डॉ. भानु प्रताप सिंह
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उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के नाम पर सोनभद्र में “डीएस टॉवर” है। इस बात का उल्लेख चर्चित पुस्तक ‘सोनभद्र की फूलमती’ में हुआ है। यह बात उन दिनों की है जब दुर्गा शंकर मिश्र सोनभद्र के जिलाधिकारी थे।
इस पुस्तक में छायांकन करने वाले नरेन्द्र नीरव ने इस बारे में श्री दुर्गाशंकर मिश्र को जानकारी दी है। पुस्तक के लेखक हैं डॉ. लवकुश प्रजापति, जो चिकित्सक और समाजसेवी हैं। यह उनका संस्मरणात्मक कथा-संग्रह है। डॉ. लवकुश ने अपने रोचक संस्मरणों को कहानी के शिल्प में रूपाकार देते हुए अपने परिवेश और समाज को समग्र रूप में संजोया है।
लेखक ने अपनी कथा ‘हिरण के दो शावक’ में लिखा है- ‘मैं लउआ नदी के पास स्थित अपनी भूमि के लगभग 15 बीघे में योजनानुसार सफाई करवा चुका था। नंदलाल जी के साथ चर्चा में यह बात तय हो चुकी थी कि एक बीघे में जत्तन सेठ नाले में एक तालाब का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर करवाना है। इसके तुरंत बाद संपूर्ण खेत को लोहे के छह-छह फीट के एंगल लगा कर उसे कंटीले तारों से घेर देना है जिससे मवेशियों और जंगली जानवरों से लगाये गये वृक्षों का संरक्षण किया जा सके। पूरे क्षेत्र को सिंचित करने का उपाय भी हमने सोच लिया था। इसके लिये प्रस्तावित तालाब पर एक सिंचाई टावर, जो इस क्षेत्र में काफी लोकप्रिय था, जिसकी डिजाइन लघु सिंचाई योजना द्वारा जिलाधिकारी दुर्गाशंकर मिश्र जी की अध्यक्षता में हुई थी। इस समय मिश्र जी उ.प्र. के मुख्य सचिव हैं।
बहुत ही लोकप्रिय जिलाधिकारी जी दुर्गाशंकर मिश्र जी की विकास में गहरी रुचि थी, ग्रामीण संस्थाओं और सरोकारों से गहरी रुचि रखने वालों का आदर करते थे। इस बात को इस से समझा जा सकता है कि वे स्वयं दूरवर्ती गावों में जाकर समस्याओं को समझते थे। कई बार हम लोग भी उनके साथ दूरस्थ गावों में, जहां गाड़ियां नहीं जा सकती थीं, मीलों उनके साथ पैदल चलते थे। जिस सिंचाई टावर की मैं बात कर रहा हूं वह इन्हीं के द्वारा डिजाइन किया गया था, जिसे आज भी लोग डी. एस. टावर नाम से जानते हैं। बताते चलें कि जिलाधिकारी दुर्गाशंकर मिश्र जी आई. आई. टी. से आई.ए.एस. ज्वाइन किये थे।
इस बारे में पूछे जाने पर दुर्गा शंकर मिश्र ने प्रतिक्रिया दी है- इस डीएस टॉवर को मैंने अमृत धारा सिंचाई योजना का नाम दिया था। शायद बहुत समय बीतने से लोग इस नाम को भूल गए होंगे और अब डीएस टावर का नाम दे दिया गया होगा। यह योजना मैंने फिजिक्स के एक महत्वपूर्ण सिद्धांत का उपयोग कर बनवाई थी, जिससे ऊबड़-खाबड़ क्षेत्र में सिंचाई के क्षेत्रफल में काफी वृद्धि हुई थी। इसकी सफलता को देख कर मुझे उस समय व्यक्तिगत रूप से बहुत ख़ुशी हुई थी। एक बार दोबारा याद दिलाने के लिए लेखक डॉक्टर लवकुश प्रजापति और नीरव को धन्यवाद।
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