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ताजमहल को हरा और काला होने से बचाएगी यमुना का डिसिल्टिंग

EXCLUSIVE

वर्ष 2015 ताजमहल की मार्बल सतह पर कीड़ों का मलमूत्र जमा हो रहा

गोल्डीक्रिनोमस कीड़े यमुना के प्रदूषण को बताने वाले हैं बायो इन्डीकेटर

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. गोल्डीक्रिनोमस प्रजाति के कीड़ों की उत्पत्ति का मुख्य कारण यमुना नदी का प्रदूषण है और ये कीड़े यमुना के पानी के प्रदूषण को बताने वाले एक बायो इन्डीकेटर हैं। जब ताज महल के पार्श्व में यमुना के किनारे पर पानी रुक जाता है तो रुके हुए प्रदूषित पानी में इन कीड़ों का प्रजनन होता है। पानी में उपस्थित एल्गी कीड़ों के लिए भोजन का काम करती है। इन कीड़ों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। ये कीड़े झुंड के रूप में ताज महल के मार्बल सतह पर बैठते हैं और मलमूत्र उत्सर्ग करते हैं जिससे हरे/काले धब्बे सतह पर नजर आते हैं। इस बात को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा आगरा ने सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन को अभी हाल में 27 फरवरी की सूचना में कहा है।

सूचना में यह भी बताया है कि वर्ष 2015 से लेकर प्रत्येक वर्ष ताज महल की मार्बल सतह पर कीड़ों के मलमूत्र की वजह से हरे/काले धब्बे संज्ञान में आये हैं। वर्ष 2023 में ताज महल के उत्तरी भाग के कुछ हिस्से की मार्बल सतह पर कीड़ों के कारण हरे/काले धब्बे पड़ गए थे, जिन्हें अक्टूबर, नवम्बर माह में वैज्ञानिक तरीके से साफ किया गया था।

प्रेषित की गयी सूचना में यह भी बताया है कि ताज महल के उत्तरी भाग में मार्बल सतह परकीड़ों की गतिविधि (हरे/काले धब्बे) मुख्यतः बारिश के बाद, सितम्बर व अक्टूबर माह में होता है। कीड़ों की गतिविधि अनुकूल तापमान (28-25 डिग्री सेल्सियस) होने, यमुना नदी में जलस्तर कम होने और किनारों पर पानी रूकने के कारण सबसे ज्यादा दिखाई पड़ती है। बारिश के मौसम में यमुना नदी में पानी का जलस्तर बढ़ जाता है और पानी का बहाव अधिक हो जाता है, जिससे प्रदूषित पानी किनारों पर रूकता नहीं है और कीड़ों का प्रजनन नगण्य हो जाता है।


सूचना में यह भी बताया कि ताज महल की दीवारों पर कीड़ों के कारण उत्पन्न हरे/काले धब्बों का अध्ययन कर एक रिपोर्ट विभागीय अधिकारियों को प्रस्तुत की गयी थी, जिसममें कीड़ों की गतिविधियों की रोकथाम के बारे में उपाय सुझाये गए थे। सूचना के साथ भेजी गयी रिपोर्ट दिनांक 27.05.2016 में कीड़ों की समस्या का कारण नदी में जलस्तर कम होने, अत्यधिक रेत एवं गंदगी होने तथा पानी का प्रवाह न होने के कारण नदी के किनारों पर दलदल का बन जाना है तथा नदी में अत्यधिक गंदगी एवं कचरे का होना है। समस्या के निराकरण के लिए समिति द्वारा अन्य सुझावों के अतिरिक्त यह भी सुझाव था कि नदी के किनारों पर दलदल की स्थिति से बचने के लिये नियमित रूप से रेत को हटाया/डिसिल्टिंग की जाय।

अधिवक्ता जैन ने बताया कि पूर्व में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना दिनांक 02.01.2020 से भी इन कीड़ों के सम्बन्ध में विज्ञान शाखा के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्व रसायनज्ञ डा0 एम0के0 भटनागर की एक विस्तृत रिपोर्ट दी थी और उसमें भी डिसिल्टिंग की सिफारिश थी।

अधिवक्ता जैन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा द्वारा भी डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिनांक 22 अप्रैल एक राहत भरा होगा जो इन गोल्डीक्रिनोमस कीड़ों से भी ताज महल व अन्य स्मारकों को मुक्ति दिला सकेगा लेकिन यमुना की नियमित सफाई और दलदल की स्थिति पैदा न हो इसकी जिम्मेदारी सम्बन्धित विभागों की ही होगी। अधिवक्ता जैन द्वारा उक्त सूचना को भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डिसिल्टिंग की मांग की मजबूती के लिए रखा गया था।

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