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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा मंडल (जेडी आगरा) आरपी शर्मा को विजिलेंस आगरा ने तीन लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। विजिलेंस ने अनेक रिश्वतखोरों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। किसी ने चूं तक नहीं की। पहली बार विजिलेंस की इस कार्रवाई के खिलाफ आवाज उठी है। सबकी जांच करने वाली राज्य सरकार की संस्था विजिलेंस (सतर्कता विभाग) के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) जांच की मांग की जा रही है। ऐसा हो रहा है तो इसके कई कारण हैं।
सब जानते हैं कि शिक्षा विभाग में ईमानदारी कूड़ेदान में पड़ी हुई है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग तो भ्रष्टाचार के लिए कुख्यात हो चुके हैं। पूर्व जिला विद्यालय निरीक्षक दिनेश कुमार ने तो भ्रष्टाचार की रिकॉर्ड ही तोड़ दिया था। वे 57 अवैध नियुक्तियां कर गए हैं। इन सबकी जांच संयुक्त निदेशक शिक्षा आरपी शर्मा कर रहे हैं। जिसकी शिकायत पर आरपी शर्मा के खिलाफ कार्रवाई हुई है, उनका मामला भी जांच में है।
ईमानदार अधिकारी की छवि
मैंने अमर उजाला के रिपोर्टर के रूप में शिक्षा बीट पर काम किया है। शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की नस-नस पहचानता हूँ। जब आरपी शर्मा ने आगरा में संयुक्त शिक्षा निदेशक का चार्ज लिया तो मैंने जो देखा, वह आश्चर्य में डालने वाला था। शिक्षक, प्रबंधक और शिक्षक नेता उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़े थे। मिठाई बांटी गई। ये वे लोग थे, जो भ्रष्ट अधिकारियों से परेशान था। उन्हें न्याय की आशा थी। फिर मैंने जानकारी की तो पता चला कि आरपी शर्मा की शिक्षा विभाग में ईमानदार अधिकारी की छवि है। वे किसी के दबाव, धमकी और लालच में भी नहीं आते हैं। यहां तक कि मिठाई भी नहीं लेते हैं। इसी मिठाई ने उन्हें जेल में पहुंचा दिया।
17 अगस्त, 2024 को शिक्षा विभाग में क्या हुआ था
जांच में फंसे अजयपाल सिंह ने कार्यालय में मिठाई बांटी। कहते हैं कि एक स्टेनो ने मिठाई बांटने के लिए कहा था। उसने संयुक्त निदेशक शिक्षा को भी मिठाई का डिब्बा दिया। उन्होंने लेने से इनकार कर दिया। वे कार्यालय की मिठाई घर नहीं ले जाते हैं। उनका घर जाने का समय हो रहा था। ड्राइवर कार में अपनी सीट पर बैठा था। तभी अजयपाल ने कार की सीट पर मिठाई के दो डिब्बे रख दिए। जैसे ही आरपी शर्मा कार में आकर बैठे, विजिलेंस की टीम आई और आरपी शर्मा को गिरफ्तार कर लिया। साथ में मिठाई का वह डिब्बा ले गई, जिसमें तीन लाख रुपये रखे थे।
शिक्षक की अवैध नियुक्ति की जांच कर रहे
आवास विकास कालोनी सेक्टर तीन के रहने वाले अजयपाल सिंह, भोगीपुरा स्थित डीसी वैदिक इंटर कालेज में सहायक अध्यापक हैं। आठ महीने पहले अजयपाल सिंह की नियुक्ति पर सवाल उठाए गए थे। तथ्यों में हेरफेर करने के उपरांत मानकों के विपरीत नियुक्ति करने की शिकायत कुछ शिक्षकों द्वारा शासन में की गई थी। मामला विधानसभा में उठने पर अजयपाल सिंह का वेतन रोक दिया गया। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक राम प्रताप शर्मा के नेतृत्व में समिति द्वारा इसकी जांच की जा रही थी।
एसपी विजिलेंस के अनुसार, 10 लाख की रिश्वत मांगी
एसपी विजिलेंस शगुन गौतम ने बताया कि सहायक शिक्षक से मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक माध्यमिक द्वारा 10 लाख रुपये घूस जांच को उसके पक्ष में निस्तारित करने को मांगी गई थी। शिक्षक ने एकमुश्त 10 लाख देने में असमर्थता जताई तो दो किस्त में रकम मांगी। पहली किस्त पांच लाख रुपये जांच रिपोर्ट पक्ष में देने के लिए। दूसरी किस्त पांच लाख रुपये रुका हुआ वेतन जारी करने से पहले मांगी थी। इसकी शिकायत 10 दिन पहले शिक्षक ने विजिलेंस से करते हुए साक्ष्य के रूप में आडियो रिकार्डिंग दी थी। शनिवार शाम करीब साढ़े सात बजे मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक राम प्रताप शर्मा को कार्यालय पास उनकी कार में शिक्षक ने तीन लाख रुपये घूस में दी थी। विजिलेंस टीम ने आरोपित को घूस की रकम समेत दबोच लिया।
ऑडियो रिकॉर्डिंग किसकी
जिस ऑडियो रिकॉर्डिंग की बात की जा रही है, वह क्या आरपी शर्मा की है या किसी और की? इस सवाल पर विजिलेंस चुप है। जानकारों का कहना है कि यह रिकॉर्डिंग आरपी शर्मा के स्टेनो की है। वह कह रहा है कि साहब को पैसे पहुंचाने हैं।
अगर कोई कर्मचारी साहब के नाम पर पैसे मांग तो क्या साहब दोषी हो गए?
शिक्षक संघ ने उच्च शिक्षा मंत्री से की मांग
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ डॉ. भोज कुमार शर्मा ने कहा है कि ईमानदार छवि के अधिकारी संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा मंडल आगरा के खिलाफ रिश्वत की साजिश रची गई है। इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। किसी ईमानदार शिक्षा अधिकारी के ऊपर साजिशन विजिलेंस द्वारा की गई कार्यवाही से उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ में आक्रोश व्याप्त है।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ का एक प्रतिनिधिमंडल उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय से मिला। उन्हें पूरे प्रकरण से अवगत कराया गया। उच्च शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि किसी भी निर्दोष के साथ अन्याय नहीं होगा।
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ मांग करता है कि यदि इसमें दोषियों को दंड नहीं दिया गया तो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ आंदोलन के लिए मजबूर होगा जिसकी जिम्मेदारी केवल और केवल प्रशासन की ही होगी। जिला अध्यक्ष लक्ष्मी रानी शर्मा, जिला मंत्री भीष्म पाल सिंह, दिनेश चंद्र गुप्ता, आशीष पांडे, चूड़ामणि सिंह, योगेश कुमार गुप्ता आदि ने विजिलेंस की इस साजिश भरी कार्यवाही की घोर निंदा की है।
सुनियोजित षड्यंत्र के तहत रिश्वत मामले में फंसाया
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्यसमिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ देवी सिंह नरवार ने जारी बयान में बताया है कि मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक आगरा डॉ. आरपी शर्मा को एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत रिश्वत मामले में फंसाया गया है। आरपी शर्मा की गिरफ्तारी से शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है। डॉ. नरवार ने बताया कि शिक्षकों और कर्मचारियों की अवैध नियुक्तियों एक संगठित गिरोह का हाथ है जो लगातार जेडी आरपी शर्मा पर उन नियुक्तियों को वैध ठहराने का दबाव बना रहे थे। इस कारण आर पी शर्मा काफी दबाव में थे और वे कतई भी अवैध नियुक्तियों को वैध नहीं मान रहे थे। इसी गिरोह ने एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत इस घटना को अंजाम दिया है।
महासंघ के जिलाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र सिंह, जिला मंत्री डॉ. दुष्यंत कुमार सिंह, कार्यकारी जिलाध्यक्ष डॉ. रचना शर्मा आदि ने प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। डॉ. नरवार ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रकरण की जांच एसटीएफ या एसआईटी से निष्पक्ष कराई जाए।
मुकेश जैन का महानिदेशक सतर्कता राजीव कृष्ण को पत्र
सत्यमेव जयते ट्रस्ट के माध्यम से सेवा कार्य में रत और जाने-माने प्रकाशक मुकेश जैन ने इस बारे में उत्तर प्रदेश के महानिदेशक (सतर्कता), अध्यक्ष, लोक सेवा भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड राजीव कृष्ण को एक पत्र भेजा है। हम पत्र को यथावत प्रस्तुत कर रहे हैं-
हम आपके तत्काल ध्यान में एक गंभीर चिंता का विषय लाने के लिए लिख रहे हैं जिसमें एक ईमानदार अधिकारी, श्री आर.पी. शर्मा, जो वर्तमान में संयुक्त शिक्षा निदेशक के रूप में कार्यरत हैं, को गलत तरीके से फंसाया गया है। आगरा में हाल के घटनाक्रम, विशेष रूप से आपके सम्मानित विभाग की जिला सतर्कता टीम द्वारा की गई कार्रवाइयों के कारण श्री शर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं, उन्हें रिश्वतखोरी के मामले में फंसाया गया है।
यह सर्वविदित है कि श्री आर.पी. शर्मा ने अपने पूरे करियर में ईमानदारी का बेदाग ट्रैक रिकॉर्ड बनाए रखा है। किसी भी राजनीतिक और नौकरशाही प्रभाव का मनोरंजन करने से इनकार करने के कारण उन्हें अपने साथियों और जनता का सम्मान और प्रशंसा मिली। हालाँकि, ऐसा लगता है कि इसी ईमानदारी ने उन्हें उन भ्रष्ट व्यक्तियों का निशाना बना दिया है जिन्होंने उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की साजिश रची है।
ऐसा प्रतीत होता है कि सतर्कता टीम की कार्रवाई एक शिकायतकर्ता द्वारा प्रदान की गई झूठी और मनगढ़ंत जानकारी पर आधारित है, जिस पर भ्रष्ट इरादे रखने का भी आरोप है। दुर्भाग्य से, मीडिया आउटलेट्स ने पूरी तरह से जांच किए बिना या कहानी के सभी पक्षों को प्रस्तुत किए बिना इस मामले के बारे में खबरें प्रकाशित की हैं। इस एकतरफ़ा रिपोर्टिंग ने और भी असर डाला है। इससे स्थिति और बिगड़ गई, जिससे एक ईमानदार अधिकारी की अनुचित सार्वजनिक मानहानि हुई। यह निराशाजनक है कि जनप्रतिनिधि भी चुप हैं। शर्मा का राजनीतिक और नौकरशाही दबाव के आगे झुकने से इनकार का रहा है। एक निर्दोष व्यक्ति को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है
समाजसेवी संस्थाओं की बैठक में डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी का कथन
एक होटल में समाजसेवी संस्थाओं की बैठक में शिक्षक नेता डॉ. हरिनारायण चतुर्वेदी ने कहा कि विजिलेंस ने साजिश के तहत संयुक्त निदेशक शिक्षा आगरा मंडल को फँसाया है। बैठक में मांग की गई कि विजिलेंस के इस कृत्य की सीबीआई जांच की जाए। हनीट्रैप तो सुना था, लेकिन यहां तो मनी ट्रैप हो गया।
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