devi maheshwari shri ji

अंतरराष्ट्रीय कथाव्यास देवी माहेश्वरी ‘श्री जी’ ने बताए दुख-दर्द दूर करने के टोटके

NATIONAL PRESS RELEASE REGIONAL RELIGION/ CULTURE

Agra, Uttar Pradesh, India. अंतरराष्ट्रीय कथाव्यास देवी माहेश्वरी ‘श्री जी’ (वृंदावन धाम) सिर्फ कथावाचक नहीं हैं। वे परिवार, समाज, देश के दुख-दर्द दूर करने की भी चिन्ता करती हैं। उन्होंने परिवार पर आए संकट दूर करने के कई टोटके बताए हैं। माताओं को सटीक सीख दी है। प्रकृति संरक्षण की सीख दी है। वायरस से बचने के उपाय भी बताए हैं। शिव पैलेस, पश्चिमपुरी में श्रीमदभागवत कथा के दौरान उन्होंने ये उपाय बताए। आइए जानते हैं विस्तार से श्री जी ने क्या बताया।


ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर चलना होगा
स्वयं को स्वस्थ रखना है तो दिनचर्या प्रकृति के अनुकूल रखें। प्रकृति हमारे लिए हमेशा बलिदान करती है तब सुंदर जीवन प्राप्त होता है। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन की रक्षा की, लेकिन हम मनुष्यों ने अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति का ह्रास कर दिया। प्रकृति हमारी मां है। हमारे ग्रंथो में प्रकृति का अत्यधिक सम्मान है। प्रकृति कभी लक्ष्मी तो कभी काली के रूप में है। काली का खड्ग नहीं देखता अपना और पराया कौन है। आगरा की शोभा यमुना मैया से है लेकिन इसका जल आचमन लायक नहीं है। अगर हम अब भी नहीं जागे तो हर मनुष्य को ऑक्सीजन सिलेंडर साथ लेकर चलना होगा। राष्ट्र का ऋण प्रकृति की रक्षा करके चुकाएं।


मोबाइल समय चुरा रहा
हम अपने बच्चों को मोबाइल परोस रहे हैं। यह ठीक है कि मोबाइल की खोज में युवानों की भूमिका है लेकिन इससे परिवार दूर हो रहे हैं। मोबाइल परिवार के समय को चुरा रहा है। आज संकल्प लें कि मोबाइल पर झूठ नहीं बोलेंगे। मोबाइल पर सत्य बोलना शुरू करो। सनातन संस्कृति सत्य पर टिकी है। सत्य हमेशा प्रकाशित हुआ है।


आरएसएस का गुणगान
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों का गुणगान किया। पहले चार-पांच बच्चे होते थे तो एक संघ का प्रचारक बन जाता। एक साधु बन जाता। अब तो हम दो हमारे दो। फिर हो जाएगा हम दो हमारा एक। क्या हम एक बच्चे को राष्ट्र को समर्पित नहीं कर सकते। आर्मी भर्ती में बच्चे कम आने लगे हैं।

पूर्व जन्म के कर्मों से मुक्ति का उपाय
आजकल आदमी पूर्व जन्म की भूल के कारण परेशान है। शास्त्रों में इसकी काट दी गई है। सेवा को आदत बना लेने से पूर्व जन्म के अशुभ कर्मों का भय नहीं रहता है। चिड़ियों के लिए जल रखें, दाना डालें, मछली और कच्छप को आटे की गोली खिलाएं। गौशाला के लए अलग से गुल्लक बनाएं। अमावस्या के दिन आटे की 30 रोटियां बनाएं। उन पर तुलसा दल और गुड़ रखें। फिर गौशाला में जाकर गायों को खिलाएं। घर में शांति रहेगी।


वायरस से कैसे बचें
नवरात्र में भगवती की आराधना से वायरस का खात्मा होता है। इन दिनों काल का मुख खुल जाता है। इसलिए खूब पानी पिएं। जल को मिट्टी के कलश में रखें। उसमें चांदी का सिक्का डालें। कलश के पास पुष्प रखें। प्रातःकाल घर में हवन करें। कपूर का धूना दें। प्रतिकूलता आए तो धैर्य मत खोओ बल्कि प्रार्थना बढ़ाओ।


माताओं को सीख
माताएं अपने बच्चों को स्तनपान जरूर कराएं। बच्चों को अकर्मण्य न बनाएं। बच्चों से पूरा काम कराएं। ऐसा न हो कि बच्चा स्कूल से आए को उसके जूते के फीते खोलने लग जाएं। बच्चों को हनुमान चलीसा और सुंदरकांड सुनाएं। बच्चों को भागवत कथा में लाएं ताकि अपनी संस्कृति से परिचित हो सकें। शिवाजी की तरह गुणवान बनाएं। घर में गंगाजल छिड़कें। गंगाजल से बुरी आत्माएं भाग जाती हैं।


बेलपत्र के चमत्कारिक लाभ
आगरा में शिव की सत्ता है। शिव को सर्वाधिक प्रिय बेल का पत्र है। बेल पत्र में कॉस्मिक एनर्जी है। भगवान शंकर संजीवनी विद्या के प्रदाता हैं। उन्होंने शुक्राचार्य को संजीवनी विद्या दी थी।
-अगर कोई रोग ठीक न हो रहा हो तो बेलपत्र शिवलिंग पर चढ़ाओ। फिर एक पत्ता ओम नमः शिवाय कहते हुए उठा लो और तकिया के नीचे रखकर सो जाओ। रोग समाप्त हो जाएगा।
-अगर स्वप्न का दोष है, नींद ठीक नहीं आती, डर बना रहता है तो बेल की पत्ती को पानी में डालकर रखो। फिर महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए सेवन करें।
-अगर पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही है तो बेल के पेड़ को सीचें। पार्वती ने बेल का पेड़ सींचकर ही कर्तिकेय की प्राप्ति की थी।