पाकिस्तान और अफगानिस्तान तालिबान की सेना के बीच पिछले तीन दिनों से संघर्ष चल रहा है। डूरंड लाइन पर दोनों देश एक दूसरे पर निशाना लगा रहे हैं। टोलो न्यूज़ के मुताबिक पक्तिया के निवासियों ने कहा कि पाकिस्तान की ओर से दर्जनों मिसाइलें दागी गईं, जो लोगों के घरों पर गिरी हैं। एक समय था जब पाकिस्तान तालिबान की मदद करता था लेकिन जब से तालिबान अफगानिस्तान की सत्ता में आया है, पाकिस्तान के साथ संघर्ष बढ़ गए हैं। टीटीपी आतंकियों के हमले भी बढ़ गए हैं।
अफगानिस्तान-पाकिस्तान के विवाद का सबसे बड़ा कारण डूरंड लाइन है, जिसे अंग्रेजों ने बनाया और ये पाकिस्तान के लिए मुसीबत बनी हुई है।
अफगानिस्तान में तालिबान प्रशासन के उप मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई ने फरवरी में एक बयान देते हुए डूरंड लाइन को लेकर पाकिस्तान को झटका दिया था। उन्होंने कहा था कि डूरंड लाइन जब बनी तब पाकिस्तान का अस्तित्व भी नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘डूरंड लाइन एक काल्पनिक रेखा है। अंग्रेजों ने उस समय अब्दुल रहमान खान के साथ समझौते के अनुसार इसे खींचा था। पाकिस्तान का इससे कोई लेना देना नहीं।’ शेर मोहम्मद का बयान सही है। यह रेखा पाकिस्तान के अस्तित्व से 53 साल पहले 12 नवंबर 1893 में खींची गई थी।
सोवियत को रोकने के लिए बनी लाइन
डूरंड लाइन अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच 2,640 किमी लंबी सीमा है। ब्रिटिश इंडिया के सचिव सर मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान के बीच समझौते के बाद इसे खींचा गया था। डूरंड रेखा रूस और ब्रिटिश साम्राज्यों के बीच 19वीं शताब्दी के ग्रेट गेम्स की एक विरासत के रूप में देखा जाता है। तब ब्रिटेन और रूस मध्य एशिया में प्रभाव बढ़ाने की जियोपॉलिटिकल लड़ाई लड़ रहे थे। अंग्रेजों ने इसे रूसी विस्तारवाद को रोकने के लिए एक बफर जोन के तौर पर इस्तेमाल किया था।
-एजेंसी
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