हडताल के लिए उर्जा मंत्री जिम्मेदार, वह चाहें तो हल निकल सकता है

BUSINESS HEALTH NATIONAL POLITICS PRESS RELEASE REGIONAL साक्षात्कार

Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। विद्युत कर्मचारियों की कामबंद अनश्चित कालीन हडताल दूसरे दिन भी जारी रही। विद्युत व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए प्रशासन ने 17 विभागों के कर्मचारियों को लगा दिया है। दूसरी ओर उच्च स्तर पर चल रही संयुक्त संघर्ष समिति की वार्ताओं पर भी स्थानीय यूनियन नेताओं की दिनभर नजर लगी रही। संयुक्त संघर्ष समिति और उसके सहयोगी संगठनों के नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह कार्य बहिस्कार है, हडताल नहीं है।

विभाग के दूसरे तमाम काम ठप पडे हैं। किसी तरह के किसी सिस्टम को छेडा नहीं गया है

अब भी हमने आवश्यक सेवाओं की जिम्मेदारी अपने उपर ले रखी है। अस्पताल, पेयजल जैसी सेवाओं के लिए सप्लाई का कार्य बहिष्कार नहीं किया गया है। बावजूद इसके प्रशासन को 17 विभागों के कर्मचारियों को सिर्फ विद्युत सप्लाई सुचरू रखने के लिए लगाया गया है। जबकि विभाग के दूसरे तमाम काम ठप पडे हैं। किसी तरह के किसी सिस्टम को छेडा नहीं गया है। अगर कहीं कोई फॉल्ट हो जाता है तो यह अलग बात है। इसमें हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। कार्य बहिस्कार पर बैठे कर्मचारी नेताओं ने कहाकि उच्च स्तर से जो भी आदेश आयेगा उसे मानेंगे, अन्यथा कि स्थित में आंदोलन किसी भी स्थिति में पहुंच सकता है। हडताली कर्मचारियों ने इस पूरे विवाद के लिए उर्जा मंत्री को जिम्मेदार माना और कहा कि चेयरमैन उनसे उपर नहीं हो सकता हैं। अगर उर्जा मंत्री चाहें तो हल निकल सकता है।

सरकारी विभाग हमारा पैसा दे दें तो आधा घाटा इसी से भर जाएगाः मोहन बाबू आर्य

जिला संयोजक जिला विद्युत संघर्ष समिति मोहन बाबू आर्य ने कहा ’हमने किसी तरह से किसी सिस्टम को बंद नहीं किया है। अगर कोई ब्रेक डाउन हो जाता है तो इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं। करोडों रूपये सरकारी विभागों पर है। सरकारी विभाग ही हमारा पैसा दे दें तो आधा घाटा तो इसी से पूरा हो जाएग। निजीकरण किसी समस्या का समाधान नहीं है। केंन्द्रीय संघर्ष समिति का जो आदेश आयेगा उसका हम पालन करेंगे। आंदोलन किसी भी हद तक जा सकता है।

यह हडताल नहीं कार्य बहिष्कार है, आवश्यक सेवाएं सुचारू हैं: प्रमोद कुमार

राज्य विद्युत परिषद के पदाधिकारी जो केंद्रीय संघर्ष समिति का घटक है प्रमोद कुमार ने कहाकि जो भी कर्मचारी बाहर से लगाये गये हैं वह गैर तकनीकी लोग है। यह एक तरह का मजाक है। तकनीकी में भी जो विद्युत का तकनीशियन होगा वही इस काम को कर सकता है। कल शाम को दो चरणों में वार्ता हुई थी। विभागीय अध्यक्ष द्वारा सहमति पत्र पर साइन नहीं किये गये जिससे वार्ता विफल हो गई। जब तक इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा यह कार्य बहिष्कार इसी तरह चलात रहेगा। अस्पताल, पेयजल आदि की व्यवस्थाओं को हम देख रहे हैं। आवश्यक सेवाएं सुचारू हैं।

सरकार तय करे सोशल वैलफेयर में चलाना है कि विभाग को कामर्शियल बनाना हैः अंशुल शर्मा

कर्मचारी नेता एसडीओ अंशुल शर्मा का कहना कि सरकार की नीतियां गलत हैं, कर्मचारी काम चोर नहीं है। सरकार पहले यह तय करे कि यह विभाग सोशल वैलफेयर के लिए है कि कामर्शियल है। आप हर घर में बिजली भी पहुंचाना चाहते हैं। हमारे कार्य बहिष्कार में से निपटने को 17 विभागों के कर्मचारी लगाये गये हैं। इसी से यह साबित होता है कि हम कितना महत्वपूर्ण काम करते हैं। लेखपाल आदि नान टेक्निीशियन लगाये गये हैं। अगर यह काम ऐसा ही है तो नान टैक्निीशियन ही रख लिये जाएं। जबकि डिस्ट्रीब्यूशन, मीटर बदलने, कलेक्शन जैसे काम नहीं हो रहे हैं। फिर कैसे कहा जा सकता है कि हम काम नहीं कर रहे हैं।

Dr. Bhanu Pratap Singh