dr narendra malhotra

उम्र बढ़ने का मतलब सेक्स को अलविदा कहना नहीं है, देश के बड़े डॉक्टरों ने इस पर चर्चा की, आप भी जान लें मिथ्स और फैक्ट्स

HEALTH

 वर्ल्ड सेक्सुअल हेल्थ डे पर फग्सी की ओर से आयोजित वेबिनार में हैज टैग मीटू, यैस और नो, कन्सेंट सहित सेक्स को लेकर कई विषयों पर बात
डॉ. नरेंद्र मल्होत्रा ने पैनल डिस्कशन को मॉडरेट किया, सैक्सुअल हेल्थ सिर्फ संबंधों के नहीं बल्कि समस्या, शिक्षा और व्यवहार के बारे में है

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Agra, Uttar Pradesh, India.  सेक्स और अस्तित्व साथ-साथ चलते हैं, सेक्स के बारे में बात करने के लिए एक स्वतंत्र और सुरक्षित मंच के अभाव में अक्सर लोग विशेष रूप से युवा असुरक्षित प्रथाओं में लिप्त हो जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। 04 सितंबर यानि विश्व सेक्सुअल हैल्थ डे पर फेडरेशनऑॅफ ऑब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलॉजिकल सोसायटी ऑफ इंडिया (फोग्सी) की ओर से आयोजित वेबिनार में यह बातें देश के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कहीं। उन्होंने सबसे ज्यादा जिस बात पर जोर दिया वह है सेक्सुअल कंसेंट।

फोग्सी के अध्यक्ष डॉ हृषिकेश पाई ने कहा कि लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में यौन सहमति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपके पार्टनर को कभी यह नहीं लगना चाहिए कि आपका रिश्ता सिर्फ जिस्मानी है। वहीं उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने इस कार्यक्रम की मध्यस्थता की।
आगरा से इस वेबिनार में शामिल हुए और देश के प्रख्यात सेक्सोलॉजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी ने कहा कि यह दिवस जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ यौन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड एसोसिएशन फॉर सेक्सुअल हेल्थ (वास) की एक पहल है। सेक्स और अस्तित्व साथ-साथ चलते हैं, सेक्स के बारे में बात करने के लिए एक स्वतंत्र और सुरक्षित मंच के अभाव में अक्सर लोग विशेष रूप से युवा असुरक्षित प्रथाओं में लिप्त हो जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यौन स्वास्थ्य सिर्फ संबंधों के बारे में नहीं है बल्कि हमारा यौन स्वास्थ्य मेडिकल संबंधी समस्याओं, शिक्षा और यौन व्यवहार को प्रभावित करता है।

40 की उम्र में खुद को रीस्टोर करें

पैनल डिस्कशन की मध्यस्थता कर रहे आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल से डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि उम्र बढ़ने का मतलब सेक्स को अलविदा कहना नही है। अगर आपकी दिलचस्पी इसमें कम हो रही है तो यह काफी हद तक आपके दिमाग और नकारात्मकता की उपज हो सकती है।  लोग 40 की उम्र पर ही खुद को बूढ़ा समझने लगते हैं और साथ ही यह भी सोच होती है कि सेक्स की यह उम्र नहीं है। यह गलत है। दूसरी चीजों की तरह ही इस विषय पर सबसे शक्तिशाली अंग हमारा दिमाग ही है। यह निर्भर करता है कि आप अपने मस्तिष्क से कितने युवा हैं। हालांकि अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव आदि वजहों से कई मामलों में 40 की उम्र के बाद हैल्दी सेक्स लाइफ को रीस्टोर करने की जरूरत पड़ रही है।

पैनल डिस्कशन में उठे कई मुद्दे

पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि डॉ. प्रकाश कोठारी, डॉ. ऋषिकेश पाई, डॉ. मो. शमसूल अहसान, डॉ. पीके शाह, डॉ. जगदीश एन, डॉ. वीना सत्यनरायन, डॉ.  राहुल वानी, डॉ.  तृप्ति सरन, डॉ नीहारिका मल्होत्रा, डॉ. शैब्या, डॉ. संपथ कुमारी, अमोद कांत, पल्लबी घोष, भूमिका रेलिया, अब्दुल फतेह, करन मुलेकल, डॉ. अलका अग्रवाल, डॉ. शमा सुल्ताना, डॉ. नीरज जादव, डॉ. सुप्रिया जैसवाल, डॉ. अदिति राठौर, डॉ. मीणा सामंत आदि ने यौन संबधों की सहमति, यस और नो, हैज टैग मी टू, कैसे और कब पूछें, बात करना जरूरी, सैक्सुअल असॉल्ट क्या है, गाइडलाइन्स, उदाहरण, उम्र आदि तमाम विषयों पर चर्चा की। अध्यक्षता डॉ. आशा बक्शी, डॉ. अल्का पांडे ने की।

Dr. Bhanu Pratap Singh