मंदिर में साल भर करनी है पूजा, प्रवचन सुनने के साथ सामयिक भी करना है
जैन दादाबाड़ी में आज से चातुर्मासिक धार्मिक ग्रंथ का वाचन प्रारंभ किया जाएगा
आगरा विकास मंच ने वैराग्य निधि से आशीर्वाद दिलाकर हृदय रोगी को दिल्ली भेजा
Agra, Uttar Pradesh, India. श्री महावीर स्वामी मंदिर दादाबाड़ी में विराजित मरुधर ज्योति मणिप्रभा श्रीजी की शिष्या आत्मसाधिका साध्वी वैराग्य निधि श्रीजी आदि ठाणा-3 की निश्रा में 22 जुलाई, 2022 से चातुर्मासिक धर्म ग्रंथ का वाचन प्रारम्भ होगा। साध्वी मंडल को धर्म ग्रंथ बोहराने की कोई बोली नहीं होगी। साध्वी जी की आज्ञानुसार तीन नियमों का पालन करने वाले परिवार बोहराने का लाभ ले सकते हैं। अत्यंत कठिन नियम बनाए गए हैं। चार माह तक कल्पसूत्र के अनुसार प्रवचन होगा।
नए नियम में क्या करना होगा
वह परिवार बोली ले जो सालभर में कम से कम 300 दिन परमात्मा की मंदिर में आकर सेवा अर्चना करे। चातुर्मास में कम से कम 100 दिन प्रवचन में पहुंचना है। सामयिक (48 मिनट परमात्मा का ध्यान एक ही स्थान पर बैठकर) करना है। प्रवचन सुनना और परमात्मा की सेवा पूजा परिवार में कोई भी कर सकता है लेकिन सामयिक स्वयं करना है। तीर्थयात्रा एवं स्वास्थ्य कारण होने पर छूट दी गई है। परिवार के सभी सदस्य मिलकर इन नियमों का पालन कर सकते हैं। जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक श्रीसंघ के अध्यक्ष राजकुमार जैन ने इन तीन नियमों के साथ बोहराना लिया है।
मनुष्य की पहचान
इस मौके पर साध्वीजी ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य वही है जो मनन करता है, संवेदनशील होता है, सभी के सुख—दुख में सहयोगी व उपयोगी होता है और हर अमीर-गरीब मनुष्य को मनुष्य होने का सम्मान देता है। सभी धर्मों में कहा गया है कि मानव जीवन अत्यंत दुर्लभ है। इससे भी दुर्लभ है मनुष्यत्व। मनुष्य होना वर्तमान पुरुषार्थ का परिचायक है। साध्वी जी के चातुर्मास में जीवन प्रबंधन पर व्याख्यान होंगे।
हार्ट सर्जरी के लिए दिल्ली भेजा
आज प्रवचन के मध्य वैराग्य निधि महाराज से आशीर्वाद दिलवाकर निर्धन हृदयरोगी 55 वर्षीय अनिल कुमार निवासी नई आबादी दुर्गानगर, दयालबाग को आगरा विकास मंच ने मैक्स हॉस्पिटल साकेत बाईपास सर्जरी के लिए भेजा। उस समय वातावरण बहुत ही भावुक हो गया। संघ के सभी श्रावक-श्राविकाओं ने अनिल कुमार के स्वास्थ्य लाभ की कलिकुंड पार्श्वनाथ भगवान से प्रार्थना की।
पारणा की व्यवस्था संभाली
आज के तपस्वियों के पारणे का लाभार्थी परिवार अभय कुमार अर्पित कुमार वेद परिवार रहा। सुशील जैन, आशीष जैन, कमल चंद जैन, महेंद्र जैन, सुशील जैन, बृजेंद्र, दुष्यंत लोढ़ा, प्रमोद, निशांत ललवानी, के. के., अशोक कोठारी, विपिन जैन, उषा बहन ने अरहम तप के पारणा की व्यवस्था संभाली।
संपादक डॉ. भानु प्रताप सिंह की टिप्पणी
विश्वस्त सूत्रों पता चला है कि जैन साध्वी वैराग्य निधि महाराज द्वारा बनाए गए बोहराना के नए नियम के कारण वे लोग परेशान हैं जो बोहराना की बोली लेकर अपनी धाक जमा लेते थे। समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ जाती थी। धर्मनिष्ठ कहलाने लगते थे। इस बार भी वे यही सोच रहे थे। जैन साध्वी द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार अब धार्मिक काम करना होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि नित्यप्रति ध्यान करना होगा। इन नियमों का पालन करने से आत्मतत्व को जाग्रत किया जा सकता है। देखा जाए तो पहली बार किसी साध्वी ने परंपरागत नियम को तोड़ा है। जानकारों का कहना है कि नए तीन नियम साधना के तौर पर लिए जाएं तो कुछ माह बाद ही प्रभाव दिखाई देना लगेगा। कम से कम धार्मिक उन्नति तो निश्चित है।
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