Mathura (Uttar Pradesh, India)। मथुरा। उत्तराखण्ड की राज्यपाल और आगरा की पूर्व महापौर के नजदीकी रिश्तेदार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस सडक हादसे में मौत बता रही है जबकि मृतक के बेटे का कहना है कि उनकी लूट के बाद हत्या की गई है। देर रात दो मोपेड सवार एक क्लीनिक के आगे घायल व्यक्ति गंभीर अवस्था में फैंक कर भाग गये। जब चिकित्सक ने बाहर आकर देखा तो उन्हें पहचान लिया और इसकी सूचना परिजनों को दी। चिकित्सक की सलाह पर परिजन तत्काल गंभीरूप से घायल जगदीश प्रसाद मौर्य को नोएडा के एक अस्पताल में ले जा रहे थे। रास्ते में ही जगदीश प्रसाद मौर्य की मौत हो गई।
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य के नजदीकी रिश्तेदार की मौत
घायल अवस्था में क्लीनिक के बाहर डाल गये मोपेड सवार
पीड़ित परिवार के हीरालाल ने बताया कि कल्याण और मगनदास मौर्य सगे भाई हैं। कल्याण सिंह के पुत्र जगदीश प्रसाद मौर्य हैं, जिनकी मौत हो गई है। मगनदास मौर्य के बेटे प्रदीप कुमार की पत्नी बेबीरानी मौर्य हैं, जो उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबीरानी मौर्य की ससुराल आजनौठ में भगवानदास सिंह के यहां है। भगवान के छोटे भाई कल्याण सिंह हैं। उनके ही पुत्र जगदीश प्रसाद मौर्य हैं।
मोबाइल और पैसे लूटपाट के बाद हत्या की आशंका की जा रही है
मथुरा के थाना नौहझील के गांव आजनौठ के मूल निवासी जगदीश प्रसाद मौर्य बाजना के रामनगर में रहते थे। सोमवार शाम चार बजे गांव आजनौठ अपने खेत पर साइकिल से गए थे। रात करीब पौने दस बजे जगदीश प्रसाद मौर्य अपने मकान से करीब बीस मीटर दूर घायल अवस्था में मिले। उनके सिर और कानों से खून बह रहा था। मृतक के मकान के पास ही डॉ. जोरावर सिंह का क्लीनिक है। क्लीनिक के सीसीटीवी में एक मोपेड पर दो लोग जगदीश प्रसाद मौर्य को बीच में बैठाकर लाते हुए दिखाई दे रहे हैं। क्लीनिक के सामने वह उनको पटक कर भाग गए। मृतक के बेटे अतुल का कहना है कि रात में उन्हें सूचना मिली कि पिता राम नगर में घायल पड़े हैं, मौके पर पहुंचे तो उनके सिर से खून बह रहा था। स्वजन नोएडा ले जा रहे थे, रास्ते में उनकी मौत हो गई। उनकी जेब से मोबाइल और पैसे निकाल लिए गए हैं। लूटपाट के बाद हत्या की आशंका की जा रही है।
एसपी देहात श्रीशंद्र ने इस सम्बन्ध में बताया कि जगदीश मौर्य दाऊजी नगर में साइकिल व मोपेड की टक्कर में घायल हो गए थे। घटना के प्रत्यक्षदर्शी मिल गए हैं। मोपेड सवार ही उन्हें राम नगर के पास छोड़ गए थे।