन कर ही रहे थे कि उस गांव का एक भ्रष्ट एवं अधर्म के मार्ग पर चलने वाला धनवान व्यक्ति उनके लिए अपने घर से स्वादिष्ट भोजन लेकर आ गया। उसने गुरु नानक देव से कहा-  आप ये क्या खा रहे हैं, मेरा दिया भोजन करिये। श्री गुरुनानक देव जी उस व्यक्ति के भोजन को खाने से इनकार कर दिया। उस व्यक्ति के ज्यादा जोर देने पर उन्होंने उसकी दी हुई रोटी हाथ से मसल दी तो उसमें से रक्त टपकने लगा। तब उन्होंने कहा कि ये अधर्म,अनीति और भ्रष्टाचार द्वारा कमाया गया अन्न है। मैं इसे न ही स्वीकार करूँगा और न खाऊँगा ।

(2)
एक बार कहीं श्री गुरुनानक देव जी गए हुए थे। वे वहाँ आराम करने लेटे तो एक मुस्लिम भाई ने उनसे कहा कि इधर आप पैर मत करिए इधर हमारा काबा है तो उस भाई से श्री गुरुनानक देव जी बोले जिधर आपका काबा नहीं उधर मेरे पैर घुमा दो। उस भाई ने श्री गुरुनानक देव जी के पैर पकड़ कर उन्हें घुमाया तो उनके पैरों के साथ ही काबा घूमता चला गया। फिर उन्होंने उस भाई को समझया कि ईश्वर हर तरफ है।

(3)

एक बार श्री गुरुनानक देव जी के शिष्यों में आपस में बहस होने लगी कि हमारे गुरुदेव तो साक्षात ईश्वर के अवतार हैं। वे आपस में ही पूछने लगे कि हम सब गुरुदेव के साथ रहते हैं तो हम कब तक जियेंगे तो एक बोला एक वर्ष मैं जी सकता हूँ। एक बोला मैं 6 माह तक जी सकता हूँ , एक बोला मैं एक माह तक जी सकता हूँ। इसी प्रकार बात एक दिन और 1 घंटे तक आ गई। तब वे सब मिलकर बोले कि चलो हम अपने गुरुदेव जी ही चलकर पूछते है कि वे कितने दिनों तक जियेंगे। उन सबकी बात सुन श्री गुरुनानक देव जी ने कहा कि बेटे आप सब कब तक जीने की बात कर रहे हैं। मुझे तो यह भी नहीं पता कि अगली श्वांस भी आएगी कि नहीं। ये ईश्वर को ही पता है कि हम सब कब तक जियेंगे लेकिन हम सब जब तक भी जिएं अपना जीवन जनहित में एवं धर्मपरायण होकर जिएं तभी हमारी जीवन सार्थक है।

यदि हम सब वाकई ईश्वर, गुरु, महापुरुष को मानते हैं, उनका जन्म दिवस मनाते हैं तो उनके विचारों को भी अपने जीवन में उतारें एवं धारण करें, तभी उनकी जयंती मनाना सार्थक होगा।

डॉ. अरविन्द मिश्र, ज्योतिषाचार्य, आगरा