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इंजीनियरिंग, साइंस, एग्रीकल्चर और सोशल साइंस अंतरराष्ट्रीय काफ्रेंस शुरू, डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने कही महत्वपूर्ण बात

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Agra, Uttar Pradesh, India.  डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के खंदारी कैंपस स्थित जेपी सभागार में शनिवार को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय काफ्रेंस आज प्रारंभ हो गई। इंजीनियरिंग, साइंस, एग्रीकल्चर और सोशल साइंस विषय पर इस कांफ्रेंस का विषय मैसेज 2023 था। काउंसिल आफ रिसर्च एंड सस्टेनेबल डवलपमेंट, सोसायटी आफ एजुकेशन और विश्ववविद्यालय के बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा आयोजित कांफ्रेंस की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशु रानी ने की। मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह थी। मुख्य वक्ता के रूप में शारदा यूनिवर्सिटी की डीन कोमल विज, नारायण कॉलेज शिकोहाबाद के प्राचार्य वीके सिंह, जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के स्कूल ऑफ इनवायरमेंटल स्टडीज के प्रमुख प्रो. एचके शर्मा, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ सोइल एंड वाटर कंजर्वेशन कुबेरपुर के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. आरके दुबे थे। कांफ्रेंस के कन्वीनर नारायण कॉलेज ऑफ शिकोहाबाद के असिस्टेंट प्रो. डॉ. मनीष कुमार थे, जबकि डॉ. महेश चंद्र और डॉ. राकेश चौधरी आयोजन सचिव थे।

विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशुरानी ने कांफ्रेंस में इंटर डिसिप्लेनेनरी, मल्टी डिसिप्लेनेनरी और ट्रांस डिसिप्लेनेनरी प्रोग्राम की जानकारी दी। बताया कि मल्टी डिसिप्लेनेनरी शिक्षा पद्धति और शोध वर्तमान की आवश्यता है क्योंकि एक व्यक्ति सिर्फ एक विषय के बारे में समझकर अपनी सोच को विस्तार नहीं दे सकता। सोच और शोध को विस्तार देने के लिए बहुआयामी सोच और प्रयास आवश्यक है। यदि इस कार्यक्रम को ही ले लें, तो आयोजन समिति में शामिल प्रत्येक व्यक्ति अपने कौशल के अनुरूप जिम्मेदारी संभाल रहा है। मल्टी डिसिप्लेनेनरी प्रोग्राम हमें किसी काम को विभिन्न क्षेत्र के लोगों को साथ लाकर सीमित संसाधनों में भी बेहतर करने की शक्ति देता है। इसलिए नई शिक्षा नीति में इस पर सर्वाधिक जोर है।

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मुख्य अतिथि कोटा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में बहुत से विषयों को पढ़ने की छूट इसलिए ही दी गई है, ताकि विद्यार्थी अपने ज्ञान को विभिन्न क्षेत्रों तक ले जाकर विस्तृत नजरिया विकसित करें। बिना मदद के आज शोध संभव नहीं, ऐसा करने पर उसकी सीमाएं सीमित हो जाएंगी, क्योंकि आज विज्ञान के साथ सामाजिक विज्ञान, कला के साथ चिकित्सा और वाणिज्य जैसे विषयों पर शोध किया जा रहा है। इसलिए यह व्यवस्था हमारी सोच को अगले पड़ाव तक ले जाने में सहायक साबित हो रही है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में वक्ता इसी विषय पर व्याख्यान देंगे।

मुख्य वक्ता कोमल विज ने बताया कि ग्लोबलाइजेशन और तकनीक के युग में हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। उनका समाधान हमें बहुआयामी होकर ही प्राप्त हो सकता है। इस विधि का ध्येय है कि हम शंकाओं का समाधान मिलकर करें। विश्वस्तरीय तकनीकों को सीखें और देश को विश्वगुरु बनाने में अपनी सहभागिता बनाएं। एक विषय के साथ टिककर हमें खुद को एक दायरे में बांध लेंगे, जो सही नहीं है।

धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ. विनोद कुमार सिंह और संचालन डॉ. उदिता तिवारी ने किया। विश्वविद्यालय प्रतिकुलपति प्रो. अजय तनेजा, बायोकेमिस्ट्री विभागाध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र स्वरूप शर्मा, प्रो. मनु प्रताप सिंह, प्रो. अचला गक्खर, प्रो. ब्रजेश रावत, प्रो. मनोज उपाध्याय, प्रो. संतोष बिहारी शर्मा आदि मौजूद रहे।

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